बॉलीवुड और टीवी की दुनिया के ‘संस्‍कारी बाबूजी’ यानी आलोकनाथ 10 जुलाई 1960 को दिल्‍ली में पैदा हुए थे। सोमवार को वह 61 साल के हो गए हैं। आलोकनाथ ने कई फिल्‍मों में पिता की भूमिका निभाई है। एक दौर था जब एक्ट्रेस नीना गुप्ता संग उनके अफेयर के खूब चर्चे थे। आइए जानें क्‍या थी वो प्रेम कहानी....


नीना और आलोक की प्रेम कहानी80 के दशक में आलोकनाथ जहां अपने फिल्मी करियर की शुरुआत में थे। उसी वक्त उनकी 1982 में नीना गुप्ता संग फिल्म आई थी। इस फिल्म के साथ ही नीना और आलोक नाथ के बीच काफी नजदीकी बढ़ गई थी। दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे थे। लेकिन आलोक नाथ के पिता उनकी कहीं और शादी कराना चाहते थे। जब यह बात नीना को पता चली तो उन्होंने आलोक से दूरी बना ली। ब्रेकअप के बाद नीना का अफेयर म्यूजिशियन शारंगदेव और वेस्ट इंडीज के क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स से भी रहा। जबकि आलोकनाथ ने बिहार की अंशु सिंह से शादी की और सेटल हो गए। अंशु सिंह और आलोकनाथ में पहली ही मुलाकात पसंद में बदल गई थी। तीन साल बाद 1987 में दोनों ने शादी की। आलोकनाथ तब 31 साल के थे। अंशु सिंह प्रोडक्शन असस्टिटेंट थीं।जन्म और शिक्षा


देश की राजधानी दिल्ली में 10 जुलाई 1956 को आलोक नाथ का जन्म हुआ। आलोक नाथ के पिता एक डॉक्टर थे और मां हाउसवाइफ़ थीं। आलोक नाथ के पिता यही चाहते थे कि उनकी तरह ही वो भी एक डॉक्टर बने। आलोक नाथ ने अपनी स्कूलिंग और ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली से ही की। कॉलेज के दिनों में एक्टिंग में रुझान होने की वजह से वह कॉलेज के रुचिका थिएटर ग्रुप से जुड़े। इसके बाद उन्होंने तीन साल तक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ाई की, जहां उन्होंने एक्टिंग के गुर सीखे।करियर की शुरुआतकहते हैं कि 1980 में कॉस्टिंग डायरेक्टर डॉली ठाकुर फ़िल्म ‘गांधी’ में एक छोटे से किरदार की तलाश में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा गयीं थीं, जहां कई लोगों का ऑडिशन लेने के बाद उन्होंने आलोक नाथ को चुना। इस फ़िल्म के लिए उन्होंने आलोक नाथ को बीस हजार रुपये दिए थे। यहीं से उनका फ़िल्मी सफ़र शुरू हुआ।एनएसडी से मुंबई का सफ़र'गांधी' के बाद आलोक नाथ मुंबई आ गए। लेकिन, यहां राहें आसान नहीं थीं। दूसरी फ़िल्म के लिए उन्हें 5 साल तक संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने 2 साल तक पृथ्वी थिएटर में नादिरा बब्बर के साथ अभिनय किया। इसी दौरान आलोक नाथ को ‘मशाल’ फ़िल्म में एक छोटे से रोल के लिए ऑफर आया, जिसको उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद उन्हें छोटे, छोटे रोल मिलते रहे। 1988 में फ़िल्म 'क़यामत से क़यामत तक़' आते-आते आलोकनाथ ने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी।हमेशा से नहीं थे संस्कारी

आज एक संस्कारी बापू के रूप में अपनी पहचान बना चुके आलोक नाथ अपने करियर के शुरुआत में हीरो भी रहे हैं। लेकिन, 1987 में 'कामाग्नि' में आलोकनाथ बहुत रोमांटिक और हॉट सींस करते भी नजर आए थे। आलोकनाथ 'विनाशक', 'षड्यंत्र' और 'बोल राधा बोल' जैसी कई फ़िल्मों में विलेन के रोल में भी नजर आ चुके हैं।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari