फ्लैग : उप्र ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व अनुश्रवण समिति की रिपोर्ट में खुलासा

- समिति ने एनजीटी को भेजी रिपोर्ट, राज्य सरकार को जमा कराने होंगे 100 करोड़

जुर्माने की सिफारिश

- 2 करोड़ नगर निगम

- 3 करोड़ जल निगम

- यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर 6.84 करोड़

- 194 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन सीवेज का उत्पादन

- 246375 लाख लीटर सीवेज का उत्पादन वर्ष 18 में

- 144349 लाख लीटर सीवेज को ट्रीट किया गया

- 1,02,026 लाख लीटर सीवेज और गंदा पानी बिना ट्रीट करे गोमती में बहाया गया

LUCKNOW :

शहर की लाइफ लाइन मानी जाने वाली गोमती नदी का जल इतना अधिक प्रदूषित हो चुका है कि उसमें डुबकी लगाना तो खतरनाक है ही साथ ही इसके किनारे वॉक से भी आपको दिक्कत हो सकती है। यह खुलासा हुआ है उप्र ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व अनुश्रवण समिति के सचिव राजेंद्र सिंह द्वारा कई जिलों में किए गए निरीक्षण और बैठकों के दौर के बाद रिपोर्ट में। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट और गोमती जल के रासायनिक विश्लेषणों के उपरांत इस समिति ने अपनी 81 पेज की पहली अंतरिम रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी है। जिसके माध्यम से जिम्मेदार महकमों भारी भरकम पर्यावरणीय हर्जाना लगाए जाने की सिफारिश की गई है।

जब्त किए जाएंगे 00 करोड़

समिति ने यह भी सिफारिश की है कि प्रमुख सचिव, वित्त (यूपी) द्वारा 100 करोड़ रुपये अथवा जैसा एनजीटी चाहे अनुपालन गांरटी के रूप में जमा करेगी और यह आश्वस्त करेगी कि दो साल के अंदर गोमती नदी में गिरने वाले समस्त नालों को बिना उपचारित नदी में गिरने से रोका जाए अन्यथा उनके द्वारा दी गई धनराशि जब्त कर ली जाएगी। इस धनराशि का उपयोग गोमती के पर्यावरणीय मानक को स्थापित करने के प्रयोग में लाया जाएगा।

डीपीआर तैयार कर भेजें

सिफारिश में कहा गया है कि प्रभावित 11 जिलों के कलेक्टर या जल निगम नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत डीपीआर भेजें। जिससे गोमती नदी में गिरने वाले नालों के सीवेज को एसटीपी से ट्रीट करने के बाद गोमती में डालने की व्यवस्था की जा सके। भारत सरकार इन डीपीआर पर विचार करते हुए नौ माह के अन्दर कार्रवाई करें।

बनाइर् जाए समिति

नगर विकास सचिव की ओर से पर्यावरण सचिव तथा सचिव सिंचाई की एक समिति बनाई जाये, जो एनजीटी के निर्देशों का एक निश्चित समय में क्रियांवयन करे और यह समिति प्रमुख सचिव नगर विकास के पर्यवेक्षण अंतर्गत कार्य करे।

पॉल्यूशन कंट्रोल बाेर्ड फेल

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने गठन के समय से ही गोमती नदी को साफ रखने में पूर्णतया असफल रहा है। उसने कभी इसके लिए दोषी नगर निगम और नगर पालिका पर किसी प्रकार का पर्यावरणीय हर्जाना अधिरोपित नहीं किया और न ही उनके विरुद्ध कोई अभियोजन की संस्तुति की। सिफारिश की गई है कि यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के ऊपर 6 करोड़ 84 लाख 75 हजार रुपये का पर्यावरणीय हर्जाना लगाया जाए। इस राशि का उपयोग गोमती नदी के जल को साफ और शुद्ध करने के लिए किया जाएगा

जल निगम पर तीन करोड़ जुर्माना

उत्तर प्रदेश जल निगम एवं एसपीएस सीवेज पम्पिंग स्टेशन तथा एसटीपी-सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को 24 गुणे 7 घंटे चलाने में असफल रहा है, इस वजह से गोमती नदी के जल को प्रदूषित करने में यह भी उत्तरदायी हैं। ऐसे में इन पर 3 करोड़ का पर्यावरणीय हर्जाना लगाये जाने की संस्तुति की जाती है।

