- मेयर व कमिश्नर के बीच चल रहे द्वंद्व का निकला नतीजा

- हाईकोर्ट के आदेश के बाद कमिश्नर को हटना पड़ा

- एडवोकेट पैनल में हिमकर की नियुक्ति और दस लाख की योजना के बाद बढ़ता गया मामला

PATNA : लगभग डेढ़ साल हो गए, मेयर व कमिश्नर के बीच का द्वंद्व अब जाकर खत्म हुआ, जब कमिश्नर को गवर्नमेंट ने सस्पेंड कर हटा दिया है, लेकिन इस बीच हर दिन काम के बजाय विवाद ही बढ़ता गया और इस दौरान गवर्नमेंट की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया गया। नतीजा हुआ कि पब्लिक का डेढ़ साल बर्बाद हो गया। वो काफी पीछे छूट गए और उनका कोई भी काम निगम से नहीं हो पाया। ताजुब की बात थी कि पब्लिक पूरे प्रकरण के लिए दोनों को ही दोषी मान रही थी, लेकिन एक नौकर शाह को हटाने के बाद मेयर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है। खैर इन विवादों की बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री से भी पहले शुरू हुई लेकिन तूल उस समय पकड़ा जब कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री से जुड़े बड़े नामों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया। इसके बाद से इनके खिलाफ तमाम तरह के एक्शन प्लान शुरू कर दिया गया।

पहला विवाद - एडवोकेट पैनल को रद्द कर नए पैनल की नियुक्ति, इसमें एचएम हिमकर को लेने का मसला उठा तोमेयर व कमिश्नर के बीच विवाद बढ़ गया।

दूसरा विवाद - हर वार्ड में दस लाख की योजना का संलेख लाने के लिए स्टैंडिंग कमेटी ने कहा, लेकिन बिना संलेख के ही स्टैंडिंग कमेटी और बोर्ड से दस लाख की योजना को पास कर दिया गया। इस दौरान विपक्ष के कुछ चेहरे ने एजेंडे का विरोध किया जो बाद में कमिश्नर के साथ हो गए।

तीसरा विवाद - हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्लानिंग रिपोर्ट को रोक दिया गया। इसके बाद हर बिल्डिंग की जांच शुरू कर दी। शुरुआती दौर में मेयर व उनके गुट को लगा कि यह नॉर्मल प्रॉसेस है। धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा, लेकिन बोरिंग रोड पहुंचते ही मामला बढ़ गया।

चौथा विवाद - बोरिंग रोड स्थित बुद्धा इन होटल की जांच की गई तो मेयर भी मौजूद थे। रिपोर्ट में मेयर का नाम डालते हुए लिखा गया कि इनके सामने बिल्डिंग की नापी हुई है। उसमें विचलन पाया गया है। इस घटना के बाद से दोनों के बीच दूरी और विवाद बढ़ गया।

पांचवां विवाद - पक्ष और विपक्ष दो ग्रुप में बंट गए। मेयर पक्ष के लोगों का मानना था कि वो विपक्षी को अपने साथ लेकर निगम बोर्ड का काम नहीं होने देना चाह रहे हैं। इसके बाद से दोनों ओर से एक दूसरे पर बयान जारी किया गया।

छठा विवाद - जून में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। उसमें मेयर की जीत हुई। इसके बाद मेयर व विपक्षी के बीच और भी खायी बढ़ गयी। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। इसी बीच निगम कैंपस में कैमरा लगाने और मेयर के चेंबर में चाभी लगाने के मामले ने तूल पकड़ा, इसी वजह से डिप्टी कलक्टर ने बोर्ड में जाने से इंकार कर दिया।

सातवां विवाद - विवाद के बाद निगम बोर्ड की बैठक में कमिश्नर ने जाना छोड़ दिया। उस समय डिप्टी कमिश्नर प्रभु राम थे। वही जाया करते थे। इस दौरान मेयर और कमिश्नर एक दूसरे पर काम नहीं करवाने का आरोप लगाते रहे।

आठवां विवाद - राजेंद्र नगर में वाटर लागिंग हुई तो मेयर ने कमिश्नर पर नाला उड़ाही में अनियमितता का सवाल उठाया। वहीं कमिश्नर की ओर से भी मेयर पर कई सवाल के तीर छोड़े गए थे।

नौंवां विवाद - इसी बीच पटना सेंट्रल के इनॉगरेशन का मामला आया। इस पर निगम निगरानी कोर्ट द्वारा रोक लगी थी। इसके बाद भी इसे चालू करवाया गया। पटना सेंट्रल को बंद कराने के लिए कमिश्नर कोर्ट तक पहुंच गए। यह भी मेयर और कमिश्नर के बीच की खाई को बढ़ाती चली गयी।

दसवां विवाद - स्टैंडिंग कमेटी की मेंबर आभालता ने कमिश्नर और उनके पांच ऑफिसर के खिलाफ निगरानी जांच की बात उठायी। जांच के बाद से निगम कमिश्नर और स्टैंडिंग कमेटी के बीच की खाई का आखिरी दौर था। इसी बीच गवर्नमेंट ने कमिश्नर को सस्पेंड कर दिया।

गवर्नमेंट ने इन कारणों से निगम कमिश्नर को हटाया

- फॉगिंग मशीन की खरीदारी नहीं की।

- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में कार्रवाई नहीं।

- पटना शहरी क्षेत्र में अतिक्रमण एवं अवैध निर्माण नहीं रोक पाए।

- नगर निगम में वित्तीय अनियमितता, आवंटित राशि खर्च नहीं हुई।

- निगम क्षेत्र में सफाई एवं विकास कार्य नहीं हुए।

Posted By: Inextlive