जून महीने की शुरूआत में पुणे के रहने वाले दिनेश राठौड़ और उनकी पत्नी तारकेश्वरी राठौड़ ने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद इस लक्ष्‍य को हासिल करने वाले प्रथम भारतीय दंपत्‍ति होने का दावा किया था। पर अब उन पर आरोप है कि उनका ये कहना गलत था और उन्‍होंने झूठे सबूतों के आधार पर ऐसा हा है। दावे की जांच के आदेश दिए गए हैं। पर्वतारोहियों के संगठन ने इस दंपत्‍ति की पुलिस से शिकायत की और कहा है कि उन्‍होंने जिन तस्वीरों को दिखाकर एवरेस्ट फतह का दावा किया हैं वे फर्जी और फोटोशॅपिंग का कमाल हैं।

जांच होगी मामले की
तारकेश्वरी राठौड़ और दिनेश राठौड़ महाराष्ट्र पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। गत पांच जून को दोनों ने दावा किया था कि उन्होंने एवरेस्ट की चढ़ाई सफलतापूर्वक पूरी की है। ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय दंपती हैं। अब उन पर आरोप है कि उनका दावा झूठा है। पुणे पुलिस आयुक्त का कहना है कि कुछ पर्वतारोहियों के संगठनों ने उनके ऊपर फोटोशॉप से तस्वीरें तैयार करके एवरेस्ट विजय का दावा किया है हकीकत में उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है। उनकी शिकायत के आधार पर पुलिस को जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच पूरी होने तक दोनों ड्यूटी पर नहीं आएंगे

Original pic                                                                             False pic

छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों से
पुणे के पर्वतारोहियों के संगठन के सचिव सुरेंद्र शेल्के ने आरोप लगाया था कि राठौड़ दंपत्ति ने तस्वीरों में छेड़छाड़ की है। उन्होंने अपने आरोप के पक्ष में बताया कि यदि आप दिनेश का अकेले का चित्र देखें तो उसमें चोटी पर वह लाल और काले रंग की लंबी जैकेट पहने खड़े हैं। वहीं दोनों का साथ में जो चित्र है, उनमें दोनों नारंगी रंग की लंबी जैकेट और पीले व काले रंग के जूते पहने हुए हैं। इस बारे में छह बार एवरेस्ट फतह कर चुके पर्वतारोही गेविन बेट का कहना है कि बीच चढ़ाई के दौरान कपड़े बदलना असंभव है, क्योंकि ठंड के चलते इसमें शरीर सुन्न हो जाने का खतरा रहता है। पर्वतारोहियों का कहना है कि उन्हें सौ फीसद विश्वास है कि ये चित्र बेस कैंप या स्टूडियो के हैं। बाद में इन्हें कांट-छांटकर तैयार किया गया है।
सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्था ने बताया दावे को सही
वहीं एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रशिक्षण और विजय का प्रमाण जारी करने वाले काठमांडु की संस्था मकालु एडवेंचर के मोहन लामसाल का कहना है कि राठौड़ दंपत्ति के दावे में कोई भेद नहीं है। उनको नेपाली अथॉरिटीज द्वारा पूरी जांच और साक्षात्कार के बाद प्रमाणपत्र जारी किया गया है।

एवरेस्ट पर चढ़ने की खातिर नहीं दिया संतान को जन्म
वहीं महाराष्ट्र पुलिस में कार्यरत दिनेश राठौड़ और तारकेश्वरी राठौड़ ने साथ-साथ माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का संकल्प लिया था। वर्ष 2008 में शादी के बाद से ही यह जोड़ा साथ मिलकर माउंट एवरेस्ट फतह करने के सपने देख रहा था। आखिरकार विवाह के आठ साल बाद 23 मई को विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने का इनका सपना पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि वे इसके साथ ही माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले भारतीय दंपती बन गए। इसी वजह से इनके साथी इन्हें "एडवेंचर कपल" के नाम से पुकारने लगे। एवरेस्ट फतह के बाद दोनों ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि शादी के समय से ही वे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के सपने देख रहे थे। दिनेश ने बताया कि उन्होंने यहां तक फैसला कर लिया कि जब तक एवरेस्ट फतह नहीं कर लेंगे तब तक बच्चे को भी जन्म नहीं देंगे। 2006 में महाराष्ट्र पुलिस में जाने से पहले ये दोनों आस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ चुके थे।
Images courtesy: Mailonline

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Posted By: Molly Seth