- सिटी स्टेशन के रिजर्वेशन काउंटर पर मनमर्जी कर रहे बुकिंग क्लर्क

- शिकायत करने वाले पर ही बरसने लग जाते रिजर्वेशन सुपरवाइजर

Meerut : जगह : सिटी रेलवे स्टेशन का रिजर्वेशन काउंटर। वक्त : दोपहर क्ख्.भ्0 बजे। कतार में चार लोग खड़े हैं। टी ब्रेक का वक्त नहीं था, लेकिन काउंटर्स खाली हैं। थोड़ी देर बाद जैसे ही महिला बुकिंग क्लर्क सीट पर बैठी, साइड में खड़े एक व्यक्ति ने एक साथ पांच फॉर्म अगे बढ़ा दिए। बुकिंग क्लर्क ने बिना किसी ऑब्जेक्शन के सभी फॉर्म एक्सेप्ट कर लिए। तीन या चार टिकट बन गए तो उस व्यक्ति ने कुछ और फॉर्म बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन कतार में खड़े लोगों का ऑब्जेक्शन होने से वह कामयाब नहीं हो सका।

लागू नहीं होते नियम

नियमानुसार रेलवे एक व्यक्ति से अधिकतम दो फॉर्म स्वीकार करता है, अगर बुकिंग क्लर्क किसी से पांच फॉर्म स्वीकार कर रहा है तो समझ जाएं कि दाल में कुछ काला है। आए दिन यह बात सामने आती है कि बुकिंग क्लर्क की दलालों के साथ सेटिंग रहती है और पैसे लेकर उनका खास ख्याल रखा जाता है। यही कारण है कि कुछ लोगों पर रेलवे के नियम लागू नहीं होते।

अधिकारी भी क्लर्क के साथ

बुकिंग क्लर्क की करतूत जब रिजर्वेशन सुपरवाइजर सोहन पाल को बताई गई तो उन्होंने शिकायतकर्ता को आड़े हाथों लिया। उनका कहना था कि जब एक व्यक्ति के दो से अधिक टिकट बनाए गए थे, तभी शिकायत मिलनी चाहिए थी, ताकि उसे पकड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि शिकायत करने की जगह बुकिंग क्लर्क को ही रोकते तो गड़बड़ी नहीं होती। कई बार लोग विकल्प के रूप में तीन-चार फॉर्म दे देते हैं, लेकिन उनका टिकट एक ही होता है। अगर खिड़की पर भीड़ ज्यादा न हो तो बुकिंग क्लर्क व्यवहार में एक व्यक्ति से कई फॉर्म स्वीकार कर लेते हैं। अंत तक सुपरवाइजर यही रट लगाए रहे कि गलती शिकायत करने वाले की है, कर्मचारी ने कुछ भी गलत नहीं किया है।

नहीं मिला रजिस्टर

शिकायतकर्ता इस मामले को शिकायत रजिस्टर में दर्ज करने के लिए स्टेशन अधीक्षक आरपी त्रिपाठी के पास पहुंचा तो उन्होंने फोन पर रिजर्वेशन सुपरवाइजर को मामले की जांच करने को कहा, लेकिन शिकायत रजिस्टर उपलब्ध कराने की बात को वह भी बहुत सफाई के साथ टाल गए। उन्होंने विश्वास दिलाया कि वह इस तरह की प्रॉब्लम को रोकने के लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे। आगे से ध्यान रखा जाएगा कि लोगों को इस तरह की प्रॉब्लम न हो।

न आरपीएफ, न कैमरे

सिटी स्टेशन के रिजर्वेशन काउंटर पर दलालों को रोकने के लिए न तो वहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और न ही आरपीएफ तैनात रहती है। कैमरे न होने की वजह से बुकिंग क्लर्क भी मनमानी करने से बाज नहीं आते। किसी से दो फॉर्म भी नहीं लेते और किसी से चार-पांच फॉर्म लेकर उसे तुरंत टिकट उपलब्ध कराते हैं। सुपरवाइजर के पास काम ज्यादा है तो स्टेशन अधीक्षक के पास पूरा स्टेशन।

फोटो

यही है वह चेहरा, जिसने बुकिंग क्लर्क को एक साथ पांच फॉर्म दिए।

Posted By: Inextlive