जरा सी सावधानी, दूर रहेगी बीमारी
लोगो- क्या हम तैयार हैं
- बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हो रहे वायरल फीवर के शिकार - मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल तक में बढ़ी भीड़ GORAKHPUR: मौसम बदलते ही तरह-तरह की बीमारियों ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। हालत यह है कि बच्चे, जवान, बुजुर्ग सभी सर्दी खांसी से पीडि़त होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। वायरल फीवर व डायरिया का खौफ बढ़ गया है। इनके मरीज सरकारी अस्पताल से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल तक एडमिट हैं। लेकिन डॉक्टर की मानें तो जरा सी सावधानी आपको वायरल फीवर व डायरिया से बचा सकती है। दो हफ्तों में बढ़े मरीजमेडिकल कॉलेज हो या जिला अस्पताल या फिर प्राइवेट हॉस्पिटल हर जगह मरीज भरे पड़े हैं। बीते दो हफ्ते में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग व मेडिसिन विभाग की ओपीडी में हजार से अधिक मरीज सिर्फ वायरल फीवर व सर्दी खांसी के हैं। वहीं हाल जिला अस्पताल व प्राइवेट हॉस्पिटल में भी इनकी संख्या बढ़ी है।
बीमारियों का मौसमथोड़ी सी लापरवाही के कारण बरसात का मौसम बीमारियों का मौसम बन सकता है। इसलिए इस सावधानी सबसे अधिक जरूरी है। इस मौसम में कई विषाणु व जीवाणु सक्रिय होते हैं। ये वायरल फीवर के साथ ही हेपेटाइटिस जैसे रोग के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। अस्पताल में इस समय बुखार, खासी, जुकाम के 40 प्रतिशत व उल्टी-दस्त के 30 प्रतिशत मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। साफ-सफाई रखने के साथ ही संक्रमण से बचकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है। जो पहले से दमा या श्वांस के रोगी हैं, उनको वायरल फीवर अधिक परेशान कर रहा है।
ताकि न हो वायरल - गर्म पानी पीएं। - बारिश में भींगने से बचें। - उबला हुआ पानी का सेवन करना चाहिए। - हरी सब्जियों को धोकर कर खाना चाहिए - गर्म पानी का भांप लेना चाहिए - साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखें - खाने के पहले और बाद में हाथ को साबुन से धोएं - बाहर की वस्तुओं व दूषित खाद्य पदार्थ के सेवन से बचें - ताजा भोजन ही लें - देर तक रखा खाना न खाएं - श्वांस के मरीज अधिक अधिक सावधानी बरतें - साफ पानी खुब पीएं, पौष्टिक आहार लें। तो समझें हो गया वायरल - दस्त-उल्टी तीन चार बार से अधिक हो। - पेशाब कम होता हो। - खांसते समय बलगम पीला आ रहा हो। - बुखार लगातार बना रह रहा हो तो इस दशा में डॉक्टर्स से परामर्श लें।(जैसा कि डॉ। संजीव गुप्ता, एमडी मेडिसिन ने बताया.)
यहां रोज इतने मरीज - मेडिकल कॉलेज- 1000 - जिला अस्पताल- 200 से 300 - प्राइवेट हॉस्पिटल- 1000 से 2000