सौ वर्ष की उम्र पार कर चुके मार्क्‍सवादी नेता और स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी समर मुखर्जी का गुरुवार को निधन हो गया. वे अविवाहित थे और सीपीआई एम के नेता थे. वे अपने वाकपटुता और नेतृत्‍व की क्षमता के लिए जाने जाते थे.


सबसे उम्रदराज सीपीआई (एम) नेताउन्होंने 1940 में सीपीआई (एम) ज्वाइन किया था. वे पार्टी के लिए समर्पित थे और उन्होंने अपना ज्यादातर जीवन पार्टी कम्यून में बिताया. कम्यून रूस में सोवियत अक्टूबर क्रांति के चार साल पहले अस्तित्व में आया था. वे नए और पुराने दोनों ही पीढि़यों में लोकप्रिय थे. 1940 में उन्होंने परिवार छोड़ दिया था और हावड़ा स्थित पार्टी कम्यून में रहने लगे थे. वे पार्टी विभाजन से पहले ही सीपीआई ज्वाइन कर चुके थे.साइमन कमीशन के विरोध में जेल
1964 में मतभेदों के चलते पार्टी में दो फाड़ हो गया तो उन्होंने सीपीआई (एम) को ज्वाइन कर लिया. उसके बाद वे 1965 में दक्षिण कोलकाता चले गए जहां वे अपने जीवन के अंतिम दिनों तक मौजूद रहे. ब्रिटिश राज में साइमन कमीशन का विरोध करने पर 1928 में इन्हें जेल जाना पड़ा था. 1957 से 1971 तक वे पश्चिम बंगाल में एमएलए भी रहे थे. उनका जन्म हावड़ा के अमता में 7 नवंबर, 1913 में हुआ था.

Posted By: Satyendra Kumar Singh