भ्रष्टाचार रोकने में दर्ज मुकदमों की विवेचना में खेल नहीं हो सकेगी. विजिलेंस की टीमें अपने मुकदमे अपने थानों में दर्ज करेंगी.

-गोरखपुर में हो सकेगी एफआईआर, मिले अधिकार

-जांच के बाद लगाने पड़ते थे जिला पुलिस के चक्कर

Gorakhpur@inext.co.in
GORAKHPUR: भ्रष्टाचार रोकने में दर्ज मुकदमों की विवेचना में खेल नहीं हो सकेगी। विजिलेंस की टीमें अपने मुकदमे अपने थानों में दर्ज करेंगी। खुद मामलों की विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में भेज सकेंगी। प्रदेश सरकार ने गोरखपुर में स्थित एसपी विजिलेंस ऑफिस को मुकदमा दर्ज करने का अधिकार दे दिया है। विजिलेंस ऑफिस से जुड़े लोगों का कहना है कि अभी एफआईआर की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। शासनादेश की कापी मिलते ही एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

काफी दिनों से थी मांग, मिली मुकदमे की अनुमति
सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर विजिलेंस की टीमें जांच पड़ताल करती हैं। छापेमारी के दौरान पकड़े जाने वाले लोगों के खिलाफ संबंधित क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करानी पड़ती है। इस दौरान लंबी प्रक्रिया से गुजरने में काफी समय बर्बाद होता है। पकड़े गए लोगों के जुगाड़ा और दबाव की वजह से जांच प्रक्रिया भी प्रभावित होती है। काफी लंबे से मांग चल रही थी कि विजिलेंस को एफआईआर दर्ज करने का अधिकार दे दिया जाए। इससे नजदीकी थानों का चक्कर लगाने के झंझट से छुटकारा मिल जाएगा। हाल के दिनों में हुई प्रदेश सरकार की बैठक में एसपी विजिलेंस आफिस को थाना का दर्जा शासन ने दे दिया है।

गोरखपुर सेक्टर में शामिल नौ जिले, आसान होगी जांच
प्रदेश सरकार से अनुमति मिलने के बाद एसपी विजिलेंस ऑफिस में मुकदमा दर्ज कराने से संबंधित प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पार्क रोड स्थित ऑफिस में जल्द मुकदमा दर्ज होना शुरू हो जाएगा। ऑफिस से जुड़े लोगों का कहना है कि शासन की मंजूरी मिल गई है। लिखा-पढ़ी में आदेश आते ही कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। गोरखपुर के एसपी विजिलेंस आफिस पर नौ जिलों के कामकाज का बोझ है। इनमें गोरखपुर के अलावा गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बस्ती, कुशीनगर, महराजगंज, मऊ, आजमगढ़ और संतकबीर नगर जिलों को शामिल किया गया है। किसी भी मामले में एफआईआर दर्ज कराने पर विजिलेंस टीम को काफी परेशान होना पड़ता था। अपने दफ्तर में केस रजिस्टर्ड करके पुलिस टीम आसानी से जांच कर सकेगी। विजिलेंस आफिस में इंस्पेक्टर रैंक के लोगों की तैनाती होती है। इसलिए जांच की प्रक्रिया में कोई दिक्कत भी नहीं आएगी।

यह होगा फायदा

-मुकदमा दर्ज कराने के लिए थानों का चक्कर नहीं लगाएंगे।

-केस रजिस्टर्ड कर विवेचना में तथ्य जुटाने में मदद नहीं लेनी पड़ेगी।

-मुकदमों की विवेचना की गोपनीयता भंग नहीं होगी। किसी तरह के दबाव से बचाव।

-जिला पुलिस का चक्कर लगाने के संकट से उबरेंगे। जांच में कोई ढिलाई नहीं होगी।

-विवेचक अपने हिसाब से विवेचना कर सकेंगे। एसपी की निगरानी में जांच चलेगी।

हाल में हुई बड़ी कार्रवाई

-पीडब्ल्यूडी के टेंडर में गड़बड़ी करके चहेतों को ठेका दिए जाने की गड़बड़ी में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों, ठेकेदार और फर्म के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। विजिलेंस टीम ने जांच के बाद कैंट थाना में तहरीर दिया था।

-बिना निर्माण कार्य कराए करीब चार लाख रुपए का गबन करने के मामले में जीडीए के एक एई, दो जेई और ठेकेदार के खिलाफ मुकदमे की सिफारिश विजिलेंस टीम ने की थी।

-सेंट एंड्रयूज कॉलेज के प्रिंसिपल जेके लाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर विजिलेंस गोरखपुर की टीम जांच कर रही थी।

शासन की मंशा के अनुरुप काम किया जाएगा। अपने थाना में मुकदमा दर्ज कराने की सुविधा होने से तमाम तरह की समस्याओं का समाधान हो जाएगा। किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं रहेगा। मामलों की कार्रवाई में सहूलियत मिलेगी।

श्रीधराचार्य, इंस्पेक्टर विजिलेंस

Posted By: Inextlive