- वॉटर लेवल नीचे जाने से नहीं भर पा रहीं घरों की टंकियां

- मोटर नहीं खींच पा रहा पानी, बढ़वानी पड़ रही बोरिंग का पाइपलाइन

केस 1

तुर्कमानपुर के विपुल ने शुक्रवार को नहाने के लिए मोटर स्टार्ट किया तो पानी ही नहीं आया. हैंडपंप चेक करने पर पता चला कि कोई खराबी नहीं है. पानी नहीं आने के कारण सभी फैमली मैंबर्स का रूटीन डिस्टर्ब हो गया. 9 बजे तक प्लंबर आया तो उसने जांच कर बताया कि वॉटर लेवल नीचे जाने के चलते पानी नहीं आ रहा है. विकल्प के तौर पर उसने बोरिंग में 50 फीट और पाइप लाइन डालने की बात कही. विपुल ने पहले 150 फीट पर बोरिंग करवाई थी. अब लेवल नीचे जाने पर 50 फीट और पाइप डालनी पड़ेगी.

केस 2

नौसड़ के नित्यानन्द के घर में लगा हैंडपंप लगातार कम पानी देते-देते रविवार को खराब हो गया. दुकानदार की सलाह पर वॉशर चेंज कराया गया फिर भी पानी की मात्रा में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई. पानी की कमी को पूरा करने के लिए हार्डवेयर दुकानदार से बात की तो उसने बोरिंग करवाने की सलाह दी. साथ ही उसने हिदायत दी कि 250 फीट पाइप गहराई से कम बोरिंग नहीं होनी चाहिए. बोरिंग करवाने में 70 हजार रुपए तक खर्च आना है जिसका इंतजाम किया जाना है.

GORAKHPUR: यह दो केस गोरखपुर में तेजी से गिरते वॉटर लेवल को बताने के लिए काफी हैं. पहले से लगाए गए हैंडपंप, बोरिंग, ट्यूबवेल अब पहले से कम पानी दे रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने काम करना ही बंद कर दिया है. स्पेशलिस्ट सिटी के वॉटर लेवल नीचे जाने की वजह पानी के नेचुरल रिसोर्स खत्म होने और उसके गैरजरूरी इस्तेमाल को बता रहे हैं. भूगर्भ जल विभाग ने वॉटर लेवल मापने के लिए नगर निगम एरिया में 11 पीजो मीटर लगा रखे हैं, जिनमें से एक खराब है. प्री और पोस्ट मानसून के बाद विभाग की ओर से पीजो मीटर के जरिए वॉटर लेवल मापा जाता है. पिछले तीन साल के आंकड़े बता रहे हैं कि गोरखपुर में वॉटर लेवल लगातार खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है. शहर में 2018 के आंकड़ों के अनुसार आधे मीटर खतरे के निशान को पार कर गए हैं. आठ मीटर से अधिक वॉटर लेवल नीचे जाने पर भूगर्भ जल विभाग रोकथाम के उपाय लागू करने लगता है. प्री मानसून वॉटर लेवल मापने का काम 15 मई से 15 जून तक चलता है जिसके चलते अभी तक 2019 का डाटा सामने नहीं आया है. लेकिन सूखती नदियां, तालाब और बेकार होते हैंडपंप बता रहे हैं इस साल के आंकड़े और डरावने हो सकते हैं.

खतरनाक स्तर की ओर वॉटर लेवल

भूगर्भ जल विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि गोरखपुर का वॉटर लेवल लगातार खतरे के निशान की ओर बढ़ रहा है. विभाग द्वारा लगाए गए 10 में से 5 पीजो मीटर के 2018 के आंकड़े खतरे के निशान को पार कर चुके है. विभाग जमीन से आठ मीटर नीचे वॉटर लेवल पहुंचने पर वॉटर लेवल को बेहतर करने के उपाए ढूंढने लगता है. गोरखपुर में वॉटर लेवल हांसूपुर 10.10 मीटर, महिला पॉलिटेक्निक 8.35 मीटर, कमिश्नर आवास 8.81 मीटर, चारगांवा 5.08 मीटर, यूनिवर्सिटी 9.50 मीटर तक पहुंच चुका है. टेक्निकल असिस्टेंट दिनेश चन्द्र जायसवाल का कहना है कि नदियों के आसपास के एरिया में नदी का वॉटर लेवल घटने पर वह आसपास के अंडर ग्राउंड वॉटर को अपने में खींच लेता है जिसके कारण वहां का लेवल तेजी से घट जाता है.

