छोटे छोटे तरीकों से पानी की बचत करके कुछ शहरवासी दे रहे सार्थक संदेश

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की मुहिम से जुड़ रहे शहरवासी

Meerut. साफ पानी के स्रोत खतरे में हैं. भू-जल का स्तर बहुत तेजी से नीचे गिर रहा है. देश-दुनिया के कई शहरों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है. देश में ही ऐसे काफी इलाके हैं जहां लोग एक बाल्टी पानी भरने के लिए कई-कई दिनों तक इंतजार करते हैं. संदेश स्पष्ट है कि पानी की एक-एक बूंद कीमती है. पानी को लेकर डे जीरो कैटेगरी में शामिल मेरठ की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं हैं. हालांकि कुछ लोगों ने जहां बूंद-बूंद पानी बचाने की कवायद शुरु कर दी है. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने ऐसे ही कुछ परिवारों को चुना जो पानी बचाने के छोटे-छोटे मगर सार्थक प्रयास कर रहे हैं.

बाल्टी से देती हैं पौधों को पानी

सदर निवासी प्रियंका ने घर में पौधों को सींचने के लिए पहले पाइप से पानी डालती थी. एक दिन उन्हें आभास हुआ कि इस तरह पानी वेस्ट होता है. उसके बाद उन्हें बाल्टी और जग से पौधों को पानी देना शुरु किया. इस दौरान उन्होंने देखा कि जहां पहले 5 बाल्टी पानी की खपत होती थी लेकिन इस तकनीक से मात्र डेढ़ बाल्टी पानी में ही काम हो जाता है. इस प्रयास में सफल होने के बाद उन्होंने परिवार के अन्य लोगों को भी पानी बचाने के लिए प्रेरित किया. उनकी भाभी आकांक्षा और बेटी नव्या भी इस मुहिम में शामिल हो गई हैं.

पानी बचाने के लिए कर रहे सजग

शहर सर्राफा निवासी राजकुमार बंसल ने अपने पूरे परिवार को न केवल पानी बचाने की मुहिम में शामिल किया बल्कि अपने पोते केशव बंसल के जरिए आने वाली पीढ़ी को पानी बचाने के लिए सजग कर रहे हैं. उनकी मुहिम में शामिल बेटा जीतू व बहू निशू बताते हैं कि कि पापा ने पानी बचाने पर बहुत जोर दिया है. अगर कभी पानी वेस्ट होता देखते तो बहुत डांटते थे. धीरे-धीरे पानी बचाना हमारी आदत में शुमार हो गया. हम सारी दुनिया को तो नहीं बदल सकते लेकिन सबसे पहले खुद को बदला. अब जितना हो सकता है उतना दूसरे को भी प्रेरित कर रहे हैं. परिवार की तीन पीढि़या पानी बचाने के कवायद में जुटी हैं.

पानी की किल्लत देखी, तो सबक लिया

शास्त्रीनगर निवासी नवीन जैन बताते हैं कि कुछ साल पहले वह राजस्थान गए थे. वहां पानी की किल्लत देखी और उसी दिन से सबक ले लिया कि कभी पानी बर्बाद नहीं होने देंगे. इसके बाद उन्होने उन्होंने अपनी पत्‍‌नी अंजू जैन को भी इसके लिए प्रेरित किया. अब दोनों मिलकर अधिक से अधिक पानी बचाते हैं. नवीन बताते हैं कि कार वॉशिंग, गार्डनिंग, हाउस होल्ड व‌र्क्स में पहले जहां 17-18 बाल्टी पानी खर्च होता था वहीं पूरे घर के काम में अब सिर्फ 5-6 बाल्टी पानी खर्च होता है. किचन और कपड़े धोने के पानी को री-यूज कर गार्डनिंग में प्रयोग कर लेते हैं.

किचन के पानी का करती हैं यूज

डिफेंस कॉलोनी निवासी तपस्या बताती हैं कि वह पानी बचाने के लिए हमेशा से ही प्रयासरत हैं. किचन से निकलने वाली पानी को वह पौधों के लिए प्रयोग करती हैं. जबकि कपड़े धोने में यूज्ड पानी को साफ-सफाई में प्रयोग कर लेती हैं. इस तरह से वह हर रोज कई बाल्टी पानी बचाती हैं. इस सीख को वह आने वाली पीढ़ी को भी दे रही हैं. अपने दोनों बेटे अनंजय और आर्य के साथ भतीजी सृष्टि और शिखा को भी उन्होंने पानी बचाने की ट्रेनिंग दी है. वह बताती हैं कि बच्चे घर में पानी बिल्कुल नहीं बहाते हैं. सुबह ब्रश करने से लेकर नहाने तक एक बाल्टी का प्रयोग ही करते हैं.

Posted By: Lekhchand Singh