- मेरठ में ट्रैफिक के दर्जनों ऐसे नियम, जिन्हें तोड़ने पर 17 साल से नहीं लगा जुर्माना

- नियमों की अनदेखी कर धड़ल्ले से दौड़ रहे वाहन

- मोटर रूल एक्ट 1985 में नियमों का उलंघन करने पर दो हजार से 20 हजार तक जुर्माने का है प्रावधान है

मेरठ में ट्रैफिक के दर्जनों ऐसे नियम, जिन्हें तोड़ने पर क्7 साल से नहीं लगा जुर्माना

- नियमों की अनदेखी कर धड़ल्ले से दौड़ रहे वाहन

- मोटर रूल एक्ट क्98भ् में नियमों का उलंघन करने पर दो हजार से ख्0 हजार तक जुर्माने का है प्रावधान है

sundar.singh@inext.co.in

Meerut sundar.singh@inext.co.in

Meerut : क्या आप जानते हैं कि चप्पल पहनकर वाहन चलाने पर जुर्माना भरना पड़ सकता है। किसी तेज रफ्तार वाहन को पकड़कर साइकिल चलाने पर भी नियमों का उल्लंघन है। यही नहीं सड़क पार करते समय रेलिंग पर चढ़ने पर भी जुर्माना है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही देखिए कि ऐसी दर्जनों धाराएं हैं, जिनमें पिछले क्7 वर्षो से मेरठ में कोई जुर्माना नहीं लगा है। इन्हें लागू करने में संबंधित अधिकारियों को कोई दिलचस्पी भी नहीं है, जिसके चलते शहर में मुसाफिर रोजाना जाम के झाम में फंसे रहते हैं।

नहीं लगाया गया जुर्माना

- लाल बत्ती क्रॉस करने पर

-नशीले पदार्थ का सेवन कर गाड़ी चलाने पर

- भारी वाहन पकड़कर साइकिल चलाने पर

- वाहन में इंडिकेटर न होने

- चप्पल पहनकर वाहन चलाने पर

-वन-वे नियम का पालन न करने पर

-यातायात चिन्हों का पालन न करने पर

-खतरनाक दिशा में गाड़ी खड़ी करने पर

-बिना संकेत दिए वाहन को मोड़ना पर

-कार के बोनट पर बैठकर यात्रा करना पर

-नंबर प्लेट सही न होना पर

-विपरित दिशा में वाहन ले जाना पर

- वाहन लिमिट स्पीड में न चलाना पर

जाम की मुख्य वजह

रॉन्ग साइड से वाहन घुसाना। लाल बत्ती क्रॉस करना। वन-वे नियम का पालन न करना। दुकानों के सामने रास्ते पर गाड़ी खड़ी करना। इंडिकेटर दिए बगैर वाहन मोड़ना।

हादसों की वजह

शराब पीकर गाड़ी चलाना। तेज स्पीड से गाड़ी चलाना। वाहन पकड़कर साइकिल चलाना। गलत दिशा से ओवरटेक करना। बिना पार्किंग लाइट जलाए वाहन रात में खड़ा करना। वन-वे पर बिना डीपर दिए ओवरटेक करना। हेलमेट न पहनना।

दिल्ली में होता है पालन

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन होता है। वहां हर स्थान पर वाहनों की स्पीड बंधी होती है। नियमों का पालन न करने पर हर माह भ्87 चलान काटे जाते हैं। साथ ही हेल्मेट न पहने पर हर माह म्00 चलान काटे जाते हैं।

वाहनों से उगाही में अधिकारी रहते हैं मशगूल

आरटीओ विभाग की दिलचस्पी ट्रकों से वसूली की होती है। टै्रफिक पुलिस सिर्फ दोपहिया वाहनों के चलान काटने में मशगूल रहती है। ऐसे में ट्रैफिक नियम सिर्फ फाइलों में धूल चाटते रहते हैं, जिसके चलते वाहन चालक मनमर्जी से वाहनों को चलाते हैं। जिसकी वजह से शहर में हादसों व जाम की स्थिति हर समय बनी रहती है।

क्या होती है प्राथमिकता

मोटर रूल एक्ट में सड़क पर पैदल चलने वाले व्यक्ति की सुरक्षा पहली प्राथमिकता होती है, लेकिन राजधानी से दिल्ली में प्रवेश करते ही ट्रैफिक नियम भी अपनी मर्यादा भूल जाते हैं। कोई भी ट्रैफिक नियमों को पालन करने या करवाने की जिम्मेदारी नहीं समझता।

नंबर प्लेट पर क्या है नियम

यदि बात नियमों की करें तो स्टेट कोड के साथ गाड़ी की सीरीज नंबर के साथ लिखा होना चाहिए। अलग-अलग स्टाइल के नंबर प्लेट लगाने पर परिवहन विभाग ने क्00 रुपए की पेनाल्टी भी तय कर रखी है। इस पेनाल्टी की रकम इतनी कम है कि लोग नियमों को तोड़कर नंबर प्लेट्स से छेड़छाड़ लगातार कर रहे हैं। वाहनों की नंबर प्लेट पर प्रेस, पुलिस, जाति आदि लिखा होता है।

वास्तव में ऐसे बहुत नियम हैं जिसके लिए पब्लिक जागरूक नहीं है। समय-सयम पर विभाग यातायात सप्ताह के माध्यम से पब्लिक को जागरूक करने का काम करता है। इस तरह के नियमों पर कार्रवाई करने का जिम्मा टै्रफिक पुलिस का ज्यादा होता है।

विश्वजीत सिंह, एआरटीओ

नियम है, लेकिन मेरठ में तो लोगों के पास डीएल नहीं है। फिर इतने छोटे नियमों को लोग कैसे मानेंगे। सोशल साइट पर नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पेज बना है।

किरण यादव, एसपी ट्रैफिक

Posted By: Inextlive