विहिप ने हिंदुओं पर प्रतिकूल परिणामों का हवाला देते हुए यूपी की प्रस्तावित एक बच्चा नीति पर आपत्ति जताई है। वहीं विपक्षी दल भी जनसंख्या नियंत्रण पर प्रस्तावित मसौदा विधेयक को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साध रहे हैं।


नई दिल्ली (एएनआई)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने सोमवार को उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग द्वारा हाल ही में जारी जनसंख्या नियंत्रण पर मसौदा प्रस्ताव का कड़ा विरोध दर्ज कराया। इस मसाैदे में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को सरकारी योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने से बाहर रखा गया है। विहिप ने राज्य विधि आयोग को इसके लिए पत्र लिखा है। संगठन जनसंख्या के संकुचन और एक बच्चे की नीति के अवांछनीय सामाजिक और आर्थिक परिणामों से बचने के लिए धारा 5, 6 (2) और 7 को हटाने का सुझाव देता है।हिंदू आबादी के कम होने के बारे में भी चिंतनीय


विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, जो खुद एक वकील हैं ने कहा कि हम जनसंख्या के संबंध में एक कानून लाने के सरकार के कदम का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश को ऐसी स्थिति में न आने की सलाह दी, जहां केवल एक समुदाय नीति का लाभ लेता है जबकि दूसरा विस्तार करता रहता है। यह हिंदू आबादी के कम होने के बारे में भी चिंतनीय है जबकि अन्य समुदायों का विस्तार हो रहा है।

एकल बच्चा सामाजिक रूप से भी कम अनुकूलअसम और केरल जैसे राज्यों में हिंदुओं की कुल प्रजनन दर 2.1 की प्रतिस्थापन दर से काफी कम हो गई है, लेकिन असम में मुसलमानों की संख्या 3.16 है और केरल में यह 2.33 है।इन राज्यों में समुदायों में से एक ने संकुचन चरण में प्रवेश किया है, जबकि दूसरा अभी भी विस्तार कर रहा है। इसके साथ ही, दो-बच्चे के मानदंड के बारे में, आरएसएस सहयोगी का मानना ​​है कि एकल बच्चा सामाजिक रूप से कम अनुकूल है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि वे भाई-बहनों के साथ शेयर करना नहीं सीखते हैं। विपक्षी दल लगातार साध रहे हैं निशानायह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा रविवार को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर राज्य की जनसंख्या नीति 2021-2030 का अनावरण करने के एक दिन बाद आया है। उन्होंने कहा था कि जनसंख्या नीति 2021-2030 में हर समुदाय का ध्यान रखा गया है। विपक्षी दलों ने जनसंख्या नियंत्रण पर प्रस्तावित मसौदा विधेयक को सपा ने "चुनावी प्रचार" करार दिया, जबकि एक कांग्रेस नेता ने राज्य सरकार से यह बताने के लिए कहा कि उसके कितने "वैध और नाजायज बच्चे" हैं।

Posted By: Shweta Mishra