यह भी जानें

-58 पीजोमीटर लगे थे पहले

-15 पीजोमीटर बचे हैं अब

-14 लाख शहर की पॉपुलेशन

-815 डेयरियों में सबमर्सिबल से हो रही पानी की बर्बादी

-81 ट्यूबवेल

- 40 ओवरहैड टैंक

-2000 हैंडपंप

- पीजोमीटर की जगह पर बन गई बिल्डिंग, कहां गए पीजोमीटर किसी को नहीं पता

-सबमर्सिबल से डेली हजारों लीटर पानी हो रहा बर्बाद, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान

बरेली: शहर का वाटर लेवल हर दिन गिर रहा है, लेकिन जिम्मेदार आंखें मूंदे हैं। यह हम नहीं, शहर के हालात बता रहे हैं। वाटर लेवल कैल्कुलेट करने के लिए जगह-जगह 58 पीजोमीटर लगाए गए थे, लेकिन आज सिर्फ 15 बचे हैं। वाटर लेवल गिरने के साथ ही पीजोमीटर धीरे-धीरे गायब होते गए। अधिकारियों की अनदेखी या यूं कहें कि गिरते वाटर लेवल की रिपोर्ट छिपाने के लिए वाटर लेवल गायब कर दिए। यानी अब बिना पीजोमीटर अधिकारी वाटर लेवल कैसे पता कर रहे हैं, यह राम ही जानें।

लाखों रुपए कर दिए बर्बाद

शासन की ओर वाटर लेवल की सही स्थिति पता करने के लिए पीजोमीटर लगाए गए थे, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते लाखों रुपए की पीजोमीटर कहां गए, किसी को कानोंकान खबर नहीं। वो भी तब, जब शहर पानी की कमी से जूझ रहा है।

डार्क जोन में रामनगर ब्लॉक

शहर में अंडर ग्राउंड वाटर लेवल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के रामनगर ब्लॉक को भू-गर्भ जल विभाग ने डार्क जोन घोषित किया है। जांच में इस ब्लॉक का वाटर लेवल कई साल से लगातार गिरता पाया गया है।

सबमर्सिबल लगाओ, पानी बहाओ

शहर में लगभग हर घर में सबमर्सिबल लगा हुआ है, जिससे बेतहाशा पानी की बर्बादी की जा रही है। यहां 815 ऐसी डेयरियां हैं, जिनमें सबमर्सिबल लगे हैं। डेयरी ओनर सबमर्सिबल से डेली सैकड़ों लीटर पानी बहा रहे हैं। गाय-भैंस का सारा गोबर सबमर्सिबल के जरिए नाली-नालों में बहा देते हैं, जिससे पानी तो बर्बाद होता ही है। साथ में नालियां भी चोक हो जाती हैं।

वाटर लेवल पर डिपेंडेंट

शहर की आबादी करीब 14 लाख है, साफ पानी की मांग पूरी करने के लिए यहां 81 ट्यूबवेल और 40 ओवरहेड टैंक बने हुए हैं। सभी अंडर ग्राउंड वाटर लेवल पर निर्भर हैं। वहीं 2000 हैंडपंप हैं, जो अंडर ग्राउंड वाटर लेवल पर डिपेंडेट हैं।

शहर में रामनगर ब्लॉक को डार्क जोन में रखा गया है। यहां वाटर लेवल डेंजर लेवल तक नीचे आ गया है। लोगों को भी अवेयर होने की जरूरत है। ओवरहेड टैंक, ट्यूबवेल और हैंडपंप से लगातार पानी का दोहन हो रहा है, जो भविष्य में भारी दिक्कत देगा।

दिनेश सिंह, हाइड्रियोलॉजिस्ट।

Posted By: Inextlive