अंतत: अब मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले में सीबीआई अपनी जांच शुरू करने जा रही है। करीब 50 जानों को लील चके इस बहुचर्चित घोटाले की जांच के लिए 40 लोगों की टीम बनाई गई है जो भोपाल में जांच की जिम्मेदारी एसटीएफ़ से लेगी। इस टीम का नेतृत्व मेघालय कैडर के आईपीएस अधिकारी और राजस्थान के भंवरी देवी कांड की जांच का दायित्व उठा चुके आर पी अग्रवाल संभालेंगे।


पिछले दिनों मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम की भर्ती परीक्षाओं में हुए घोटाले की जांच की जिम्मेरदारी सीबीआई को सौंपने का फैसला किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय जांच दल ने सोमवार 13 जुलाई से मामले की जांच का काम शुरू कर दिया है। पहले चरण में राजस्थवन में भंवरी देवी कांड की तहकीकात के दौरान चर्चा में आए आईपीएस अधिकारी आर पी अग्रवाल के नेतृत्व में 40 लोगों की टीम भोपाल पहुंच कर एसटीएफ से केस को अपने हाथों में ले लेगी।
व्यापंम के घेरे में आए कई लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने शिवराज सिंह सरकार की नींद उड़ा रखी थी, लेकिन हाल में जब इस मामले की तहकीकात कर रहे एक पत्रकार और जांच से जुड़े एक मेडिकल शिक्षक की रहस्यमय हालत में मौत हुई तो उसकी प्रतिक्रिया देश भर में हुई। नतीजा यह हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने के आदेश दिए। क्या है व्यापंम घोटाला


यह घोटाला इतना बड़ा दिख रहा है कि सीबीआइ के लिए भी जल्द इसकी तह तक जाना आसान नहीं होगा। मध्य प्रदेश में सिपाहियों, संविदा शिक्षकों की भर्ती परीक्षा के साथ मेडिकल कालेजों में प्रवेश परीक्षा का आयोजन व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा किया जाता है। पिछले कई वर्षों से व्यापम की ओर से होने वाली भर्तियों और परीक्षाओं में धांधली की जा रही थी। यह धांधली इस हद तक की जा रही थी कि किसी परीक्षार्थी की जगह कोई और परीक्षा देता था अथवा पैसे लेकर सीधे ही किसी को उत्तीर्ण घोषित कर दिया जाता था। एक अनुमान के मुताबिक इस धोखाधड़ी के जरिये सैकड़ों लोगों ने अनुचित तरीके से या तो मेडिकल कालेजों में प्रवेश प्राप्त किया या फिर तृतीय श्रेणी की सरकारी नौकरियां हासिल कीं। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की मानें तो लाखों लोग इस धांधली के जरिये लाभान्वित हुए। उनके आंकड़े पर भरोसा करना कठिन है, लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब व्यापम सरीखी संस्थाओं के कामकाज में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आई हो। व्यापम में धांधली से भर्तियों के लिए लाखों की घूस लिए जाने की बात आ रही है।

अब सीबीआइ ही यह पता लगा सकती है कि धांधली के इस खेल में कुल कितने धन का लेन-देन हुआ और इसमें कौन-कौन से राजनेता, नौकरशाह, शिक्षक और छात्र शामिल हैं। कांग्रेस ने इस घोटाले को 2जी से भी बड़ा घोटाला करार दिया है। अब तक इस मामले में जांच ठोस तरीके से आगे नहीं बढ़ी और जांच के दौरान एक के बाद एक आरोपियों और गवाहों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले सामने आने लगे। देश-दुनिया में शायद ही कहीं किसी घोटाले में इतने आरोपियों अथवा गवाहों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई हो।

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Posted By: Molly Seth