तो तीस साल बाद आगरा बन जाएगा 'रेगिस्तान'
रेगिस्तान जैसा होगा नजारा
जब धरती के नीचे पीने के पानी के स्रोत तक सूख चुके होंगे। धीरे-धीरे ही सही लेकिन, आगरा की जमीन पर लोगों की आंखे ग्रीनरी नाम की चीज देखने के लिए तरस जाएंगी। तब शायद आगरा का नजारा किसी रेगिस्तान से कम नहीं लगेगा। आगरा सीमा के अंदर का जल स्तर बहुत तेजी से नीचे की ओर खिसकता जा रहा है। भूगर्भ डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड के मुताबिक हर साल तीन फीट तक भूगर्भ जल नीचे गिर रहा है। तीस साल बाद यह एक दिन जीरो हो जाएगा।
Figure speak
-जनसंख्या करीब 18 लाख।
-वाटर प्लांट लगभग 2000.
-1 लीटर पानी के लिए जमीन से 10 लीटर पानी का दोहन।
-बॉटल के जरिए परडे 40 लाख लीटर पानी की सप्लाई।
-3 फीट हर साल नीचे खिसक रहा जमीन का पानी।
-आगरा के 7 ब्लॉक डिक्लेयर हो चुके हैं डार्क जोन।
ये हैं डार्क ब्लॉक
Water disaster in city after 30 year-बरौली अहीर
-बिचपुरी
-शमशाबाद
-खंदौली
-फतेहपुर सीकरी
-अकोला
-सैया
मानसून से पहले और बाद में
Blocl Pre Post
शमशाबाद 37.20 37.29
फतेहाबाद 36.24 35.12
जैतपुरकला 34.20 33.90
सैया 32.53 33.30
पिनाहट 31.53 31.49
खंदौली 29.36 29.17
बरौली अहीर 24.85 23.50
अकोला 20.75 20.50
बाह 29.50 29.40
बिचपुरी 25.27 24.30
एत्मादपुर 25.83 25.12
फतेहपुर सीकरी 14.82 12.50
जगनेर 12.50 7.75
खेरागढ़ 18.80 16.30
अछनेरा 10.96 8.75
(ब्लॉक्स में लास्ट ईयर 2012 के मानसून के दौरान ग्राउंड वाटर लेवल मीटर में)
फिलहाल, Out of Control
कानून के जानकार और एडवोकेट कश्मीर सिंह बताते है कि मौजूदा टाइम में पानी के अति दोहन को रोकने के लिए कोई कानून काम नहीं कर रहा है। लेकिन, सवाल यह है कि जो कुछ रूल्स है उसी का पालन कितना हो रहा है। वाटर रीचार्जिंग को लेकर आगरा में उस लेवल की सीरियसनैस नहीं दिखती, जिस लेवल की यहां पानी की प्रॉब्लम खड़ी हो गयी है। अगर ऐसा नहीं होता तो एडीए 300 वर्गमीटर और उससे ऊपर के प्लांट्स के कंस्ट्रक्शन के साथ ही रैन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर सिस्टम हर हाल में तैयार कर देता। लेकिन, जमीनी हकीकत इससे उलट है। 300 वर्गमीटर की बिल्डिंग्स का मेप बिना रैन वाटर हार्वेस्ंिटग सिस्टम के ही पास कर दिया जाता है। सवाल यह भी उठता है कि आखिर जहां रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं है, वहां कानून का पालन करने के नाम पर एडीए ने चुप्पी क्यों साध रखी है।
यह तो ऊंट के मुंह में जीरा है
फोरेस्ट डिपार्टमेंट की ओर से छोटे-छोटे प्रयास किए है। डिपार्टमेंट की ओर से कुछ जगह वाटर बॉडीज डेवलेप करने का काम किया गया है। ग्राउंड वाटर रीचार्ज के लिए ताजगंज के कुछ एक एरियाज की आबादी के वेस्ट वाटर को ताज वन ब्लॉक एरिया में एक झील बनाकर रोका गया है। इसके अलावा ककरैठा वेटलैड के जरिए भी फोरेस्ट वाटर रीचार्ज का काम कर रहा है। यही प्रैक्टिल फोरेस्ट ने बाह-फतेहाबाद एरियाज के जंगलों में भी किया है। यहां भी ग्राउंड वाटर रीचार्ज के लिए वाटर बॉडीज बनाकर पानी को जमा किया जा रहा है।
आगरा की जमीन के नीचे पानी समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। हालात यह हो चुके है कि जमीन के नीचे बमुश्किल तीस साल तक के लिए ही पानी बचा हुआ है।
वीके उपाध्याय, सीनियर जियोफिजिसिस्ट
धरती का सीना चीर कर पानी का दोहन किया जा रहा है। अब तो अति हो गयी है। इस अतिदोहन की सिचुएशन फ्यूचर में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसा देगी।
बृज खंडेलवाल, पर्यावरणविद्
धरती के अंदर मौजूद वाटर रिर्सोसेज के मामले में मनमानी की जा रही है। बॉटल के जरिए घर-घर पानी सेल कर मुनाफा कमाकर जमीन के पानी का अतिदोहन हो रहा है और इसे रोकने के लिए मौजूदा टाइम में कोई कानून नहीं है। ग्राउंड वाटर ड्राफ्ट को लागू होने में भी अभी टाइम लगेगा।
विवेक साराभाई एडवोकेट
जब जमीन के अंदर पानी खत्म हो जाएगा। तब पब्लिक क्या करेगी। पानी का अंधाधुंध दोहन तो हर हाल में बंद होना ही चाहिए। क्योंकि अगर यह बंद नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ी के लिए एक पानी बचेगा ही नहीं।
सुरेंद्र शर्मा, प्रेसीडेंट बृज मंडल हैरिटेज कन्जरवेशन सोसाइटी
एडीए में जो भी मेप पास होता है, उसमें रैन वाटर हावेस्टिंग सिस्टम हर हाल में अनिवार्य है। जो लोग इसका पालन नहीं करते हैैं। उनके अंगेस्ट लीगल एक्शन भी लिया जाता रहता है।
सुनीता यादव, उपसचिव
फोरेस्ट डिपार्टमेंट ने ताज वन ब्लॉक, ककरैठा सहित अपने कई फोरेस्ट एरियाज में वाटर बॉडीज बनाई हैैं। मकसद यही है कि इन वाटर बॉडीज के जरिए ग्राउंड वाटर रीचार्ज हो सके।
एनके जानू डीएफओ