सावन की फुहार सहित ऋतुओं की झलक भी दिखी

ALLAHABAD: जहां एक ओर बढ़ती आधुनिकता और काल्पनिकता के समाज में लोक संस्कृति विलुप्त होती जा रही है। वहीं इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र लगातार इसको बचाने और उसके संवर्धन का कार्य कर रहे हैं। अमरनाथ झा छात्रावास में आयोजित ऋतु सावन के कार्यक्रम में इसकी झलक देखने को मिली। युवा शोधार्थी धीरेंद्र प्रताप सिंह द्वारा आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य व्यस्त जीवन में लोगों को अपने गांव और देश की मूल संस्कृति से जोड़ना रहा। संगीतमय शाम में लोकगीतों की फुहार से लोगों के मन झूम गए। इसमें शामिल पूर्वाचल विवि के कुलपति प्रो। राजाराम यादव ने गीत सुनाया तो सभी वाह वाह कर उठे।

कजरी, चैती, सोहर ने जमाया रंग

अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर स्मिता अग्रवाल ने सुनाया 'बरसन लागि बदरिया कजरी'। आकाशवाणी की लोक गायिका प्रियंका चौहान की कजरी ने खूब तालियां बटोरी। छात्र विवेक रंजन सिंह के निर्देशन में तैयार टीम ने लोकगीतों में कजरी, चैती, सोहर आदि का गायन किया। विवेक द्वारा तैयार गीतों में भाव के साथ साथ प्रतिरोध से भरे गीत भी गाए गए। संचालन संयोजक शोध छात्र मृत्युंजय राव परमार ने किया।

Posted By: Inextlive