यद्यपि भगवान क्षणभर भी सोते नहीं फिर भी भक्तों की भावना-'यथा देहे तथा देवे' के अनुसार भगवान चार मास शयन करते हैं। वहीं देवोत्थापनी एकादशी के साथ भगवान विष्णु क्षीर निंद्रा से जाग गए। इस दिन से सभी मंगल कार्य किए जा सकते हैं। जानें विवाह के शुभ-मुहूर्त व तीरीखें...


भगवान विष्णु के क्षीरशयन के विषय में यह कथा प्रसिद्ध है कि भगवान ने भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नामक राक्षस को मारा था और उसके बाद थकावट दूर करने के लिए क्षीरसागर में जाकर सो गये। वे वहां चार मास तक सोते रहे और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागे। इसी से इस एकादशी का नाम 'देवोत्थापनी' या 'प्रबोधनी एकादशी' पड़ गया जो इस वर्ष शुक्रवार 8 नवम्बर 2019 को पड़ी थी।17 नवंबर से सूर्य-वृश्चिक करेगा प्रवेशचार मासों में सभी प्रकार के शुभ कर्म वर्जित होते हैं जो इस वर्ष 12 जुलाई से बंद था।  प्रबोधनी एकादशी से मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते  हैं, लेकिन सूर्य के तुला राशि में हैं। वृश्चिक का सूर्य से विवाह आरम्भ होता है। सूर्य वृश्चिक राशि में 17 नवम्बर को दिन में 12:34 बजे प्रवेश कर रहे हैं।
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नवंबर की 19 तारीख से शुरू हो जाएंगे विवाह। ये हैं बाकी के शुभ-मुहूर्त की डेट-19,20,21,22,23,24,27,28,29,30,दिसम्बर में- 1,5,6,7,11,1216 दिसम्बर से खरमास दोष आरम्भ हो रहा है अत: विवाहादि शुभ मुहूर्त-14 जनवरी 2020 तक वर्जित है।-ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्र



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Posted By: Vandana Sharma