हांगकांग में प्रत्यर्पण बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन अब खत्म हो गया है लेकिन प्रदर्शन के दौरान वहां एक ऐसा मौका देखने को मिला है जिससे हमें भी सीख लेनी चाहिए। एक वीडियो में देखा जा रहा कि भारी विरोध प्रदर्शन के बावजूद एम्बुलेंस के लिए लोग सड़क से हट गए।

कानपुर। हांगकांग में विवादित प्रत्यर्पण बिल को लेकर सडकों पर उतर आए थे और वहां लोग इस बिल को असीमित समय तक निलंबित करने की अपनी मांग को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि, अब सरकार ने उनकी मांग को स्वीकार करते हुए इस बिल को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है लेकिन प्रदर्शन के दौरान वहां एक ऐसा मौका देखने को मिला, जिससे हमें भी सीख लेनी चाहिए।

Hong Kong protesters let an ambulance go through the massive protestpic.twitter.com/IN61ZnJ9fZ

— Amichai Stein (@AmichaiStein1) June 16, 2019


एम्बुलेंस जाने के बाद लोगों ने शुरू किया प्रदर्शन

दरअसल, हांगकांग में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, इसी बीच एक एम्बुलेंस वहां पहुंची, जिसे देखकर सारी भीड़ अलग हट गई। विरोध प्रदर्शन छोड़कर लोग सबसे पहले एम्बुलेंस को रास्ता देने लगे। जब एम्बुलेंस चली गई, फिर विरोध प्रदर्शन शुरू किया गया। इस घटना से सभी लोगों को सीख लेनी चाहिए। बता दें कि विवादित प्रत्यर्पण बिल को लेकर 9 जून को लोग कानून के खिलाफ हांगकांग की सड़कों पर बेहद शांति पूर्ण तरीके से निकले और प्रदर्शन करने लगे लेकिन 12 जून को यह प्रदर्शन हिंसक हो गया।

#HongKongers are the most orderly protesters in the world. They cleared out a passenge in mere seconds for an ambulance in Causeway Bay. #反送中 #HongKongProtests pic.twitter.com/pKixVpu27k

— Ray Chan (@ray_slowbeat) June 16, 2019
प्रदर्शकारियों पर आंसू गैस किया इस्तेमाल

प्रदर्शनकारियों ने जब सुरक्षा कर्मियों पर पत्थर फेंका तो उन्होंने इसका जवाब आंसू गैस और स्प्रे के इस्तेमाल से दिया। बीजिंग की ओर झुकाव रखने वाली लैम ने इस कार्रवाई को सही और जिम्मेदार कदम बताया। इस तरह की कार्रवाई के बाद स्थानीय व्यवसायी ही नहीं चीन भी लैम के खिलाफ हो गया। चीन नहीं चाहता की वह प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पेपर स्प्रे, आंसू गैस छोड़ने जैसी कार्रवाई दोहराता रहे क्योंकि साल 2014 में हुआ अंब्रेला मूवमेंट हांगकांग की जनता ने अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ा था। प्रदर्शन कर रहे नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया और आंदोलन को कुचल दिया गया। इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आज भी चीन की आलोचना होती है।

 

 

Posted By: Mukul Kumar