- एमडीए, बिजली विभाग या फिर पुलिस प्रशासन

- एमडीए ने नहीं किए अग्निशमन के इंतजाम

- बिजली विभाग ने फैलाया बेतरतीब तारों का जाल

- पेट्रोल के कारोबार पर पुलिस वालों ने आंखें मूंदी

Meerut: लोहियानगर स्थित काशीराम आवासीय योजना में लगी आग एक परिवार के सात लोगों की जिंदगी लील गई। हालांकि आग लगने और भड़कने के पीछे के कारणों को लेकर अलग-अलग तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। शहर में घटी भीषण आग की यह दर्दनाक घटना सरकारी विभागों के सुरक्षा इंतजामों पर प्रश्न चिन्ह लगा गई।

कटघरे में बिजली विभाग

दस हजार से ऊपर वाली काशीराम आवास योजना में विद्युत सुरक्षा इंतजाम तो दूर की बात वहां खुले में लटके बिजली के केबल इसकी गवाही देते हैं कि काम की क्वालिटी कितनी बेहतरी रही होगी। चौंकाने वाली तो यह कि ब्00 केवीए के जिस ट्रांसफार्मर से बिल्डिंग को बिजली सप्लाई की जा रही थी। वहां पर लाइन चेंजर भी नहीं लगाया गया था। जिसका नतीजा यह है कि जब लोगों ने आग बुझाने के लिए पानी फेंकने शुरू किया तो उनको बिजली का शॉट लग गया। जिसके चलते लोगों में दहशत हो गई। लोगों ने जब ट्रांसफार्मर के पास जाकर लाइन कट करनी चाही तो वहां लाइन चेंजर ही नहीं पाया गया। दूसरी ओर बिल्डिंग में बिजली फिटिंग के समय कंट्रोल बॉक्स को दीवार पर केवल जमीन से दो फिट के दूरी पर ही बना दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि यहां न केवल बड़े स्तर पर बिजली चोरी हो रही है, बल्कि यहां लगाए गए कटों में स्पार्किंग होने से पहले भी कई आग लगने की घटनाएं घट चुकी हैं।

कटघरे में मेरठ विकास प्राधिकरण

काशीराम आवास स्थित आवासों का निर्माण में कार्यदायी संस्था मेरठ विकास प्राधिकरण बना था। बतौर कार्यदायी संस्था एमडीए की यह मूल जिम्मेदारी थी कि इतनी बड़ी आबादी के लिए सुरक्षा इंतजामों की व्यवस्था प्राथमिकता पर की जाती। इसके विपरीत एमडीए ने तो यहां अग्निशमन कही पूरे इंतजाम कराए और न ही इस तरह की घटनाओं से बचाव की कोई उचित व्यवस्था।

Posted By: Inextlive