-पचास किलोमीटर की रफ्तार से चली हवाएं

-धूल भरी अंधड़ से ठहर गया जनजीवन

-तापमान में दर्ज की गई तीन डिग्री की गिरावट

ALLAHABAD:

प्रकृति हमेशा संतुलन बनाकर चलती है। इसका ताजा उदाहरण मंगलवार को देखने को मिला जब तापमान चरम पर पहुंच रहा था तभी सुबह से चली तेज हवाओं ने लोगों को थोड़ी सी राहत प्रदान की। हालांकि, धूल भरी हवाओं से लोगों को जन जीवन भी प्रभावित हुआ लेकिन तापमान में गिरावट भी दर्ज की गई। मौसम विज्ञानियों ने पहले बदलाव की ताकीद कर दी थी और अब उनका कहना है कि भविष्य में तापमान तेजी से बढ़ेगा। जिसको लेकर लोगों को होशियार रहना चाहिए।

फिर नीचे आया अधिकतम तापमान

अप्रैल की शुरुआत से ही ऐसा चल रहा है। बार-बार तापमान उच्च पर जाता है और उसके बाद तेज हवाओं और बादल छाने लगते हैं। इस बार भ्ीा ऐसा हुआ। सोमवार को तापमान 43 डिग्री के पार चलाय गया तो लोगों के पसीने छूट गए। उन्होंने इससे बचने के उपाय करने में देरी नहीं की। इसी बीच मंगलवार को अचानक मौसम ने पल्टी मारी और सुबह से ही तेज हवाएं चलने लगीं। इन पछुआ हवाओं की स्पीड चालीस से पचास किमी प्रति घंटे रही। हालांकि धूल भरी हवाओं की वजह से लोगों को राह पर चलने में परेशानी का भी सामना करना पड़ा। कई बार तो अप्रैल में लू का आभास करा गई ये हवाएं। उधर, अधिकतम तापमान में तीन डिग्री की गिरावट दर्ज की गई, जो खिसककर 40.3 डिग्री पर पहुंच गया। वहीं न्यूनतम तापमान 23.6 डिग्री के साथ स्थिर बना हुआ है।

प्रकृति ने लगाया है ब्रेक

मौसम विज्ञानी डॉ। एसएस ओझा की मानें तो प्रकृति संतुलन बना रही है। इसके चलते ही मंगलवार को तेज हवाएं चलीं ताकि बढ़ते तापमान पर बे्रक लग सके। उन्होंने बताया कि तापमान के तेज होते ही राजस्थान के रास्ते पछुआ हवाएं तेजी से यहां पहुंच गई। उन्होंने यह भी माना कि भविष्य में तापमान में बढ़ोतरी जारी रहेगी। इसको लेकर आम जनमानस को होशियार रहना होगा।

धूलभरी आंधी से नुकसान

तेज हवाओं से भले ही तापमान में गिरावट दर्ज की गई है लेकिन सेहत के लिए यह बदलाव ठीक नहीं है। चेस्ट फिजीशियन डॉ। आशुतोष गुप्ता कहते हैं कि धूल भरी आंधी से खासतौर से दमा के मरीजों को होशियार रहना होगा। उन्हें मुंह ढंककर घर से बाहर निकलना चाहिए। इसके अलावा सामान्य व्यक्तियों को भी धूल से एलर्जी की शिकायत हो सकती है। इससे मरीजों को तेज खांसी के साथ सांस लेने में दिक्कत महसूस होगी।

Posted By: Inextlive