राहुल के विकेटकीपर बनने से खुश सहवाग, बताया धोनी और कोहली की कप्तानी में क्या है अंतर
कानपुर। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खत्म हुई वनडे सीरीज के बाद टीम इंडिया को धोनी का विकल्प मिल गया। केएल राहुल ने इस सीरीज में विकेटकीपिंग भी संभाली और फिनिशर का रोल भी निभाया। इससे भारतीय टीम मैनेजमेंट के साथ-साथ कप्तान विराट कोहली भी काफी खुश हुए। केएल राहुल को लेकर पूर्व भारतीय ओपनर वीरेंद्र सहवाग भी यही राय रखते हैं। वीरू केएल राहुल की विकेट कीपिंग से काफी प्रभावित हैं और उन्हें लगता है कि टीम प्रबंधन को कर्नाटक के खिलाड़ी के साथ लंबे समय तक काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि जब एमएस धोनी ने भी विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में टीम में जगह बनाई थी। इसलिए वह चाहते हैं कि प्रबंधन राहुल को फिनिशर बनाने के साथ-साथ टीम में विकेट कीपर भी रखे।राहुल के विकेटकीपर बनने से खुश सहवाग
क्रिकबज से बातचीत में सहवाग ने आगे कहा, 'यदि केएल राहुल नंबर 5 पर चार बार बल्लेबाजी करने में विफल रहते हैं तो वर्तमान भारतीय टीम प्रबंधन अपना स्लॉट बदलने के लिए देखेगा। हालांकि, धोनी के साथ ऐसा नहीं था वह जानते थे कि इस तरह के पोजीशन पर एक अच्छे खिलाड़ी का होना कितना महत्वपूर्ण है क्योंकि वह खुद कड़ी मेहनत कर यहां पहुंचे थे।' सहवाग ने एमएस धोनी की कप्तानी शैली के बारे में भी बात की और कहा कि वह हमेशा खिलाड़ियों को लेकर स्पष्ट रहते थे, किस खिलाड़ी की क्या भूमिका है इसके बारे में माही को पता रहता था। खिलाड़ी को देना चाहिए समयसहवाग ने आगे कहा, 'शीर्ष क्रम के साथ सीमित ओवर के क्रिकेट में कुछ समय के लिए यह आसान हो जाता है, लेकिन जब आप मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज हों तो कप्तान से समर्थन की जरूरत होती है। यदि आप खिलाड़ियों को समय नहीं देते हैं, तो वे कैसे सीखेंगे और बड़े खिलाड़ी बनेंगे? सहवाग ने अपने खेल के दिनों को याद करते हुए कहा, 'मैं खुद ओपनिंग से पहले मध्य क्रम में बल्लेबाजी करने आता था, जहां बहुत सारी गलतियाँ कीं, जिसके परिणामस्वरूप टीम की हार भी हुई। लेकिन आप बेंच पर बाहर बैठे बड़े खिलाड़ी नहीं बनते। खिलाड़ियों को समय चाहिए।'राहुल की विकेटकीपिंग से टीम को फायदा
राहुल के विकेटकीपिंग करने को लेकर भारतीय कप्तान विराट कोहली ने कहा था, 'यह एक एक्स्ट्रा बल्लेबाज की कमी पूरा करता है जिससे टीम को मजबूती मिलती है। टीम संतुलन बनाए रखने के लिए यह काफी जरूरी है।' भारतीय कप्तान ने आगे कहा, 'अगर आप 2003 वर्ल्डकप पर नजर डालें तो राहुल भाई (द्रविड़) ने विकेटकीपिंग शुरु कर दी थी। जिसके बाद टीम का संतुलन बन गया क्योंकि इससे आपको एक अतिरिक्त और बेहतरीन बल्लेबाज को टीम में रखने की छूट मिल जाती है।' केएल राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के पहले मुकाबले में नंबर तीन पर बल्लेबाजी की तो दूसरे मैच में पांचवें नंबर पर आकर छक्के छुड़ाए।