Web Series Review Illegal बिना शक वूट सीरीज इललीगल एक अच्छा कोर्ट रूम ड्रामा शो है पर ये बेहतरीन होते होते रह गया है। कहानी पर बेहतर काम करके इसे कुछ और असरदार बनाया जा सकता था। फिर भी अगर आप थ्रिलर पसंद करते हैं तो इसे एक बार देखना चाहिए।

(आईएएनएस)। Web Series Review Illegal: एक बेहतरीन स्क्रिप्ट और बिना सोचे चल पड़ने का अंदाज अक्सर एक दिलचस्प बेस बना सकते हैं, और यही वूट सीरीज "इललीगल" के साथ हुआ है। फिर भी, जबकि यह बिल्कुल पूरी तरह कामयाब नहीं है। ये सीरीज बॉलीवुड स्पांसर्ड कोर्ट रूम के कई डिकेट से पेटेंट कराए गए ट्रेडमार्क फिल्मी लीगल ड्रामा की एक इंट्रेस्टिंग कॉपी बन कर रह गई है।

शो का नाम : इललीगल

कलाकार: पीयूष मिश्रा, नेहा शर्मा, कुबरा सेत, सत्यदीप मिश्रा, अक्षय ओबेरॉय

निर्देशक : साहिर रजा

रेटिंग : 2.5 स्टार्स

कहानी

ये कहानी है एक रिस्पांसिबल और आइडियलिस्टिक वकील, निहारिका सिंह (नेहा शर्मा) है। निहारिका तेज तर्रार टॉप लीगल एक्सपर्ट जनार्दन जेटली, उर्फ जेजे (पीयूष मिश्रा), की फर्म में काम करती है। शुरू में, जेजे उसे मेहर कुबरा सेत) नाम की एक महिला के लिए लड़ने के लिए कहता है, जिसने अपने परिवार में चार लोगों की हत्या की है। आइडियलिस्टिक निहारिका एक ऐसे मामले जिसमें मृत्युदंड मिलना नेचुरल है, एक महिला को शामिल देख कर काफी इंट्रेस्ट लेती है। तभी जेजे कहता है कि वह एक दुष्कर्म के आरोपी का केस लड़े। जलदी ही निहारिका दुनिया को अदालतों और केसेज की नजर से देखना शुरू कर देती है।

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समीक्षा

"इललीगल" हांलाकि आगे बढ़ने के प्रोसेज में नैतिकता और अनैतिकता, सही और गलत पर बात करता है लेकिन इसके साथ जो एक अच्छी बात है वो ये कि सीरीज इन बातों पर अपना नजरिया थोपती नहीं है। शो का विजन पूरी तरह ऑथेंटिक रहता है।ये अपनी बाद को साबित करने और व्यूअर्स का अटेंशन लेने चीखने चिल्लाने वाले कोर्ट रूम सीन्स या बैकग्राउंड म्यूजिक का सपोर्ट नहीं लेता है। वकीलों की आपसी बातचीत भी रियल लगती है और मुद्दे से भटकाती नहीं है, जिससे वह स्वाभाविक लगता है। सबसे खास बात ये है कि लोगों की रुचि बनाए रखने के लिए सीरीज के हर एपिसोड के एंड में एक इंट्रेस्टिंग ट्विस्ट आता है। इसके बावजूद बहुत जल्दी समझ आने लगता है कि "इललीगल" की समस्या कंटेट या इमेजनेशन की कमी नहीं है, बल्कि इसका फ्लैट प्रस्तुतिकरण है। शो को जिस शॉर्प स्टोरी लाइन की जरूरत थी वो मिसिंग है। लेखक रेषु नाथ इस जगह पर पूरी तरह असफल रहे हैं। यही वजह है कि दमदार करेक्टर्स और मजेदार सिचुएशन के बावजूद कहानी लोगों को बांधती नहीं हैं। डायरेक्टर साहिर रजा भी इसे संभाल नहीं पायें हैं। कहानी में रोमांटिक एंगल भी रखा गया है, शायद इमोशनल ट्विस्ट लाने के लिए पर वो इंज्वॉयमेंट से ज्यादा ध्यान भटकाने का काम करता है।

अदाकारी

पियूष मिश्रा जेजे के कलरफुल करेक्टर को खूबसूरती से निभा ले गए हैं। नेहा शर्मा ने अपना बेस्ट लेने की कोशिश की है पर उन्हें सही जगह पर प्रहार करने की टैंडेंसी डेवलप करने की जरूरत है। दुष्कर्म पीड़िता के वकील के रूप में सत्यदीप मिश्रा प्रभावशाली हैं। कुबरा सेत ने जेल में दुर्व्यवहार करने वाले मौत की सजा पाये हुए कैदी के करेक्टर से न्याय करते हुए खुद को एक बार फिर साबित किया है।

वर्डिक्ट

कुल मिलाकर, "इललीगल" अपनी कास्ट और कॉन्सेप्ट के चलते इंट्रेस्ट पैदा करता है। अगली बार, पटकथा और निर्देशन पर थोड़ा और ध्यान दिया जाए तो निश्चित रूप से इसके सेकेंड सीजन के लिए संभावना बनती है।

Posted By: Molly Seth