RANCHI: रिम्स में पानी के लिए हाहाकार मचा है। बूंद-बूंद पानी के लिए मरीजों के परिजन दूर तक दौड़ लगा रहे हैं। कई परिजन तो बोतलबंद पानी के सहारे ही मरीजों का इलाज करवा रहे हैं। हॉस्पिटल में कई दिनों से पानी का संकट है। इसके बावजूद पीएचईडी वाले गायब हैं। वहीं दूसरी ओर मोटर से हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी रिम्स प्रबंधन मरीजों को जरूरत का पानी उपलब्ध क्यों नहीं करा पा रहा है।

मरीज-डॉक्टर सब कर रहे पानी-पानी

हॉस्पिटल में मरीजों से लेकर डॉक्टर तक सभी पानी-पानी कर रहे हैं। मरीजों को तो टॉयलेट जाने का भी पानी नहीं मिल रहा है। वहीं डॉक्टरों के लिए वार्ड में हाथ धोने की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में डॉक्टर तो हैंड सैनिटाइजर से काम चला ले रहे हैं। लेकिन मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। उन्हें बाहर से ही पानी खरीदकर काम चलाना पड़ रहा है या फिर बाहर के चापानल से पानी लाकर काम निपटा रहे हैं।

15-20 रुपए में बिक रहा पानी बोतल

हास्पिटल में हर वक्त 14-15 सौ मरीज इलाज के लिए भर्ती रहते हैं। ऐसे में सभी वार्डो में पानी की जरूरत होती है। मेन बिल्डिंग से लेकर सुपरस्पेशियलिटी विंग तक में लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। वहीं इसका फायदा उठाकर कुछ दुकान संचालक मनमानी पर उतर आए हैं। जहां मरीजों के परिजनों को मुंहमांगी कीमत पर पानी बेच रहे हैं। जिसमें 10 का पानी 15-20 रुपए में खरीदना लोगों की मजबूरी बन गई है। वैसे तो पानी का बोतल आम दिनों में 10 रुपए में आसानी से मिल जाता है।

चार लाख लीटर पानी की डेली जरूरत

रिम्स में हर दिन चार लाख लीटर पानी की जरूरत है। जिसमें हास्पिटल के आपरेशन थिएटर, वार्ड, ओपीडी, हॉस्टल और किचन सभी शामिल हैं। इसमें दो लाख लीटर पानी की सप्लाई रूक्का से होती है। बाकी का पानी कैंपस में बोरिंग से पूरा करने का दावा प्रबंधन करता है। इसके बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल पाना चिंता का विषय है।

वर्जन

पीएचइडी वालों के साथ बैठक हुई है। उन्हें हास्पिटल में पानी की सप्लाई दुरुस्त करने को कहा गया है। जल्द ही चार नई बोरिंग कराने का आदेश दिया गया है। इसके बाद रिम्स में पानी की दिक्कत नहीं होगी।

-गिरजाशंकर प्रसाद, डिप्टी डायरेक्टर, रिम्स

Posted By: Inextlive