माखी कांड में पुलिस की भूमिका पर शुरू से सवाल उठ रहे थे। कई पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया था।पहले भी कई मामलों में यूपी पुलिस की कार्यशैली से बात बिगड़ी है...


lucknow@inext.co.in LUCKNOW : माखी कांड में एक बार पुलिस की कार्यशैली ने राज्य सरकार की किरकिरी करा दी। नतीजतन मामले की जांच सीबीआई को सुपुर्द किए जाने की सिफारिश की जा चुकी है। दरअसल माखी कांड एक और उदाहरण है जिसमें यूपी पुलिस की कारस्तानी की वजह से राज्य सरकार को शर्मसार होना पड़ा है। इस केस की शुरुआत ही कुछ पुलिसकर्मियों की गलत हरकतों से हुई थी जिसमें पीड़िता के चाचा को विधायक के भाई और उसके गुर्गों द्वारा बुरी तरह पीटने के बाद साजिश रचकर जेल भेजने और इलाज के अभाव में मौत होने का मामला शामिल है। सीबीआई की सिफारिश पर माखी के तत्कालीन एसओ समेत कई पुलिसकर्मियों को जेल भेजा गया था और उनको बर्खास्तगी का सामना भी करना पड़ा था। अफसरों को नहीं दी सूचना


रायबरेली में दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिजनों के साथ हुई सड़क दुर्घटना में साजिश की आशंका की भी कई वजहें है। पुलिस अफसरों द्वारा लगातार इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि पीड़िता ने खुद ही अपने सुरक्षाकर्मियों को साथ आने से मना कर दिया था। सवाल यह है कि आखिर बेहद हाईप्रोफाइल मामला होने और पूर्व में जान से मारने की कई धमकियां मिलने के बाद भी उसके सुरक्षाकर्मियों ने अफसरों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी। वहीं पीड़िता द्वारा सुप्रीम कोर्ट से लेकर राज्य सरकार तक गुहार लगाने के बावजूद आरोपी विधायक पर सख्ती क्यों नहीं बरती गयी जिसकी वजह से वह बेखौफ होकर लगातार उनको धमकाता रहा। इन सवालों के जवाब अब इस मामले की जांच में मिल सकेंगे, इस पर भी संशय बना हुआ है। उन्नाव दुष्कर्म कांड: पीड़िता का अचानक एक्सीडेंट होने पर जांच के लिए SIT गठितउन्नाव दुष्कर्म पीड़िता मामला : अब पता चलेगा हादसे का सच, केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच की मंजूरी दीपुलिस ही बन गयी अपराधी

पुलिस की गलत कार्यप्रणाली का यह पहला मामला नहीं है। पूर्ववर्ती सपा सरकार में श्रवण साहू हत्याकांड में कुछ पुलिसकर्मियों का आपराधिक चरित्र सामने आ चुका है। यह मामला भी सीबीआई को सौंपा गया था और राजधानी की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी को सीबीआई के सामने पेश होना पड़ा था। कर्नाटक कैडर के आईएएस अनुराग तिवारी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों ने सारे सबूत ही खुर्द-बुर्द कर दिए थे जिसे लेकर सीबीआई ने उनसे गहन पूछताछ की थी। एनआरएचएम घोटाले में दो सीएमओ की हत्या के मामले में पुलिस ने बेगुनाहों को ही जेल भेज दिया था तो कांग्रेस की तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने के मामले में पुलिस अफसरों की साजिश का खुलासा सीबीसीआईडी ने हाल ही में किया है। इस मामले में भी पुलिस ने निर्दोष युवकों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। यूपी में ऐसे मामलों की लंबी फेहरिस्त है जिसमें पुलिस ने अपराधी बनकर साजिश को अंजाम दिय और बाद में सीबीआई ने उनको सलाखों के पीछे भेजा।

Posted By: Vandana Sharma