भारतीय हाकी टीम के कप्‍तान सरदार सिंह का मानना है कि टीम कोच को लगातार बदलने से खिलाड़ियों को काफी दिक्‍कतें आती हैं जिसका सीधा असर टीम प्रदर्शन पर पड़ता है। ऐसे में अगले साल होने वाले ओलंपिक गेम्‍स के लिए तैयारी काफी जोरदार करनी पड़ेगी।


कोच बदलने से आती हैं दिक्कतेंभारतीय पुरूष हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह ने माना कि लगातार कोच के बदलने से दिक्कत होती है। इसके बावजूद आने वाले विदेशी दौरों और अगले साल होने वाले रियो ओलंपिक में इसका असर नहीं पड़ेगा। हाल ही में हॉकी इंडिया (एचआई) के विदेशी कोच पॉल वेन ऐस को छोड़कर जाना पड़ा था। पिछले पांच साल में भारत के चार विदेशी हॉकी कोच छोड़कर जा चुके हैं। यूरोप दौरे पर निकलने से पहले सरदार ने कहा कि जब एक कोच बदलता है तो खिलाड़ियों को दिक्कत होती है। कोच के साथ ही टीम की रणनीति बदल जाती है और टीम को फिर से बनाने में भी समय लगता है, लेकिन इसके बावजूद हम भविष्य के दौरों और रियो ओलिंपिक को लेकर सकारात्मक हैं।कैसे होती है तैयारी
वहीं टीम के हाई परफॉर्मेंस निदेशक से कोच बने रोलेंट ओल्टमेंस ने कहा-टीम ने यूरोप में टूर्नामेंट खेलने से पहले दस दिन अभ्यास किया है। शारीरिक और तकनीकी पहलुओं के साथ खिलाड़ियों की कमजोरियों पर विशेष ध्यान दिया गया है। डिफेंस और अटैक पर भी जोर दिया गया है। हमारा पूरा ध्यान इस बात पर है कि गोल कैसे करें और मैच कैसे जीतें। सिर्फ खेलना महत्वपूर्ण नहीं है। हालांकि ओल्टमेंस अगले साल होने वाले ओलंपिक पर ज्यादा फोकस्ड हैं। आपस में तालमेल जरूरीकोच बदलने के बावजूद टीम के खिलाड़ियों के लिए आपस में तालमेल काफी अहम हो जाता है। डिफेंस, अटैक, पेनल्टी कॉर्नर आदि सभी हिस्सों में मिलकर बेहतर प्रदर्शन करने से टीम का मनोबल काफी बढ़ जाता है। ओल्टमेंस कहते हैं कि हमारे खिलाड़ी शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हैं इसलिए वे जल्द ही इसे बेहतर कर लेंगे। ओल्टमेंस ने स्वीकार किया कि कोच का पद स्वीकार करने के बाद अब उन पर ज्यादा दबाव है। भारत की 21 सदस्यीय पुरुष हॉकी टीम 31 जुलाई से 15 दिन तक यूरोप दौरे पर रहेगी। भारतीय टीम 14 अगस्त तक चलने वाले इस दौरे पर फ्रांस और स्पेन में पांच मैच खेलेगी। फ्रांस के खिलाफ दो और स्पेन के खिलाफ तीन मैच खेले जाएंगे।Hindi News from Sports News Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari