जी हां जरूरी नहीं कि किसी बलवान पिशाच को काबू करने के लिए ताकत की जरूरत पड़े। बिना खून-खराबे के भी बड़े से बड़े शत्रु पर विजय पाई जा सकती है। आइए एक पौराणिक कथा में पढ़ते हैं कि किस प्रकार माखनचोर कन्‍हैया ने हंसकर एक दुर्दांत पिशाच की बुरी शक्तियों को उससे चुरा लिया...


जंगल में रात, भटक गए रास्ताएक बार श्रीकृष्ण, बलराम और सात्यकि घूमने निकले। घूमते-घूमते समय का ध्यान नहीं रहा और लौटते समय रात हो गई। अंधेरे में जंगल से रास्ता नहीं सूझ रहा था। न आगे कुछ दिखता था न पीछे। तीनों ने तय किया कि घोड़ों को यहीं पेड़ से बांध कर रात यहीं गुजारी जाए। सुबह फिर यात्रा शुरू की जाएगी। रात के तीन पहर बाकी थे सो तय यह हुआ कि दो सोएंगे और बारी-बारी से हरएक पहरा देगा।पेड़ से उतर पिशाच ने ललकारा


सबसे पहले सात्यकि की बारी आई। थोड़ी देर ही बीता था कि पेड़ से एक पिशाच उतर आया और सात्यकि को मल्ला युद्ध के लिए ललकारा। सात्यकि क्रोधित हो उठे। वे तुरंत जवाब देने के लिए उस पर टूट पड़े। जितना वे क्रोधित होकर उस पर वार करते पिशाच का आकार उतना ही बढ़ जाता। पिशाच ने सात्यकि को खूब मारा। बाद में बलराम की बारी आई। सात्यकि ने उनसे कुछ कहा नहीं और वे सो गए।जितना क्रोध उतना बढ़े आकार

बलराम ने अभी सुरक्षा का जिम्मा संभाला ही था कि पिशाच ने उन्हें मल्ल युद्ध के लिए ललकारा। बलराम ने गुस्से से देखा और उस पर टूट पड़े। लेकिन यह क्या वे जितना क्रोधित होते पिशाच का बल और आकार उतना ही बढ़ जाता। वे दुगनी ताकत से पिशाच पर टूट पड़ते लेकिन सब व्यर्थ। धीरे-धीरे उनकी ताकत कम पड़ने लगी और पिशाच उन पर भारी पड़ने लगा। खैर एक और पहर बीत गया और वे बिना कुछ बताए सोने चले गए।जितना हंसते उतना सिकुड़तापिशाच ने श्रीकृष्ण को भी ललकारा। उन्होंने पिशाच की ओर देखा और धीरे से मुस्कुरा दिया। पिशाच उन्हें बार-बार दुगनी शक्ति से ललकारता और वे उसे देखकर बस मुस्कुरा देते। श्रीकृष्ण की हर मुस्कान पर उसका आकार घट जाता। घटते-घटते वह कीड़े जितना छोटा हो गया तो श्री भगवान ने उसे अपने धोती के छोर से बांध लिया। सुबह जब दोनों उठे तो उन्होंने उनसे पिशाच वाली बात बताई।क्रोध के पिशाच को करें काबूश्रीकृष्ण ने बताया कि क्रोध से व्यक्ति का विवेक खत्म हो जाता है। और वह संकट का सामना करने में अकसर गलतियां कर बैठता है और उसका नुकसान होता है। इसलिए मुसीबत में क्रोध करने की बजाए शांत होकर उसे दूर करने का उपाय सोचना चाहिए। घबराने और क्रोध करने से आपकी मुसीबत बढ़ जाती है। पिशाच मुझे ललकारने में अपनी पूरी ऊर्जा खर्च करता रहा और अंत में खुद खत्म हो गया।

Posted By: Satyendra Kumar Singh