-एक हजार से अधिक लॉज और दस हजार से अधिक मकानों में रहते हैं किराएदार

-बिना वेरीफिकेशन के ही रेंट पर दिए जा रहे रूम

-लूटकांड में शामिल युवक भी रहता था किराए पर, पुलिस हुई सीरियस

Ashutosh.Srivastava

ALLAHABAD: आप अपने घर को रेंट पर देने जा रहे हैं तो इस खबर को जरा ध्यान से पढ़ लीजिए। आपके मकान में रहने वाला किराएदार किसी आपराधिक गतिविधि में लिप्त मिला तो गर्दन आपकी भी नहीं बचेगी। पुलिस के पचड़े से बचने का सिर्फ एक ही रास्ता है कि अपना रूम तभी रेंट पर दें जब किराएदार के बारे में आपके पास पूरी जानकारी हो। उसकी आईडी व फोटो तो जमा करा ही लें, वह कहां का रहने वाला है? इलाहाबाद में क्या करने आया है? लोकल किस-किसको जानता है? इसकी पूरी डिटेल लेकर लोकल पुलिस स्टेशन या चौकी को दें?

लूट में शामिल थे किराएदार

पुलिस ने यह स्टेप कीडगंज में सीमेंट कारोबारी के कैशियर से तीन लाख की लूट करने में किराएदारों का नाम सामने के बाद उठाया है। लूट करने वाले तीन स्टूडेंट थे और सभी ने रेंट पर रूम ले रखा था। प्लानिंग भी कीडगंज के लॉज में बनी थी और यह तय हुआ था कि लूट के बाद जगह बदल दी जाएगी। लुटेरे ठिकाना बदल पाते, इससे पुलिस के हाथ उनकी गर्दन तक पहुंच गए।

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एक भी किराएदार का वेरीफिकेशन नहीं

शहर में एक हजार से अधिक रजिस्टर्ड और नॉन रजिस्टर्ड लॉज हैं। इसमें लगभग दस हजार से अधिक यूनिवर्सिटी, कॉलेज के और प्रतियोगी स्टूडेंट रहते हैं। दस हजार से अधिक घरों में भी लोगों ने स्टूडेंट्स को रूम किराए पर दे रखा है। अनुमान है कि शहर में 80 हजार से एक लाख के बीच स्टूडेंट रहते हैं जिनके बारे में हाउस ओनर को कुछ पता नहीं होता। उनका किराएदार से वास्ता हर महीने की एक तारीख को तब पड़ता है, जब उनको रेंट लेना होता है।

पुलिस स्टेशन से मिलेगा फार्म

मकान मालिकों के लिए पुलिस स्टेशन से फार्म अवलेबिल करवाया जाएगा। फार्म में किराएदार का नाम, पिता का नाम, मूल पता, फोटो, इलाहाबाद में आने की तारीख, कब तक रहना है, सिटी में उसे कौन-कौन जानता है, सिटी आने का मोटो, यह कॉलम होंगे। इसमें किराएदार की फोटो के साथ ही आईडी भी लगाई जाएगी। मकान मालिक को पूरी डिटेल कलेक्ट करने के बाद पुलिस स्टेशन को सबमिट करनी होगी।

मकान मालिक ही कराएगा वेरीफिकेशन

अब किराएदार का वेरीफिकेशन मकान मालिक को ही करना होगा। अभी तक यह काम पुलिस के पास था। इस वजह से न तो वेरीफिकेशन हो पाता था, न ही पुलिस के पास किराएदारों के बारे में कोई डिटेल होती थी। मकान मालिक को यह भी पता लगाना होगा कि जो आईडी किराएदार ने लगाई है, वह ओरिजनल है या फर्जी। किराएदारों के लिए फार्म नेक्स्ट वीक से थाने में उपलब्ध करा दिया जाएगा।

