1947 के विभाजन के दौरान पश्चिम पाकिस्तान से भारत आये हिंदू शरणार्थियों का कहना है कि अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद वह पूर्ण रुप से जम्मू-कश्मीर के निवासी बन गए हैं। भारत की आजादी के 70 साल बाद उन्हें गुलामी से मुक्ति मिली है।


जम्मू (आईएएनएस)। 1947 के विभाजन के दौरान पश्चिमी पाकिस्तान से कई हिन्दू शरणार्थी भारत आये थे और जम्मू में बस गए थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने वाले भारत सरकार के निर्णय की खूब सराहना की है। उन्होंने कहा है कि यह दोनों कानून हटने के बाद वह पूर्ण रुप से जम्मू-कश्मीर के निवासी बन गए हैं। अब वह जम्मू-कश्मीर में खुद की संपत्ति खरीदने के साथ स्थाई रूप से सेटल हो सकते हैं। बता दें कि इससे पहले केवल जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को ही राज्य में संपत्ति खरीदने का अधिकार मिला था। 72 साल बाद मिली गुलामी से आजादी
पश्चिम पाकिस्तान रेफ्यूजी एक्शन कमेटी के अध्यक्ष लाभा राम गांधी ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, 'पहले हम भारत के निवासी थे लेकिन जम्मू-कश्मीर के नहीं थे। दोनों आर्टिकलों को हटाए जाने के बाद हम स्वतः जम्मू-कश्मीर के निवासी बन गए हैं।' भारत की आजादी के 72 साल बाद, उन्होंने कहा कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को अब न्याय मिला है। लाभा राम ने कहा, 'हम अब यह गर्व से कह सकते हैं कि हमें गुलामी से आजादी मिल गई है।' बता दें कि फिलहाल जम्मू में पश्चिमी पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों की आबादी लगभग 1.5 लाख है। उन्होंने कहा कि वे अनुच्छेद 370 हटने से पहले सिर्फ संसदीय चुनाव में ही वोट देने के हकदार थे लेकिन अब वह राज्य के विधानसभा में भी मतदान कर सकेंगे। इसके अलावा राज्य के यह दोनों कानून उन्हें संपत्ति खरीदने और सरकारी नौकरी पाने से रोकते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।चीन में कश्मीर पर जयशंकर की दो टूक, ये हमारा आंतरिक मामलासियालकोट से आये थे शरणार्थीबता दें कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद अब हिंदू शरणार्थी जम्मू में मतदान करने के साथ चुनाव में भाग भी ले सकते हैं। पश्चिमी पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थी मुख्य रूप से पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के सियालकोट जिले से भारत आए थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि भारतीय नागरिकता के अलावा एक स्थायी निवासी प्रमाण पत्र (PRC) उन शरणार्थियों को दिया गया था, जिनके पूर्वज 14 मई, 1954 से कम से कम 10 साल पहले राज्य में रह चुके थे। अब तक सिर्फ पीआरसी वाले ही जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकते थे, रोजगार प्राप्त कर सकते थे और विधानसभा में मतदान कर सकते थे लेकिन अब सबकुछ बदल गया है, सभी एक जैसे हो गए हैं।

Posted By: Mukul Kumar