-गोरखपुर को बेहतर बनाने वाले को गोरखपुराइट्स देंगे वोट

- सिटी में नहीं है बेहतर टूरिज्म फैसिलिटी, फाइव स्टार होटल

- एसी बस, फूड प्लाजा एंड इंटरनेशनल फ्लाइट बना सिर्फ सपना

GORAKHPUR: गोरखपुराइट्स इस बार के लोक सभा इलेक्शन में पिछली गलती को दोहराना नहीं चाहते। वे उसी कैंडिडेट को वोट देंगे जो गोरखपुर और गोरखपुराइट्स की जरूरत को समझे। गोरखपुर को बेहतर बनाने के लिए वे यहां की टूरिज्म व्यवस्था, एसी बसेज, मॉडल बस अड्डे, फूड प्लाजा, एनक्रोचमेंट से निजात, फाइव स्टार होटल जैसी फैसिलिटी और बेहतर बनाए। तभी सही मायने में गोरखपुर सिटी महानगर बनेगा।

टूरिस्ट्स के लिए नहीं बदली स्थिति

अभी तक गोरखपुर की पहचान गीता प्रेस और गोरखनाथ मंदिर से होती थी। इसमें एक कड़ी और जुड़ गई एनई रेलवे गोरखपुर जंक्शन को सबसे लंबा प्लेटफॉर्म का दर्जा मिल गया, लेकिन यहां टूरिस्ट्स के लिए कुछ नहीं बदला। यहां हर साल तकरीबन तीन करोड़ से ज्यादा विदेशी और भारतीय टूरिस्ट्स आते हैं, लेकिन इनमें से कोई भी गोरखपुर में नहीं ठहरता। वह सीधे कुशीनगर, श्रावस्ती या फिर लुंबिनी के लिए निकल जाते हैं, क्योंकि गोरखपुर में न तो इनके ठहरने की कोई व्यवस्था है और न ही इनके सिक्योरिटी की कोई गारंटी। सर्किट हाउस रोड पर सात एकड़ में बना टूरिस्ट बंग्ला भी भूत बंग्ला में तब्दील हो गया है। टूरिज्म डिपार्टमेंट ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया और न ही कभी किसी जनप्रतिनिधि ने। इसके अलावा यहां न तो हेरिटेज प्लेस या फिर चिडि़या घर जैसे टूरिस्ट प्लेस बनाए गए। जो योजनाएं प्लानिंग में हैं वह भी फाइलों में सिमटी हुई हैं। अगर यहां के लोक सभा कैंडिडेट्स इस दिशा में पहल करते तो स्थिति कुछ और होती लेकिन सब वादों में ही सिमट कर रह गया।

न एसी बसेज और न ही मॉडल बस डिपो

नेपाल और बिहार के बीच गोरखपुर आज की डेट में एजुकेशन और हेल्थ के प्वाइंट ऑफ व्यू से हब बन चुका है। यहां नेपाल और बिहार की तरफ से आने जाने वाले लोगों का तांता लगा रहता है, लेकिन यहां आने के बाद लोगों को वाराणसी, लखनऊ, आगरा, कानपुर, दिल्ली के लिए यूपीएसआरटीसी एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से कोई भी एसी बसेज प्रोवाइड नहीं की गई हैं। एक एसी बस है भी तो वह लखनऊ से गोरखपुर के लिए चलती है। इसके अलावा गोरखपुर से वाराणसी, सोनौली, बिहार व दिल्ली के लिए एक भी डायरेक्ट एसी बस नहीं है। अगर बात करें मॉडल बस अड्डे की तो पिछले पांच साल से आलम बाग डिपो की तर्ज पर गोरखपुर डिपो को मॉडल बस अड्डा बनाए जाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन आज तक कंस्ट्रक्शन का काम शुरू नहीं हो सका। हैरानी की बात तो यह है कि पैसेंजर्स की सुविधा के लिए न तो एडमिनिस्ट्रेशन पहल कर रहा है और न ही जनप्रतिनिधि। जबकि यहां के लिए एसी बसेज और मॉडल बस अड्डे की बेहद डिमांड है।

एनक्रोचमेंट का शिकार रेलवे स्टेशन रोड

वैसे तो सिटी के डिफरेंट एरियाज में जबरदस्त एनक्रोचमेंट हैं, लेकिन रेलवे स्टेशन रोड पर प्राइवेट बस और टैक्सीवालों का जबरदस्त एनक्रोचमेंट है। इनके इस एनक्रोचमेंट को आज तक न तो परिवहन विभाग हटा पाया है और न ही यहां के किसी जनप्रतिनिधि ने यह जहमत उठाई। आलम यह है इस रास्ते से गुजरने वाले लोगों को प्रतिदिन जाम के झाम से जूझना पड़ता है। वहीं एनक्रोचमेंट के चक्कर में लोगों की ट्रेन या बसें भी छूट जाती है। अगर इन प्राइवेट बसों और टैक्सी वालों को प्रशासन अलग जगह निर्धारित कर दे तो इस राह से गुजरने वालों को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

कागजों में सिमटा रेलवे का फूड प्लाजा

जंक्शन पर आईआरसीटीसी की तरफ से बनाया जाने वाला फूड प्लाजा आज भी कागजों में सिमटा हुआ है। रेल प्रशासन स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए फूड प्लाजा बनाए जाने का दावा करता रहा, मगर यह दावा दावा ही रह गया। यहां के जनप्रतिनिधियों ने भी इसके लिए कोई आवाज नहीं उठाई। अगर फूड प्लाजा होता तो इस गोरखपुर जंक्शन और सिटी की तस्वीर ही कुछ और होती।

फाइव स्टार होटल तक नहीं है

जहां गोरखपुर में करोड़ों टूरिस्ट्स का आना जाना होता है। साथ ही पिछले कई सालों से सेलिब्रेटीज का भी आना-जाना शुरू हो चुका है। लेकिन उनके ठहरने के लिए यहां कोई फाइव स्टार होटल नहीं है। यहां की पब्लिक ने कई बार इसकी डिमांड की लेकिन आज तक गोरखपुर में फाइव स्टार होटल नहीं खोला जा सका। यहां का एडमिनिस्ट्रेशन और जनप्रतिनिधि ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। यदि फाइव स्टार होटल खुल गया होता तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही टूरिज्म डिपार्टमेंट के राजस्व में भी वृद्धि हो जाती।

इंटरनेशनल फ्लाइट की हमेशा से रही है डिमांड

सिटी के बिजनेसमैन की हमेशा से डिमांड रही है कि गोरखपुर से इंटरनेशनल फ्लाइट उड़ान भरे, लेकिन आज तक इंटरनेशनल फ्लाइट नहीं उड़ी। एक जेट एयरवेज की फ्लाइट है भी तो वह सिर्फ दिल्ली तक के लिए है, जबकि यहां ज्यादातर लोग बिजनेस और टूर के परपज से मुंबई, कोलकाता, सिंगापुर, अमेरिका आदि के लिए उड़ान भरते हैं, लेकिन उन्हें प्लाइट के लिए दूसरी सिटीज का सहारा लेना पड़ता है।

गोरखपुर में टूरिज्म के नाम पर कोई फैसिलिटी नहीं है। यहां इंटरनेशनल फ्लाइट तक नहीं है। मैं तो उसी को वोट करूंगा जो इन सब सुविधाओं के लिए पहल करेगा।

अनिल पाण्डेय

टूरिज्म के प्वाइंट ऑफ व्यू से गोरखपुर को एक अलग पहचान दिलानी होगी, जो कैंडिडेट इसके लिए प्रयास करेगा, मेरा वोट उसी को जाएगा।

प्रतीक्षा

Posted By: Inextlive