विजयादशमी का त्‍यौहार पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। जगह-जगह रावण के पुतले खड़े हो गए हैं साथ ही मेले भी सज चुके हैं। यह त्‍यौहार बुराई पर अच्‍छाई की जीत के जश्‍न में मनाया जाता है। इसी दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध करके उसके अहंकार और अत्‍याचार को खत्‍म किया था। हालांकि ये बुराईयां आज आम आदमी के अंदर भी हैं। तो आइए इस अवसर पर हम सभी मिलकर अपने अंदर छिपी 10 बुराईयों का खत्‍मा करें....


(1) Kama vasana (Lust) :- हर इंसान के अंदर कहीं न कहीं काम वासना का कीड़ा जरूर घुसा रहता है। इसी वजह से आएदिन रेप आदि घटनाएं होती रहती हैं। अगर हम चाहें तो लस्ट पर काबू करके अपने आचरण को शुद्ध कर सकते हैं। (2) Krodha (Anger) :- क्रोध व्यक्ित का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। यह गुस्सा कोई भी काम बिगाड़ सकता है। अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाते हैं और एक गलत फैसला ले लेते हैं। जिसके बाद जिंदगीभर पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता। तो आइए विजयादशमी के इस शुभ अवसर पर क्रोध पर काबू रखना सीखें।(3) Moha (Attraction) :-


किसी इंसान या वस्तु के प्रति अट्रैक्शन सभी को होता है। लेकिन उसे पा लेने की लालसा मत रखें। अपनी पसंद को इस हद तक सीमित रखें, ताकि आपकी वजह से किसी और को परेशानी न हो।(4) Lobha (Greed) :- 'लालच बुरी बला है', यह तो हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं। लेकिन बहुत कम लोग इस पर अमल कर पाते हैं। ऐसे में जब दशहरा पर्व ही बुराइयों पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है, तो हम लोग भी अपने मन में छुपे लालच को बाहर निकाल दें।

(5) Garva (Over Pride) :- किसी काम या अपने ऊपर गर्व करना अच्छी बात है। लेकिन ओवर प्राइड करना सामने वाले को कभी भी अच्छा नहीं लगेगा। (6) Irshya (Jealousy) :- पड़ोसी के घर में गाड़ी आना हो या फिर दोस्त का पास हो जाना। यह खबर सुनते ही हमारे मन में सबसे पहले ईर्ष्या का भाव आता है। जोकि गलत है। ईर्ष्या कभी नहीं करनी चाहिए, आपको भी अगर किसी चीज की चाह है तो उसे मेहनत से हासिल करने का प्रयास करें।(7) Swartha (Selfishness) :- हमारे आसपास ऐसे कई लोग मिलेंगे, जो स्वार्थी होंगे। इन्हें सिर्फ अपने से मतलब होता है। मानव एक सामाजिक प्राणी है, ऐसे में हमें सभी का बराबर ख्याल रखना चाहिए। (8) Anyaaya (Injustice) :- अन्याय करना और सहना दोनों ही गलत हैं। अगर आपके अंदर भी ऐसी कोई बुराई है तो इस आदत को तुरंत बदल डालें।(9) Amanavata (Cruelty) :- अमानवीय होना इंसान के नाम पर सबसे बड़ा धब्बा है। किसी जरूरतमंद की मदद करने से हिचकने वाले लोग शायद यह नहीं जानते कि एक दिन उन्हें अगर जरूरत पड़ी तो सामने से कोई नहीं आएगा। तो आइए इस दशहरा हम अपने अंदर के इस दुर्गुण को भी समाप्त करें।

(10) Ahankara (Ego) :- अहंकार तो आपकी तरक्की का सबसे बड़ा दुश्मन है। रावण को भी अपनी ताकत का अहंकार था, इसी 'मैं' ने उसका सर्वनाश कर दिया। हम लोग तो तुच्छ मानव हैं, जिस दिन आपके अंदर अंहकार की भावना आ गई तो समझ लीजिए आप गर्त में जाना शुरु हो जाएंगे। ऐसे में अपने अंदर छिपे इस 'मैं' को बाहर निकालकर 'हम' को अपनाइए।inextlive from Spark-Bites Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari