विश्‍व के कई देशों में मजूदरों को घंटे के हिसाब से लाखों का वेतन मिलता है पर भारत में आज भी मजदूरों को प्रति दिन के हिसाब से दिहाड़ी दी जाती है। इस हफ्ते अमेरिका के वाशिंगटन में हर घंटे के लिए न्यूनतम 15 डॉलर यानी 1005 रुपए की मजदूरी को मंजूरी दे दी गई है। वाशिंगटन के अलावा सिएटल न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया आदि शहर भी इस सैलरी को पहले ही मंजूरी दे चुके हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि किन देशों में टैक्‍स की तलवार चलने के बाद भी मजदूरों को सबसे ज्यादा तनख्वाह मिलती है।


अमेरिकाअमेरिका के प्राइवेट सेक्टर में सबसे ज्यादा नौकरी देने वाली वॉलमार्ट पहले ही अपने यहां न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 10 डॉलर यानी 650 रुपए प्रति घंटे कर चुकी है। यानी वॉलमार्ट में काम करने वाले कामगार को कम से कम 10 डॉलर प्रति घंटे के हिसाब से सैलरी मिल रही है। यह सैलरी स्ट्रक्चर दुनिया भर में कामगारों के लिए सबसे अच्छे माने जाने वाले देशों के बराबर हैं। पूरे अमेरिका में इस समय 15 डॉलर की मिनिमम वेज के लिए मूवमेंट जारी है। फिलहाल अमेरिका में 7.25 डॉलर 500 रुपए प्रति घंटे की न्यूनतम मजदूरी दी जा रही है। ऑस्ट्रेलिया


ऑस्ट्रेलिया सैलरी के हिसाब से सबसे अच्छा देश है। साल 2015 के लिए ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां 21 साल से ऊपर के सभी कामगारों को कम से कम 9.54 डॉलर यानी करीब 600 रुपए प्रति घंटे की टेक होम सैलरी मिलती है। टैक्स और दूसरी कटौती के बाद मजदूर अपने घर इतनी रकम ले जा सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेहतर मजदूरी और सरकार के द्वारा मिलने वाली दूसरी सहायता की वजह से एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हफ्ते में सिर्फ 6 घंटे काम कर खुद को गरीबी की रेखा से ऊपर रख सकता है। वहीं ऑस्ट्रेलिया में एक कामगार हर हफ्ते 38 घंटे काम कर कम से कम 2863 डॉलर 1.9 लाख रुपए हर महीने कमा सकता है।लग्जमबर्गयूरोपियन देश लग्जमबर्ग कामगारों के लिए दुनिया का दूसरा सबसे अच्छा शहर है। मई 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक यहां एक कामगार की हर घंटे की टेक होम सैलरी 9.24 डॉलर यानी भारत के हिसाब से 600 रुपए प्रति घंटे थी। वहीं आधिकारिक रूप से एक कामगार हर हफ्ते 40 घंटे काम कर महीने में कम से कम करीब 2500 डॉलर यानी 1.7 लाख रुपए की कुल टैक्स पूर्व कमाई कर सकता है।बेल्जियमटेक होम मिनिमम सैलरी के मामले में तीसरे नंबर पर बेल्जियम है। बेल्जियम में टैक्स चुकाने के बाद हर कामगार को हर घंटे के लिए कम से कम 8.57 डॉलर मिलते हैं। खास बात ये है कि कुल आय के मामले में इसका नंबर न्यूजीलैंड के बाद आता है। बेहतर टैक्स नियमों की वजह से कम आय के बाद भी कर्मचारी ज्यादा रकम अपने घर ले जाते हैं। आधिकारिक रूप से कर्मचारी यहां हफ्ते में 38 घंटे काम के हिसाब से एक महीने में कम से कम 1900 डॉलर की टैक्स पूर्व कमाई कर सकते हैं।फ्रांस और नीदरलैंड

रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस और नीदरलैंड में कर्मचारी कम से कम 8.2 डॉलर यानी 550 रुपए प्रति घंटे की टेक होम सैलरी पाते हैं। खास बात यह है कि करीब एक जैसी टेक होम सैलरी के बावजूद नीदरलैंड में टैक्स पूर्व आय फ्रांस के मुकाबले कहीं ज्यादा है। यानी फ्रांस में टैक्स और सैलरी में कटने वाले हिस्से नीदरलैंड के मुकाबले कम हैं।ब्रिटेनन्यूनतम मजदूरी देने वाले देशों में सबसे कम सैलरी ब्रिटेन में है। टैक्स और दूसरी कटौती की वजह से ब्रिटेन में एक आम कर्मचारी को कम से कम 7 डॉलर प्रति घंटे यानी मात्र 475 रुपए की टेक होम सैलरी मिलती है। कनाडा, जर्मनी और न्यूजीलैंड में मिनिमम टेक होम सैलरी 7 से 7.2 डॉलर प्रति घंटा है। 2015 में आई इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका इस लिस्ट में 11 वें स्थान पर है। अमेरिका में आधिकारिक रूप से 7.25 डॉलर प्रति घंटे की न्यूनतम मजदूरी है। वहीं टेक होम सैलरी 6.26 डॉलर प्रति घंटा है।भारत

भारत में न्यूनतम मजदूरी घंटे के हिसाब से नहीं दिन के हिसाब से होती है। अप्रैल में सरकार ने लोक सभा में जानकारी दी थी कि कॉन्ट्रैक्ट लेबर के लिए न्यूनतम मजदूरी 10 हजार रुपए प्रति माह कर दी गई है। भारत में प्रति दिन की न्यूनतम मजदूरी के लिए कई कैटेगरी है। इसमें अन स्किल्ड से हाइली स्किल्ड हैं जो इंडस्ट्रियल, माइनिंग, एग्री, कंस्ट्रक्शन सेक्टर के लिए अलग अलग है। वहीं राज्यों के हिसाब से ये दरें अलग अलग हो सकती हैं। न्यूनतम मजदूरी की ये दरें 500 रुपए प्रति दिन से अधिक नहीं है। एग्री सेक्टर में न्यूनतम मजदूरी 211 रुपए प्रति दिन से 308 रुपए प्रति दिन तक है। इंडस्ट्रियल सेक्टर में अनस्किल्ड लेबर की न्यूनतम मजदूरी 246 से 368 रुपए प्रति दिन है। वहीं कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अनस्किल्ड को 246 रुपए प्रति दिन तक और स्किल्ड को 487 रुपए प्रति दिन तक न्यूनतम मजदूरी देने का प्रावधान है।

Posted By: Prabha Punj Mishra