- आईडब्ल्यूएआई पटना के डायरेक्टर ने कहा काशी ही है फॉर्नर्स की प्रायरिटी

- फार्नर्स की डिमांड को देखते हुए ही प्राइवेट नेविगेशन कंपनी वाराणसी तक चला रही जहाज

- टूरिस्टों के डिमांड पर ही बनाया गया है प्लान

- आईडब्ल्यूएआई का काम केवल प्राइवेट ऑपरेटर को रास्ता देना है

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: जिस प्रयाग नगरी में कुंभ मेले के दौरान हजारों फार्नर्स यहां की संस्कृति और सभ्यता को जानने व गंगा-यमुना के संगम में डुबकी लगाने आते हैं। उसी प्रयाग नगरी को लेकर फार्नर्स टूरिस्टों में क्रेज नहीं है। वे केवल मोदी के काशी तक ही घूमना चाहते हैं। उनके डेस्टिनेशन में इलाहाबाद शामिल नहीं है, तो क्या आप मानेंगे। फिलहाल इनलैंड वाटरवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय पटना के डायरेक्टर गुरुमुख सिंह का यही कहना है। उनका कहना है कि टूरिस्टों के डिमांड को देखते हुए ही प्राइवेट नेविगेशन कंपनी ने कोलकाता से और पटना से केवल वाराणसी तक ही राजमहल क्रूज चलाया है, जिसे केवल रास्ता देने का काम आईडब्ल्यूएआई का है।

प्लानिंग तो हल्दिया से इलाहाबाद तक की थी

आम बजट में फाइनेंस मिनिस्टर ने जब हल्दिया-इलाहाबाद जलमार्ग पर जहाज चलाने की बात कही थी तो फिर फार्नर्स टूरिस्टों को लेकर राजमहल क्रूज चलाने की शुरुआत केवल हल्दिया से वाराणसी तक ही क्यों सीमित रही? नेशनल वाटरवे हल्दिया-इलाहाबाद के नाम पर कहीं ये केवल वाराणसी को ही चमकाने की तो प्लानिंग नहीं है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए आई नेक्स्ट ने भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण पटना के निदेशक गुरुमुख सिंह से बात की। उनसे पूछा गया कि नेशनल वाटरवे-क् पर चलाए गए राजमहल क्रूज का डेस्टीनेशन केवल वाराणसी ही क्यों है? तो डायरेक्टर ने इसके पीछे कई कारण बताए। आइए बताते हैं क्या है वो कारण

प्राइवेट कंपनी का है ये प्लान

डायरेक्टर ने बताया कि नेशनल वाटरवे-क् हल्दिया-इलाहाबाद पर कोलकाता-वाराणसी और पटना-वाराणसी के बीच जो क्रूज चल रहा है, वो असम नेविगेशन प्राइवेट लिमिटेड का क्रूज है। जिसका शेड्यूल असम नेविगेशन ने ही तैयार किया है। आईडब्ल्यूएआई का काम तो केवल प्राइवेट कंपनी के जहाज को रास्ता देना है, जो आईडब्ल्यूएआई कर रहा है।

वाराणसी ही है डिमांड डेस्टिनेशन

डायरेक्टर ने दूसरा कारण बताया कि जहाज का डेस्टिनेशन फार्नर्स ट्यूरिस्टों की डिमांड को देखते हुए बनाया गया है। वाराणसी तक का प्लान इसलिए बनाया गया है क्योंकि फार्नर्स ट्यूरिस्टों में वाराणसी के सभ्यता व संस्कृति को जानने व समझने को लेकर ज्यादा रूझान है। फार्नर्स ट्यूरिस्टों की डिमांड वाराणसी डेस्टिनेशन ही है। जब ट्यूरिस्ट इलाहाबाद नहीं जाना चाहेंगे तो प्राइवेट कंपनी उन्हें इलाहाबाद लेकर कैसे जाएगी।

क्योंकि वाटर लेवल की है प्रॉब्लम

डायरेक्टर ने राजमहल क्रूज का डेस्टीनेशन वाराणसी तक ही सीमित होने के पीछे जहां ट्यूरिस्टों की डिमांड को कारण बताया। वहीं तीसरा कारण उन्होंने वाराणसी से इलाहाबाद के बीच वाटर लेवल की समस्या भी बताया। कहा कि दो-तीन महीने छोड़ दिया जाए तो अन्य महीनों में वाराणसी से इलाहाबाद के बीच वाटर लेवल की समस्या होती है। जहाज चलाने के लिए तीन मीटर की गहराई चाहिए, लेकिन यहां वाटर लेवल काफी कम होता है। इसलिए हल्दिया से इलाहाबाद के बीच रूटीन वे में जहाज चलाने के लिए बैराज बनाने की आवश्यकता है। जब तक बैराज नहीं बनेगा, तब तक रूटीन वे में जहाज चलाना संभव नहीं हो सकेगा। बैराज के लिए व‌र्ल्ड बैंक पैसा दे रही है। अभी बजट में डिक्लीयरेंस हुआ है। अब डीपीआर बनेगा। पास होगा फिर बैराज बनाने का काम शुरू होगा।

एक हकीकत ये भी है

- हर साल इलाहाबाद आते हैं हजारों विदेशी सैलानी

- कुंभ व अ‌र्द्ध कुंभ में तो विदेशी सैलानियों की संख्या पहुंच जाती है लाखों में

- माना कि काशी का है विशेष महात्म्य, लेकिन प्रयाग का भी सांस्कृतिक शहरों में है अपना विशेष स्थान

- वाराणसी से इलाहाबाद के बीच मार्च, अप्रैल, मई, जून में कम रहता है वाटर लेवल लेकिन इस समय तो है भरपूर पानी

- बैराज बनने पर ही अगर चलेगा जहाज तो आईडब्ल्यूएआई ने गाजीपुर और वाराणसी में भी बैराज बनाने का कर रखा है प्रस्ताव

Posted By: Inextlive