- टैक्स फ्री होने के कारण मोटी कमाई कर रहे टेनरी ओनर, फिर भी गंगा में पॉल्यूशन फैला रहे हैं

-टेनरीज से निकल रहा खतरनाक जहर आसपास के लोगो को तिल-तिल कर मार रहा है

- फॉरेन करेंसी कमाने के चक्कर में पहले ही गवर्नमेंट इन टेनरीज से टैक्स नहीं लेती है

KANPUR:

ये सच है कि देश मे आने वाली फॉरेन करेंसी का एक बड़ा जरिया शहर की टेनरीज भी है। पर सवाल ये है कि क्या ये फॉरेन करेंसी इंसान की जिन्दगी से ज्यादा कीमती है। क्योंकि टेनरीज से निकलने वाला जहर आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों को तिल-तिलकर मार रहा है। उनके हाथ-पैर गला रहा है और अन्य घातक बीमारियां दे रहा है। क्या गंगा और अंडरग्राउंड वाटर में जहर घोल रही टेनरीज को चालू रहने दिया जाना सही है। जिनकी वजह से टेनरीज के आसपास के गांवों में शहनाई नहीं बज रही है। रिश्ता लेकर आए लोग भीषण बदबू के साथ-साथ खतरनाक हालात देखकर गांव के बाहर से ही लौट जाते हैं। शायद इन्हीं वजहों से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने साफ कहा है कि टेनरीज की खातिर लाखों जिंदगियों को दांव पर नहीं लगाया जा सकता है।

ख्0 हजार करोड़ का माल एक्सपोर्ट

एक समय शहर के जाजमऊ में ब्00 से अधिक टेनरी थी। अब करीब फ्ख्फ् टेनरी बची हैं। गंगा में जहरीला क्रोमियम युक्त पानी गिराने आदि वजहों से क् फरवरी को 98 टेनरीज के बिजली-पानी के कनेक्शन काटे जा चुके हैं। टेनरी ओनर फॉरेन करेंसी का बड़ा जरिया होने की बात कहकर कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। उनके मुताबिक फॉरेन करेंसी जुटाने में देश में टॉप टेन में से एक बड़ा जरिया टेनरीज हैं। स्माल टैनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नैयर जमाल के मुताबिक हर साल ख्0 हजार करोड़ का माल विदेशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है, जिसमें सैडलरी, शूज, बेल्ट, बैग, दस्ताने, जैकेट, रॉ लेदर आदि श्ामिल है।

इमोशनल अत्याचार कर रहे हैं टेनरी ओनर्स

टेनरी ओनर्स का कहना है कि टेनरी बन्द होने से गवर्नमेंट को न केवल फॉरेन करेंसी से हाथ धोना पड़ेगा बल्कि टेनरीज में काम करने वाले ख्भ् हजार लोग भी बेरोजगार हो जाएंगे। हो सकता है कि अपनी जगह पर उनकी बात सही हो, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या फॉरेन करेंसी के नाम पर गंगा और अंडरग्राउंड वाटर में खतरनाक क्रोमियम के रूप में जहर घोल रही टेनरीज को ऐसे ही चालू रहने दिया जाए। क्या इंसान की जिन्दगी से ज्यादा कीमती टेनरीज के कारण मिलने वाली फॉरेंस करेंसी है। जिसकी वजह से लोग घातक बीमारियों के शिकार होकर तिल-तिलकर मरने को मजबूर हैं। क्या प्योंदी, शेखपुर, मोतीपुरा, वाजिदपुर आदि के लोगों के हाथ-पैर गलने दिए जाए। जिसकी वजह टेनरीज से निकलने वाला खतरनाक क्रोमियम है।

टैक्स फ्री हैं टेनरियां

टेनरीज के कारण देश को बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा मिल रही है। ये अहमियत गवर्नमेंट भी अच्छी तरह से समझती है। इसी वजह से इस इंडस्ट्री को गवर्नमेंट ने टैक्स फ्री कर रखा है। स्माल टैनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नैयर जमाल के मुताबिक एक्सपोर्ट के कारण टेनरीज को गवर्नमेंट टैक्स फ्री किए हुए है। ट्रेड टैक्स डिपार्टमेंट के एसआईबी ऑफिसर हरिनाथ सिंह ने बताया कि ट्रेड टैक्स के जरिए हर महीने ख्भ्0 से फ्00 करोड़ रेवेंयू मिलता है, लेकिन एक्सपोर्ट के कारण टेनरीज से कोई टैक्स नहीं लिया जाता है, बल्कि हर महीने आईटीसी क्लेम के रूप में जरूर ख्-फ् करोड़ रूपए टेनरी वालों को दिया जाता है।

टैक्स बचने के बाद भी पॉल्यूशन से निपटने के इंतजाम नहीं

लगभग पूरा का पूरा टैक्स बचने के बावजूद भी टेनरी से होने वाले खतरनाक पॉल्यूशन को दूर करने के टेनरीज में इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। चोरी-छिपे सीधे गंगा और भूगर्भ जल में खतरनाक क्रोमियम युक्त पानी डाला जा रहा है। जिसका खामियाजा लाखों-करोड़ों लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यही नहीं कानपुर सहित कई सिटीज में गंगा के पानी को ट्रीट करके वाटर सप्लाई किया जाता है। गंगा के पानी को खेतों की सिंचाई में भी यूज किया जाता है। टेनरीज से निकलने वाले खतरनाक क्रोमियम का घातक असर आसपास के प्योंदी, वाजिदपुर, शेखूपुर, मोतीपुरा में भी नजर आने लगा है। जहां खतरनाक केमिकल की वजह से लोगों की त्वचा, नाखून तक गल रहे हैं। खेती बंजर होती जा रही है। टेनरीज वाले एरिया वाजिदपुर की हालत का अन्दाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि शहर के अन्य हिस्सों से यहां पहुंचने वालों का कुछ ही मिनटों में सिर चकराने लगता है, उल्टी होने लगती है। फिर पॉल्यूशन के ना‌र्म्स की धज्जियां उड़ाकर काम करने वालों का क्या हाल होता होगा। सहज ही अन्दाजा लगाया जा सकता है।

Posted By: Inextlive