किराएदारों के कारनामे

लखनऊ के एक डिग्री कॉलेज के रिटायर्ड टीचर के साथ नवंबर ख्0क्फ् में नूरूल्ला रोड पर लूट की गई थी। बाद में पता चला कि दोनों लुटेरे बिजनेसमैन बनकर आए थे और किराए का मकान लेकर रहते थे।

इसी साल बघाड़ा में मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवाद हुआ था। छोटी सी बात को ऐसा तूल दिया गया कि बघाड़ा दो दिन तक सुलगता रहा। इस बार भी बवाल करने वालों के बारे में कुछ पता नहीं चला।

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बदली व्यवस्था

-पहले पुलिस के जिम्मे था घर-घर जाकर किराएदारों का वेरीफिकेशन करना

-अब यह जिम्मेदारी मकान मालिकों की होगी वह अपने किराएदार का वेरीफिकेशन कराएं

-अगले हफ्ते से थानों में उपलब्ध होगा वेरीफिकेशन फॉर्म

-मकान मालिकों को भरकर थानों में आईडी प्रूफ के साथ जमा करना होगा

-इसके बाद पुलिस वेरीफाई करके बताएगी किराएदार की हकीकत

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मकान मालिका क्यों इंट्रेस्टेड नहीं

-नगर निगम तक सूचना पहुंच जाने पर हाउस टैक्स हो जाएगा कमर्शियल

-बिजली विभाग से लोड बढ़ाने का प्रेशर भी जनरेट होगा

-पानी के लिए भी भरना होगा अधिक बिल

-एक बार मकान कमर्शियल श्रेणी में आ गया तो इसे चेंज कराना मुश्किल

-डाक्यूमेंट्री प्रूफ बन जाने के खतरे से बढ़ जाएगा लफड़ा

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स्टूडेंट्स की भी परेशानियां कम नहीं

लॉज में रहने वाले स्टूडेंट्स की भी परेशानियां कम नहीं। छोटे से कमरे का किराया डेढ़ से तीन हजार रुपये तक लिया जाता है। कमरों में न तो खिड़कियां होती हैं, न टॉयलेट। लाइट चली जाए तो सीलन भरे रूम में रहना मुश्किल हो जाता है। सलोरी, कर्नलगंज, कटरा, रामबाग के कई हॉल की तो दशा और भी बुरी है। लॉज मालिकों के लिए कोई गाइड लाइन भी नहीं है।

इन इलाकों में हैं लॉज

छोटा बघाड़ा, ओम गायत्री नगर, अल्लापुर, गोविंदपुर, रसूलाबाद, तेलियरगंज, शुतुरखाना, कीडगंज, अलोपीबाग, मटियारा रोड, सोहबतियाबाग, बैरहना, रामबाग, बाई का बाग, बलुआघाट, साउथ मलाका, राजापुर, ऊंचवागढ़ी, मम्फोर्डगंज

मकान मालिक की रिस्पांसबिल्टी है कि वह रूम रेंट पर देने से पहले किराएदार का वेरीफिकेशन करा लें। किसी घटना में किराएदार का नाम सामने आएगा और उसके बारे में मकान मालिक के पास कोई जानकारी नहीं होगी तो उसके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा।

-केएस इमैनुएल,

एसएसपी, इलाहाबाद

कमरों में खिड़कियां नहीं होतीं। दिन में लाइट चली जाए तो भी अंधेरा हो जाता है। कूलर लगाने तक की जगह नहीं होती है।

-नीरज

लॉज मालिक का वास्ता सिर्फ किराए से ही होता है। लॉज में रहने वालों की स्थिति क्या है, इसकी उसे परवाह नहीं होती।

-विकास

रेंट इतना बढ़ा दिया गया है कि दो से तीन स्टूडेंट को रूम शेयर करना पड़ता है। कमरे में सामान रखने की भी जगह नहीं होती।

-आशुतोष

लॉज मालिकों के लिए नियम होना चाहिए। रेंट के बराबर तो उनको सुविधा देनी चाहिए। डिमांड करने पर स्टूडेंट्स को बाहर कर दिया जाता है।

-मनीष

Posted By: Inextlive