Meerut : कोई भी सामान खरीदने पर भरोसा ही होता है जो कंपनी डीलर की ओर से ग्र्राहक को मिलता है. बहुत तकलीफ होती है जब खरीदार को दिए भरोसे को चोट पहुंचाई जाए. ‘वारंटी’ शब्द से लोगों का भरोसा उठ रहा है. कार हो या बाइक के ग्र्राहक ज्यादातर इस धोखाधड़ी को जान चुके हैं. लेकिन चुप रहने की जरूरत नहीं है. इनकी शिकायत कीजिए. कंपनी को मेल कीजिए. जरूरत पड़े तो कंज्यूमर कोर्ट में जाकर भी शिकायत दर्ज कराने से मत चूकिए...


बड़े धोखे हैं इस राह में कार खरीदने पर दो से तीन साल की वारंटी मन को सुकून देती है। लेकिन जब नई कार में कोई खराबी हो जाए और वारंटी कार्ड लिए उसे सेंटर पर ले जाएं तो सुकून पीड़ा में बदल जाती है, क्योंकि बताया जाता है कि जो खराबी है उसकी वारंटी नहीं मिलेगी। खुद को परेशानी में खड़ा देख मजबूरन गाड़ी ठीक कराने के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं।


केस 1- सलमान ने बताया, मैंने छह महीने पहले एक शोरूम से बाइक ली थी। बाइक में छह महीने बाद ही खराबी आ गई। बाइक धुंआ देने लगी थी। जब शोरूम लेकर गया तो उन्होंने बोला कि ये पेट्रोल की खराबी से आई है। मैंने कहा कि वारंटी में तो ठीक होगी, लेकिन मना कर दिया गया। करीब 20 दिन ठीक होने में लगे। वो भी एक फॉर्म पर साइन करा लिया कि मैं मानता हूं कि खराबी पेट्रोल की वजह से हुई है और भविष्य में मैं किसी वारंटी का हकदार नहीं होऊंगा। तब भी मुझे 3 हजार रूपए बाइक ठीक कराने में देने पड़े।

केस 2- वीपी चतुर्वेदी एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि  एक साल पहले मैंने मारुति कार ली थी। शुरूआत में कार ठीक चल रही थी। लेकिन कुछ दिन बाद पिकअप कम हो गया। मैंने कंपनी के सर्विस सेंटर पर दिखाया तो पता चला कि इंजन बैठ गया है, खोलना पड़ेगा। नई गाड़ी में खराबी आने से मैं सहम गया। शोरुम के इंजीनियर ने बताया कि वारंटी में ठीक नहीं होगी। गड़बड़ी की वजह पेट्रोल को बताकर पल्ला झाड़ लिया गया। आखिरकार मुझे 10 हजार रुपए खर्च करके गाड़ी ठीक करानी पड़ी। किस पर है वारंटी वारंटी अक्सर गाडिय़ों में इंजन, एक्सल, शॉकर्स की दी जाती है। फिल्टर्स, बाइंडिंग, पिस्टन, वॉल आदि में कस्टमर से पैसे लिए जाते हैं। रेस या एक्सीडेंटल से खराब हुई गाड़ी में भी वारंटी नहीं दी जाती। वारंटी सभी कार कंपनियां दो साल की देती हैं। इसे एक साल एक्सटेंड कराया जा सकता है। बाइक्स में भी इंजन, शॉकर्स आदि में वारंटी दी जाती है। लेकिन अन्य खराबी आने पर ग्राहक को ही पैसे देने पड़ते हैं। बाइक में दो साल की वारंटी दी जाती है, जबकि वारंटी एक्सटेंड कराई जा सकती है.  क्या है परिभाषा

A warranty of malfunctioning is an agreement offered by a seller (or a producer) to a consumer to replace or repair a faulty item, or to partially or fully reimburse the consumer in the event of a failure।'कार में इंजन, एक्सल और शॉकर्स में वारंटी दी जाती है। बाकी सभी खामियों के लिए ग्राहक को पेमेंट करनी ही होती है। साथ ही अगर पेट्रोल की खराबी से कार में कोई प्रॉब्लम आई है तो ये वारंटी में नहीं आता है। इसके बावजूद गुडविल के लिए कंपनी एक बार कार को ठीक कराती है, जिसमें कम से कम पैसे देने होते हैं। अशोक चौहान, सर्विस मैनेजर, तान्या ऑटो शोरूम'बाइक में पेट्रोल के कारण से अधिक दिक्कत आ रही हैं। ऐसे में केस में कंपनी वारंटी नहीं देती है। साथ ही जो सामान घिस जाता है उस पर भी वारंटी नहीं दी जाती। बाकी किसी भी तरह की दिक्कत पर वारंटी दी जाती है.'परवीन, सर्विस मैनेजर वासुदेव होंडा

Posted By: Inextlive