पहले 5 करोड़, फिर दो करोड़ जुर्माना

नगर निगम, लखनऊ पर पहले ही 5 करोड़ रुपये की पर्यावरणीय हर्जाना लगाये जाने की सिफारिश ठोस अपशिष्ट के मामले में की जा चुकी है और गोमती नदी के जल को प्रदूषित करने में भी यह जिम्मेदार हैं। नगर निगम, लखनऊ पर 2 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय हर्जाना लगाये जाने की संस्तुति की जाती है।

10 जिलों पर एक-एक करोड़ जुर्माना

लखनऊ के अतिरिक्त अन्य 10 जिलों की नगर निगम/नगर पालिका भी गोमती जल को प्रदूषित करने के लिए जवाबदेह हैं, प्रत्येक जिले के नगर निगम/ नगर पालिका पर एक-एक करोड़ रुपये का पर्यावरणीय हर्जाना लगाये जाने की संस्तुति की जाती है।

33 नालों का पानी गोमती में

अनुश्रवण समिति के सचिव द्वारा सीपीसीबी, यूपीपीसीबी के साथ गोमती के किनारे विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण किया गया। जिसमें यह जानकारी सामने आई है कि 33 नालों का पानी, जिसमें सीवर भी शामिल है, सीधे गोमती में गिर रहा है। विभिन्न प्वाइंट्स के निरीक्षण के दौरान गोमती नदी के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा शून्य मिली, जो बेहद खतरनाक है।

ये भी सिफारिशें की गईं

150 मीटर के अंदर कोई निर्माण नहीं

गोमती नदी के दोनों ओर 150 मीटर के अंदर न तो कोई निर्माण किया जायेगा न ही किसी प्रकार के प्लास्टिक अपष्टि, ठोस अपशिष्ट अथवा जैव चिकित्सीय अपशिष्ट को एकत्रित किया जायेगा।

नालों में स्टील की जाली

11 जिलों के नगर आयुक्त, जिला मजिस्ट्रेट तथा अधिशासी अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि गोमती नदी में कोई ठोस अथवा जैव चिकित्सीय अपशिष्ट न जाये और गिरने वाले नालों में स्टील की जाली लगाकर इन्हें गिरने से पहले रोकेंगे।

2 माह का दिया समय

एसटीपी और सीईटीपी की संरचना एवं उनको स्थापित करने में अत्यधिक समय लगता है। अत: उत्तर प्रदेश जल निगम और इन 11 जिलों के जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया जाए कि वे 2 माह के अंदर बायो रेमीडिएशन प्रोजेक्ट उचित तकनीक और टेक्नोलोजी के साथ लगवाने की व्यवस्था करें।

ये सिफारिशें स्वीकार

- नगर निगम और यूपी जल निगम एसटीपी बनाने और मुख्य नालों के बिना उपचारित गोमती से गिरने से रोकने के लिए डीपीआर प्रस्तुत करें।

-सीवेज ट्रीटमेंट करने की क्षमता बढ़ाने के लिए जल निगम और नगर निगम अपनी परियोजनाएं सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें।

मोमती नदी में शारदा नहर के मोरदैया और अटरिया से अतिरिक्त जल को छोड़ें, जिससे गोमती नदी के जल का प्रदूषण कम हो सके।

- गोमती नदी के आसपास हरित क्षेत्र को विकसित किया जाये, जिसमें साइकिल ट्रैक, टहलने के लिए ट्रैक, जल क्रीड़ा, जल परिवहन तथा पर्यटन की व्यवस्था करें तथा पर्यटन को बढ़ावा दें।

सीतापुर लखीमपुर खीरी जिलों में झील और तालाबों को पुनर्जीवित करें जिससे गोमती नदी रिचार्ज हो सके।

- नगर निगम अविलम्ब गोमती नदी और उसके जलागम क्षेत्र से अवैध कचरे ठोस अपशिष्ट को हटाये।

-गोमती नदी के निर्बाध जल के प्रवाह के लिए उसमें जमा मिट्टी एवं बालू को निकाला जाए। ग्रीन लैंड और नदी में मौजूद ठोस तथा प्लास्टिक अपशिष्ट को तुरंत हटाएं।

समिति की सिफारिश

गोमती नदी की परिधि में शामिल 11 जिलों पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई, सीतापुर लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ तथा जौनपुर के डीएम को यह निर्देश दिए जाएं कि वे लोग लोगों को सूचित करें कि गोमती नदी में तब तक स्नान न करें, जब तक वह प्रदूषण से मुक्त न हो। इसके किनारों पर सुबह टहलने और डुबकी लगाने से भी दूरी बनाएं।

Posted By: Inextlive