-बीसीबी के बॉटनी डिपार्टमेंट के हेड की जांच मे हुआ खुलासा, दोगुना से ज्यादा बढ़ गया टीडीएस

- पाचन तंत्र डेमेज करने के साथ ही इस पानी से हो सकती हैं कई गंभीर बीमारियां

बरेली : बरेलियंस के लिए यह खबर चौंकाने वाली साबित हो सकती है. जो पानी आप पी रहे हैं उससे कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. ऐसा हम नहीं बल्कि शहर में कई जगह से लिए गए पानी के सैंपल की जांच रिपोर्ट कह रही है. टीडीएस और पीएच मान ज्यादा होने के साथ ही पानी में कई और हानिकारक तत्व भी मिले हैं. बरेली कॉलेज बरेली के बॉटनी के विभागाध्यक्ष ने छह माह पूर्व शहर के कई इलाकों से पानी के सैंपल लिए जिनमें अशुद्धियां पाई गई. फरवरी में विभागाध्यक्ष ने भू-गर्भ जल विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है.

यहां से भरे गए थे सैंपल

शहर के रामगंगा और नकटिया नदी के साथ ही कांधरपुर, कोतवाली, राजेंद्र नगर समेत सात इलाकों से पानी के सैंपल लेकर जांच की गई थी. जांच में सैंपल मानक के विपरित पाए गए.

डेढ़ गुना बढ़ा टीडीएस

पीने योग्य पानी का टीडीएस अधिकतम 200 एमजी/ली. होना चाहिए लेकिन यहां के पानी का टीडीएस यानि टोटल डिसोल्व सॉलिड फरवरी में हुई जांच में 350एमजी/ली. पाया गया. जो कि बहुत ही खतरनाक है. यह शरीर में पहुंच कर सीधे पाचन तंत्र काे प्रभावित करता है.

पीएच भी मानक से ज्यादा

पीने योग्य पानी का पीएच मान कई देशों में अलग-अलग लेकिन यहां इंडियन स्टेंडर्ड के अनुसार अधिकतम सात प्वाइंट होना चाहिए लेकिन शहर की कई जगह का पानी का पीएच मान 9 से लेकर 11 तक पाया गया. एक भी इलाका जांच में ऐसा नही मिला जिसका पीएच मान नार्मल हो.

यह अशुद्धियां भी मिलीं

शहर के कई इलाकों से लिए गए पानी के सैंपल की जांच में मैग्नीशियम, नाइट्रेट, कैल्शियम आदि तत्व भारी मात्रा में पाए गए जो कि खतरनाक है. यह तत्व शरीर में प्रवेश करते ही आपके पाचन तंत्र को डेमेज कर सकते हैं.

नदी के पानी में इकोलाई बैक्टीरिया

बीसीबी एचओडी डॉ. आलोक खरे ने बताया कि वर्ष 2016 में रामगंगा और नकटिया नदी के पानी का सैंपल लेकर जब जांच की गई तो कार्बनिक लवण के साथ इसमें इकोलाई बैक्टीरिया पाया गया. जो पानी के साथ शरीर में प्रवेश करते ही इकोलाइटिस बीमारी पैदा करता है.

100 फिट की गहराई पर भी अशुद्धि

भू-गर्भ जल विभाग ने शहर के अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल की जांच करने के लिए शहर में कई जगहों पर पीजो मीटर लगाए हैं. वर्ष 2017 में प्रो. आलोक खरे ने भू-गर्भ जल विभाग की टीम के साथ मिलकर शहर के कई इलाकों में 100 फिट की गहराई से पानी का सैंपल लेकर जांच कराई तो इसमें ऑक्सीजन की मात्रा न के बराबर मिली और नाइट्रेट, फ्लोराइड ज्यादा मात्रा में पाया गया जो कि खतरनाक है.

इसलिए जहरीला हो रहा पानी

शहर भर के नालों का पानी बिना ट्रीटमेंट के ही सीधे नदियों में छोड़ा जा रहा है. इससे नदियों का पानी प्रदूषित होने के साथ भी भूगर्भ जल में भी अशुद्धियां तेजी से बढ़ रही हैं. नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर शासन तक गंभीर है फिर भी स्थानीय स्तर पर इसके लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.

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साल दर साल बढ़ रहा जहर

वर्ष बीओडी पीएच टीडीएस

2016 100 11 300

2017 175 16 350

2018 250-900 19-20 400

वर्जन ::

अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल की जांच कई वर्षो से चल रही है. फरवरी में शहर की दोनों नदियों के साथ ही कई इलाकों के पानी की जांच की गई जिसमें अशुद्धियां पाई गई. 100 फिट का बोरिंग से मिलने वाला पानी भी प्योर नहीं है.

डॉ. आलोक खरे, एचओडी, बॉटनी, बीसीबी.

Posted By: Radhika Lala