-पीएचडी स्टूडेंट के सुसाइड अटेम्पट मामले पर आईआईटी के सभी अधिकारियों ने साधा मौन

-मीडिया का फोन तक रिसीव नहीं कर रहे रजिस्ट्रार व डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर

- रीजेंसी में एडमिट स्टूडेंट की हालत स्थिर, राजस्थान से पैरेंट्स को बुलवाया गया

KANPUR: कैंपस के अंदर कुछ भी गलत या दु:खद होने पर मामले को छिपाना आईआईटी प्रशासन की पुरानी आदत है। मंडे को रिसर्च स्कॉलर अरुण कुमार शर्मा के नस काटने के मामले पर संस्थान ने फिर वही रवैया अपनाया है। स्टूडेंट अपने कमरे के अंदर खून से लथपथ पाया गया। हालत इतनी नाजुक हो गई कि उसे कैंपस के हेल्थ सेंटर से रीजेंसी हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा। इसके बावजूद घटना पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की जा रही है। घटना के बारे में बताने के लिए कोई भी सामने नहीं आ रहा है। इस रवैए से फिर वही सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर आईआईटी प्रशासन क्या छिपाना चाहता है। कुछ बोलने से अधिकारी क्यों बच रहे हैं? क्या उन्हें संस्थान की साख की चिंता सता रही है या फिर बात कुछ और है?

क्यों काट लीं नसें?

सोमवार की सुबह हुई घटना पर जब इंस्टीट्यूट के एक्टिंग रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनएन किशोर से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने मीडिया का फोन नहीं उठाया। डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर प्रो। एआर हरीश पहले से ही आउट ऑफ स्टेशन हैं। डायरेक्टर भी किसी काम के सिलसिले में दिल्ली में हैं। हालांकि मंगलवार शाम उन्होंने फोन पर आई नेक्स्ट रिपोर्टर को बताया कि उन्हें घटना की जानकारी मिल चुकी है, पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी। स्टूडेंट के पैरेंट्स को कॉल किया गया है। स्टूडेंट ने ऐसा कदम क्यों उठाया, इसके बारे में पता नहीं चला है।

जनरल वार्ड में शिफ्ट

राजस्थान के रहने वाले अरुण कुमार शर्मा आईआईटी से पीएचडी कर रहे हैं। कैंपस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अरुण ने सोमवार की सुबह 4 से 5 बजे के बीच हॉल नंबर आठ के हॉस्टल में अपने दोनों हाथ की नस काट कर जान देने का प्रयास किया। उसके रूम पर पहुंचे साथियों ने जब अरुण को इस हालत में देखा तो रजिस्ट्रार सहित दूसरे अधिकारियों को जानकारी दी और इंस्टीट्यूट के हेल्थ सेंटर लेकर आए। जहां से उसे रीजेंसी हॉस्पिटल रिफर कर दिया गया। डॉक्टर्स के मुताबिक, फिलहाल अरुण की हालत कंट्रोल में है। उसे हॉस्पिटल के जर्नल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।

मुझे नहीं मालुम, मैं बाहर हूं

अरुण के मामले में आईआईटी एडमिनिस्ट्रेशन लगातार मीडिया से बचने की कोशिश कर रहा है। डोसा प्रो। एआर हरीश ने फोन उठाया तो लेकिन उन्होंने घटना के बारे जानकारी न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह आउट ऑफ स्टेशन हैं। इसके बाद रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनएन किशोर से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल भी रिसीव नहीं हुआ। इसके बाद शाम को उन्होंने मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। पूरे मामले पर आईआईटी का कोई भी ऑफिसर बयान देने को तैयार नहीं था। डिप्टी डायरेक्टर प्रो। अजीत चतुर्वेदी ने बात की लेकिन वह भी पूरे प्रकरण की जानकारी देने से बचते रहे।

फ्यूचर के लिए खतरनाक

रीजेंसी हास्पिटल में ट्रीटमेंट करवा रहे रिसर्च स्कॉलर अरुण कुमार शर्मा ने जिस तरह से दोनों हाथ की नस काटी हैं वह उसके फ्यूचर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। डॉक्टर्स की मानें तो ऐसे मामलों में रिकवरी बहुत अच्छी नहीं होती है। इस मेधावी छात्र ने तीन अंगुलियों को ब्लड सप्लाई करने वाली सेंसिटिव नस काट ली थी जो कि काफी डैमेज हुई है। डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह के मामलों में अगर रिकवरी 80 परसेंट भी हो जाती है तो बहुत है।

वर्जन

रिसर्च स्कॉलर के नस काट लेने बारे में जानकारी मिली है। उसके पैरेंट्स को बुलवाया गया है। उनसे बात करने के बाद फिर स्टूडेंट से बात की जाएगी। जरूरत पड़ी तो कमेटी गठित करके मामले के जांच कराई जाएगी। आखिरकार ऐसी कौन सी वजह थी कि छात्र ने इस तरह का कदम उठाया है।

प्रो। इन्द्रनील मान्ना, डायरेक्टर आईआईटी

Posted By: Inextlive