-बांग्लादेश की जेल से 11 साल बाद आजाद होकर गांव लौटा सतीश

DARBHANGA/PATNA: सतीश के नजदीक आते ही मां काला देवी व्याकुल हो गई। हाथों में मिठाई की थाली लिए गाड़ी की ओर दौड़ी। विश्वास नहीं हो रहा था कि वर्षों से भटका लाल घर लौट आया है। उसकी आंखें डबडबा गई, वह फफक-फफक कर रो पड़ी। कलेजे के टुकड़े को गले से लगाए थी। मां ने बेटे के मुंह में मिठाई खिलाते हुए कहा -रे हमर दोगुना उमर भअ गेलई बहन सुनीता देवी, गीता देवी आरती की थाली लेकर खड़ी थी। बहन ने कहा कि उसके लिए आज ही रक्षाबंधन है। वहीं, नि:शब्द अमोला देवी पति को एकटक निहार रही थी। उसकी आंखों से खुशी के आंसू मोती की बूंद की तरह बह रही थी। सतीश के दोनों पुत्र आशिक और भोला भी पिता को खामोशी के साथ निहार रहे थे। दरअसल, बांग्लादेश की जेल से 11 साल बाद आजाद होकर शनिवार को आखिरकार सतीश चौधरी गांव मनोरथा के तुलसीडीह टोला पहुंचे तो सबकी आंखों से खुशियों के आंसू निकल पड़े।

आंखों में खुशी के आंसू

लंबी जुदाई के बाद गांव लौटे सतीश की आंखों में भी खुशी के आंसू थे। माहौल उत्सवी था। स्वागत के लिए पंडाल बनाए गए थे। लोग देर से प्रतीक्षा कर रहे थे। भीड़ में परिजनों के अलावा गांव और आसपास के गांवों के लोग भी थे। सबको पता था कि सतीश की स्वदेश वापसी के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ी।

वाहन आते ही झूम उठे ग्रामीण दोपहर करीब दो बजे मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर, भाई गंगासागर चौधरी, छोटे भाई मुकेश चौधरी के साथ सतीश का वाहन जैसे ही तुलसीडीह पहुंचा तो लोग झूम उठे। सतीश ¨जदाबाद और भारत माता की जयकारे के स्वर गूंजने लगे।

Posted By: Inextlive