- पंजाब के लुधियाना में आरएसएस कार्यकर्ता के हत्यारों को किये थे हथियार सप्लाई - गाजियाबाद के फरीदनगर नहाली गांव में छिपा था आरोपी - साथ गई एसओजी मेरठ टीम का सिपाही गोली लगने से घायल - जान बचाकर भागी एनआईए, एटीएस व पुलिस की संयुक्त टीम, आरोपी फरार lucknow@inext.co.in LUCKNOW : लुधियाना में आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या में इस्तेमाल हथियार सप्लाई करने वाले वांटेड की तलाश में गाजियाबाद के फरीदनगर नहाली गांव पहुंची एनआईए, एटीएस व मेरठ एसओजी की संयुक्त टीम पर उपद्रवियों ने हमला बोल दिया। पथराव व फायरिंग से भौचक टीम आरोपी को पकड़ना छोड़ खुद की जान बचाने के लिये भागने लगी। लेकिन, उपद्रवियों ने पीछा कर फायरिंग जारी रखी। जिसमें एक गोली एसओजी के कॉन्सटेबल को जा लगी। हालांकि, पुलिसकर्मी घायल साथी को उठाकर वहां से भागने में सफल रहे। इस उपद्रव का फायदा उठाकर हत्यारोपी मौके से फरार हो गया। फिलवक्त पुलिस ने 12 नामजद व 150 अज्ञात उपद्रवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर एक आरोपी को अरेस्ट कर लिया है। बाकी फरार हमलावरों की तलाश जारी है। गांव में छिपे होने की मिली थी सूचना पंजाब के लुधियाना में बीती 17 अक्टूबर को अज्ञात बाइक सवार हमलावरों ने आरएसएस कार्यकर्ता रवींद्र गोंसाई को गोलियों से भून डाला था। घटना के पीछे आतंकी कनेक्शन को देखते हुए मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी। जांच के दौरान गाजियाबाद के भोजपुर इलाके में स्थित फरीदपुर नहाली गांव निवासी मलूक का नाम हत्यारों को हथियार सप्लाई करने में सामने आया। यह भी पता चला कि उसके देशविरोधी ताकतों के संपर्क में है। एनआईए मलूक की लगातार तलाश में जुटी थी। शनिवार को एनआईए को इंफॉर्मेशन मिली कि आरोपी मलूक अपने गांव में ही छिपा है। एनआईए की लापरवाही पड़ी भारी सूचना मिलने के बाद एनआईए ने यूपी एटीएस व मेरठ एसओजी से मदद मांगी। सूत्रों के मुताबिक, एनआईए ने एटीएस व मेरठ एसओजी को ऑपरेशन व छापेमारी की जगह के बारे में कुछ नहीं बताया गया। रविवार सुबह एनआईए, यूपी एटीएस व मेरठ एसओजी की संयुक्त टीम फरीदपुर नहाली गांव पहुंची और सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इसी बीच अचानक मलूक के परिवारीजनों ने खतरा देख शोर मचा दिया। जिसके बाद गांव वाले टीम पर टूट पड़े। घरों से निकले पुरुषों व महिलाओं ने टीम पर पथराव शुरू कर दिया। रास्ते कर दिये ब्लॉक अचानक हुए हमले से टीम भौचक रह गई और वे सभी जान बचाने के लिये वहां से भागने लगे। भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने फायरिंग भी शुरू कर दी। जिससे मेरठ एसओजी के कॉन्सटेबल तहजीब खान के पैर में गोली लगी। भीड़ को हमलावर होता देख एनआईए, एटीएस व मेरठ एसओजी की टीम मलूक को तलाशना छोड़ जान बचाकर वहां से भागने लगे। शोर-शराबा सुनकर आसपास के गांवों के लोगों ने रोड को ब्लॉक कर दिया। हालांकि, एनआईए व पुलिसकर्मी वहां से जान बचाकर किसी तरह भाग निकले। इधर, इस बवाल का फायदा उठाकर आरोपी मलूक मौके से फरार होने में सफल रहा। इलाके को घेरकर कॉम्बिंग घायल कॉन्सटेबल को इलाज के लिये मेरठ के निजी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। टीम पर हमले की खबर मिलने पर एसएसपी गाजियाबाद आकाश तोमर जिले के सभी थानों की फोर्स व पीएसी जवानों के साथ फरीदपुर नहाली गांव पहुंचे। दिल्ली एसटीएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई, लेकिन तब तक गांव में सन्नाटा पसर चुका था और टीम पर हमला करने वाले उपद्रवी फरार हो चुके थे। पुलिस ने पूरे इलाके को घेरकर कॉम्बिंग ऑपरेशन चालू किया है। फिलहाल दो संदिग्ध हमलावरों को कस्टडी में लेकर पूछताछ की जा रही है। वहीं, पुलिस ने 12 नामजद समेत 150 अज्ञात हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर एक आरोपी नाजिम को अरेस्ट कर लिया है। जबकि, बाकी फरार आरोपियों की तलाश जारी है। बॉक्स पहले भी हो चुके हैं हमले प्लानिंग में कमी कहें या फिर रणनीति बनाने में चूक लेकिन, छापेमारी के दौरान इससे पहले भी सुरक्षा एजेंसियों व पुलिसकर्मियों पर हमले हो चुके हैं। मार्च 2013 में दो लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे इनकम टैक्स अधिकारी को दबोचने गई सीबीआई की एंटी करप्शन टीम पर वहीं के कर्मचारियों ने हमला बोल दिया था। टीम में शामिल कर्मियों ने किसी तरह खुद को कमरे में बंद कर अपनी जान बचाई थी। इसी तरह मार्च 2013 में प्रतापगढ़ के कुंडा में एक ग्राम प्रधान की हत्या की जानकारी मिलने पर पहुंचे डिप्टी एसपी जियाउल हक को नाराज भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। कुंडा कांड की जांच कर रही सीबीआई टीम पर भी गांव के लोगों ने पथराव किया था। जून 2016 में मथुरा के जवाहरबाग को खाली कराने के दौरान भी हिंसक भीड़ ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। जिसमें स्थानीय एडिशनल एसपी मुकुल द्विवेदी और इंस्पेक्टर संतोष कुमार यादव की मौत हो गई थी।

Posted By: Inextlive