वेस्ट हो रहा लाखों लीटर पानी

ब्रश करने से लेकर कपड़ा धोने तक में गोरखपुराइट्स रोजाना लाखों लीटर पानी वेस्ट करते हैं. सीमेंटेड नालियों के कारण पानी भूगर्भ में नहीं जा पाता है जिसके कारण भी वॉटर लेवल डाउन होता जा रहा है. डेली रूटीन में मामूली सुधार करके सतर्कता के साथ पानी यूज करने पर लाखों लीटर के वॉटर वेस्ट को रोका जा सकता है. कपड़े धोने, गाड़ी धोने, नहाने, शेविंग में पानी वेस्ट करने के साथ ही बेवजह नल खुला छोड़ने पर भी पानी वेस्ट होता है.

पीजो मीटर 2018 2017 2016

नौसड़ 6.40 5.72 7.70

मंडी परिषद 7.44 7.83 7.75

हांसूपुर 10.10 10.32 10.32

पॉलिटेक्निक 8.35 8.38 7.88

कमिश्नर आवास 8.81 9.10 9.21

मोहरीपुर 7.43 6.75 6.90

तारामंडल 7.99 6.44 7.21

पीआडीटी सेंटर 5.55 4.95 5.00

चारगांवा 5.08 4.48 4.28

डीडीयूजीयू 9.50 9.40 7.20

नोट: जलस्तर के यह आंकड़े प्री मानसून पीरियड में पीजो मीटर द्वारा मापे गए भूगर्भ जल विभाग के डाटा पर आधारित हैं.

औसतन एक व्यक्ति डेली वेस्ट कर देता है इतना पानी

1-ब्रश करते समय - 5 लीटर

2-शेविंग में - 3 लीटर

3-नहाते समय - 20 लीटर

4-कपड़े धोने में - 30 लीटर

5-टॉयलेट यूज करने में - 20 लीटर

6-कूलर यूज करने में - 80 लीटर

7-बाइक धोने में - 100 लीटर

8-कार धोने में - 250 लीटर

ऐसे कर सकते हैं बचत

पानी की बचत करने के लिए हमें कुछ टेक्नीक यूज करने की जरूरत है. भूगर्भ जल विभाग के सुझावों पर अमल करके एक परिवार सैकड़ों लीटर पानी की बचत कर सकता है. इसके लिए उन्हें केवल पानी यूज करने के तरीके में ही बदलाव करना होगा.

तरीका बचत

1-ब्रश करते समय गिलास या मग का यूज करके- 9.4 ली.

2-शेविंग में मग का यूज कर - 2 ली.

3-नहाते समय फालतू नल ना खोलकर- 30 ली.

4-कपड़े धोने में दो बटन वाले फ्लश के यूज से-22.5 ली.

5-टॉयलेट यूज करने में बाल्टी का यूज करके - 50 ली.

6-जरूरत पर ही कूलर यूज करके - 60 ली.

7-बाइक धोने में बाल्टी या मग यूज कर - 70 ली

8-कार धोने में बाल्टी या मग यूज कर - 190 ली.

बॉक्स

मोटर और हैंडपंप की क्षमता से आता है पानी

वॉटर लेवल नीचे जाने के बाद भी गोरखपुर में मैक्सिमम 11 मीटर के नीचे तक पानी मिल जाता है. इसके बावजूद हैंडपंप और बोरिंग के लिए 120 से 250 फीट की गहराई तक पाइप होने के बाद भी पानी नहीं निकल रहा है. दरअसल, हैंडपंप बोरिंग या मोटर के जरिए पानी निकासी उपकरणों की क्षमता पर निर्भर होता है. आम तौर पर 10 मीटर से नीचे वॉटर लेवल होने के बाद हैंड पंप व मोटर दोनों पानी खींच पाने में असमर्थ हो जाते हैं जिसके कारण पानी की निकासी रुक जाती है.

वर्जन

गोरखपुर में वॉटर लेवल लगातार नीचे गिर रहा है. ग्रामीण एरिया में यह 2 से 3 मीटर तक नीचे गया है. फिलहाल खतरे की बात नहीं है लेकिन गोरखपुराइट्स ने अगर जल संरक्षण के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई तो आने वाले दिनों में गिरता वॉटर लेवल कई गंभीर परेशानियों का कारण बन सकता है.

- दिनेश चंद्र जायसवाल, टेक्निकल अस्सिटेंट, भूगर्भ जल विभाग

Posted By: Syed Saim Rauf