टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने लगातार बायो-बबल में रह रहे खिलाड़ियों की परेशानी सामने रखी है। कोहली का कहना है कि बबल में रहने से प्लेयर्स न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से ज्यादा थकान महसूस करते हैं। ऐसे में अगर कोई शेड्यूल तैयार किया जा रहा है तो प्लेयर्स को भी लूप में रखा जाए। हालांकि अब बीसीसीआई के एक अधिकारी ने विराट के इस आइडिया को असंभव बताया है।

नई दिल्ली (एएनआई)। इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में समाप्त हुई वनडे सीरीज से पहले भारतीय कप्तान विराट कोहली ने खिलाड़ियों के लगातार बायो-बबल में रहने पर सामने आने वाली परेशानियों का जिक्र किया था। विराट का कहना था कि, प्लेयर्स को साथ में रखकर शेड्यूल तैयार किया जाए। लगातार बबल में रहने से खिलाड़ी मानिसक रूप से परेशान हो जाता है। कप्तान कोहली की बात अपनी जगह भले ही सही हो मगर विराट के इस सुझाव को बीसीसीआई हकीकत नहीं मानती है।

विराट की चिंता ठीक, मगर कोई हल नहीं
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का मानना ​​है कि मौजूदा परिदृश्य में अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर को फिर से लागू करना थोड़ा मुश्किल है।एएनआई से बात करते हुए, बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि कोहली द्वारा दिखाई गई चिंता सही ठहराई जा सकती है लेकिन शेड्यूल में बदलाव करने से बड़ी चिंताएं बढ़ेंगी और समाधान आसान नहीं होगा, खासकर COVID-19 के प्रभाव में। अधिकारी ने कहा, 'यह एक वैध चिंता का विषय हो सकता है लेकिन वैकल्पिक रूप से कई और दिक्कतें आएंगी। इसे दो तरीकों से संबोधित किया जा सकता है। सबसे पहले एक रोटेशन नीति का पता लगाना है जो खिलाड़ियों को कुछ स्वतंत्रता देता है। ईसीबी का उदाहरण लें। जो रूट केवल रेड-बॉल क्रिकेट खेल रहे हैं, जब उनके कैलिबर का एक खिलाड़ी व्हाइट-बॉल क्रिकेट में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। दूसरा यह है कि कम संख्या में अंतर्राष्ट्रीय खेलों को शेड्यूल किया जाए। इन दोनों उपायों को लागू करना बहुत मुश्किल है।'

क्या-क्या समस्या आएंगी
यह पूछे जाने पर कि इससे क्या-क्या समस्या आएगी। अधिकारी ने कई मुद्दों पर ध्यान दिलाया जो सामने आएंगे और पहली वजह है कि घरेलू क्रिकेटरों की वित्तीय स्थिति को चोट पहुंचेगी। बीसीसीआई का मानना ​​है कि एक अच्छी संरचना वह है जिसमें घरेलू खिलाड़ियों को करियर विकल्प के रूप में खेल को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त प्रेरणा मिलती है। सबसे पहले, मान्यताओं के विपरीत, बीसीसीआई का धन असीम नहीं है। दूसरी बात, घरेलू क्रिकेटरों के स्टॉक पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है।

राजस्व कम होगा
अधिकारी ने आगे कहा कि इंटरनेशनल मैचों में कमी से सीधे तौर पर उत्पन्न राजस्व पर चोट होगी और इससे घरेलू क्रिकेटरों को चोट पहुंचेगी क्योंकि अनुबंधित खिलाड़ी खेले जाने वाले खेलों से प्रभावित नहीं होते हैं। उन्होंने कहा, "कोहली ने इंटरनेशनल मैचों के बारे में बात करते हुए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु उठाया है, जहां उन्होंने शेड्यूलिंग के महत्व के बारे में बात की है। लेकिन उन्होंने आईपीएल के शेड्यूलिंग के बारे में कोई बात नहीं की। अगले साल से दो नई टीमें आईपीएल में और जुड़ जाएंगी, ऐसे में तो टूर्नामेंट और लंबा होगा। तब क्या होगा।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari