World Habitat Day 2017: दुनिया की 9 बड़ी झुग्गी बस्तियों में जीवन
दूसरे नंबर पर आता है मैक्सिको सिटी का नेजा चाल्को इत्जा स्लम, इसकी आबादी करीब 4 मिलियन बताई जाती है। 1960 से लगातार बढ़ रही मैक्सिको के इस स्लम की आबादी की तुलना में वहां की सरकार घर उपलब्ध कराने में असर्मथ रही है। तमाम चैरिटेबल संस्थाओं के सहयोग के बावजूद भी वहां इस समस्या का हल अब तक नहीं निकल पाया है।
किबेरा, नैरोबी
केन्या के शहर नैरोबी से करीब सात किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में मौजूद है किबेरा की झुग्गी बस्ती, जिसकी आबादी तकरीबन 2.5 मिलियन है। इसका स्थान दुनिया में तीसरा है। ये बस्ती नैरोबी के पूरे क्षेत्र में से करीब 6 प्रतिशत जमीन पर कब्जा किए हुए है। यहां मौजूद झुग्गियों में से केवल 20 प्रतिशत के बास ही लाइट की सुविधा मौजूद है बाकी सारी बस्ती रात होने पर अंधेरे में डूब जाती है, जिससे कई अपराधों को भी यहां शरण मिल जाती है।
ओरंगी टाउन, पाकिस्तान
चौथे नंबर आती है पाकिस्तान की ओरंगी टाउन झुग्गी बस्ती जिसकी आबादी लगभग 1.8 मिलियन बताई जाती है। दुनिया के सबसे बड़े स्लम में से एक ओरंगी टाउन के तेजी विकसित होने की वजह तेजी से बढ़ता ग्लोबलाइजेशन भी है। यहां की 80 प्रतिशत आबादी अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करती है। यहां साफ पानी की जबरदस्त किल्लत है जिसके चलते लोगों को वाटर टैंकरों से साफ पानी खरीदना पड़ता है।
मिस्र के काहिरा और इजिप्ट जैसे इलाकों में आवास काफी महंगे हैं जो कम आमदनी वाले लोगों के लिए खरीदना लगभग नामुमकिन हैं। जाहिर है कि वो लोग झुग्गियों में रहने के लिए मजबूर है और इसीलिए विकसित हुआ यहां का सबसे बड़ा स्लम मन्सिएट जो विश्व में पांचवे नंबर पर आता है। इसकी आबादी करीब 1.5 मिलियन आंकी गई है।
धारावी, मुंबई
छठे नंबर पर आता है मुंबई का सबसे बड़ा स्लम माना जाने वाला धारावी क्षेत्र जिसकी आबादी लगभग 1 मिलियन आंकी गई है। हालाकि अब इसका ये स्टेटस खत्म होता बताया जा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र के कई और झुग्गी एरिया आबादी में 1 मिलियन के बराबर या आगे निकलने के दावे सामने आ रहे हैं। 1960 के बाद देश के विभिन्न हिस्सों से माइग्रेट हो कर मुंबई आने वाले लोगों से बना ये स्लम अब विशाल रूप ले चुका है। यहां रहने वाले लोगों में से 40 प्रतिशत के करीब कमजोर आर्थिक स्थिति वाले हैं और 39 प्रतिशत के लगभग निम्न आयवर्ग से आते हैं।
हैती के इस सबसे सघन बसे स्लम का नंबर विश्व में सातवां है। इसकी आबादी 400 हजार बताई जाती है। एक आकलन के अनुसार इस झुग्गी बस्ती में बच्चों और किशोरों की आबादी सबसे ज्यादा है। इसकी वजह ये बताई जाती है कि यहां एडस जैसी बीमारियां अपने विकरालतम रूप में फैली हैं। जिसके चलते लोग 50 से 52 वर्ष की आयु पूरे करते करते मृत्यु का शिकार बन जाते हैं।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यहां आये शरणार्थियों के चलते बना साउथ अफ्रीका का ये स्लम आज अपराध और बीमारियों का गढ़ बन चुका है। इसकी सबसे बड़ी वजह है यहां की 390 हजार की आबादी में से 80 प्रतिशत का बेरोजगार होना।
रोसिन्हा, ब्राजील
रियो डी जेनेरियो के पहाड़ी इलाके में ढलान पर बना ये स्लम ब्राजील में ड्रग ट्रैफिकिंग जैसे अपराधों का अड्डा बन चुका है। इसकी आबादी करीब 69 हजार है। बाकी स्लम्स की तुलना में ये थोड़ा बेहतर कहा जा सकता है क्योंकि इन्हें दिन में एक बार पानी, परिवहन और एक मैकडॉनल्ड्स जैसी सुविधा का लाभ उठाने का अवसर मिल जाता है।
करीब 52 हजार की आबादी वाला अमेरिका का ये स्लम वाकई हैरान करता है। हालाकि धीरे धीरे इसके आसपास का इलाका करोड़पतियों ने मनमाने दामों पर खरीदना शुरू कर दिया है, पर अब भी यहां रहने वाले लोग गरीबी रेखा के नीचे गुजर कर रहे हैं। टैक्सास के पास बसी हिडाल्गो काउंटी झुग्गी बस्ती में पानी, बिजली और सामान्य घरों जैसी बुनियादी सुविधाओं का खासा आभाव है। इसीलिए यहां पर लोग टैंट, कार्डबोर्ड और लकड़ी के फट्टों से घर बना कर रहने के लिए मजबूर हैं।
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