चढ़ा पारा, गर्मी ने छुड़ाया पसीना, याद आई मई- जून की गर्मी

80 फीसदी तक पहुंच रही आद्रता, उमस ने जीना किया बेहाल

भादों ने उड़ाए होश, क्वार घाम भी झेलना है अभी बाकी

ALLAHABAD: कहां तो पानी ही नहीं बरस रहा था? बरसा भी तो ऐसा कि चहुंओर त्राहि त्राहि मच गई। सावन में ताबड़तोड़ हुई बारिश ने लोगों को एहसास करवाया था कि अबकी भादो में भी झमाझम होगी। लेकिन, भादो लगने के बाद से तो मानो बरसात पर ग्रहण ही लग गया है। कुछ दिनो पहले तक टापू बनी नजर आ रही गंगा-यमुना के इर्द गिर्द मंडराने वालों के होश उड़े हुए हैं। भयावह गर्म ने लोगों की ऐसी खुमारी उतारी है कि अब पसीना पोछते नहीं थक रहे। इससे लोगों को अभी से कुवार की गर्मी का डर भी सताने लगा है।

रूठे-रूठे से हैं बदरा

जी हां, पिछले एक सप्ताह से लोकल वेदर कंडीशन कुछ ऐसी ही चल रही है। हौले से खिल रही धूप में पनप रही भयावह गर्माहट ने लोगों को मई-जून की गर्मी याद दिला दी है। गर्मी से कराह रहे लोग बादलों की आस में आसमान की ओर ताक रहे हैं। लेकिन बदरा भी ऐसा रूठे रूठे लग रहे हैं कि आ रहे हैं और थोड़ी बहुत रिमझिम करके लौट भी जा रहे हैं। इससे माहौल और भी गर्म हो चला है। इसकी बड़ी वजह पिछले दिनो हुई बारिश के चलते पैदा हुई नमी है। रात्रि की अधिकतम नमी 80 फीसदी तक पहुंच रही है।

40 की ओर बढ़ा टेम्परेचर

गर्मी का हाल यह है कि दिन में तो सड़क पर निकलना मुश्किल ही है, साथ ही अब रात की नींद भी हराम हो रही है। जितनी उमस दिन में महसूस हो रही है। उसके ही आसपास रात्रि में भी उमस ने अपना डेरा डाल दिया है। इसके आगे कूलर और पंखे की हवा भी बेमानी है। वहीं बात टेम्परेचर की करें तो यह भी तेजी से चढ़ता जा रहा है। एक सप्ताह पहले तक जहां दिन का टेम्परेचर 29 डिग्री एवं रात्रि का 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। वहीं अब यह बढ़कर दिन में 37 डिग्री एवं रात्रि में 28 डिग्री तक पहुंच रहा है। साफ है कि अधिकतम तापमान में आठ डिग्री सेल्सियस तक का इजाफा हुआ है।

बिजली रानी भी खेल रही लुकाछिपी

उधर, गर्मी के चढ़ते ही बिजली ने भी दगा देना शुरू कर दिया है। जिले में शनिवार की रात्रि से कटौती होना शुरू हो चुकी है। पुराने शहर के अधिकतर इलाके में रविवार को पूरे दिन और रात बिजली के आने जाने का सिलसिला जारी रहा। इससे लोग देर रात तक सड़कों पर निकल कर टहलते नजर आए। रात में बिजली कट जाने पर जमकर बवाल भी हुआ। मंडे को भी इसमें कोई सुधार नहीं हो सका। जो हाल पुराने शहर का रहा। वहीं नए शहर का भी रहा।

साइक्लोनिक इवेंट से ही कोई उम्मीद

बदले मौसमी नजारे पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आटोमेटिक वेदर सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। सुनीत द्विवेदी ने बताया कि बारिश का सीजन एक जून से तीस सितम्बर तक का होता है। ऐसे में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बनने वाले मजबूत साइक्लोनिक इवेंट से ही अच्छी बरसात की उम्मीद है। हालांकि, अभी ऐसे किसी भी साइक्लोन के बनने की सूचना नहीं है। डॉ। द्विवेदी ने बताया कि यूपी में जितनी भी वर्षा हुई हो। लेकिन अभी भी कई जगहें ऐसी हैं, जहां औसत से कम बरसात ही हुई है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में हो रही बरसात के पीछे सामान्य मानसून ही कारण है। पहले कहा जा रहा था कि अबकी ला नीना के इफेक्ट के चलते अप्राकृतिक कंडीशन देखने को मिल सकती है। लेकिन, पैसेफिक ओसियन में ला नीना बनने की कोई ऑफिशियल डिक्लेरेशन नहीं की गई है।

ऐसे चढ़ा टेम्परेचर

28 अगस्त- 37, 28

26 अगस्त- 34, 27

24 अगस्त- 34, 26

22 अगस्त- 29.6, 25.6

20 अगस्त- 29, 25

पिछले दिनो हुई बरसात ने किसानो का बहुत नुकसान किया है। मोटी फसलें मसलन मक्का, मूंग, दलहन, ज्वार, बाजरा, अरहर समेत सब्जियों को काफी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, धान को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।

प्रोफेसर बीएन मिश्रा

सेटेलाइट से ली गई तस्वीर बता रही है कि अभी अगले कुछ दिनो तक इलाहाबाद समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छी बारिश के आसार नहीं हैं। यह एक्टिव रेन के बाद ब्रेक स्पेल का सीजन है जो लम्बा भी खिंच सकता है। इससे गर्मी में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है।

डॉ। सुनीत द्विवेदी

एसोसिएट प्रोफेसर, आटोमेटिक वेदर सेंटर

Posted By: Inextlive