- रूफ टॉप पर बिजली ग्रिड को देने की योजना में लापरवाही

- ग्रीन एनर्जी के लिए बनी योजना में अब तक नहीं हो रही नेट मीटरिंग

- उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा लाभ

LUCKNOW: एक तरफ सरकार अक्षय ऊर्जा श्रोतों से बिजली पैदा करने के माध्यमों को बढ़ावा दे रही है तो यूपीपीसीएल की लापरवाही से सरकार की ग्रीन योजनाओं को ही झटका लग रहा है। उपभोक्ताओं की छत पर सोलर पैनल लगाकर बिजली ग्रिड को सप्लाई करने की अनुमति दी गई थी। मगर यूपीपीसीएल की लापरवाही से पूरे प्रदेश में इस योजना के तहत सोलर पैनल लगाने वाले उपभोक्ताओं से उनकी बिजली का भी चार्ज बिल में जोड़कर भेजा जा रहा है। ऐसे में उपभोक्ताओं में निराशा बढ़ रही है।

ऐसी है योजना

साल भर पहले उ.प्र। विद्युत नियामक आयोग ने यूपी में रूफ टॉप सोलर पीवी ग्रिड इंटरएक्टिव सिस्टम नेट मीटिरिंग रेगुलेशंस लागू किए थे। इसके जरिए कोई भी उपभोक्ता अपनी छत पर सोलर पैनल लगाकर ग्रिड को बिजली सप्लाई कर सकता है। बदले में उसके द्वारा यूज की गई बिजली को उसके द्वारा पैदा की गई बिजली से घटा दिया जाएगा। जो अतिरिक्त बिजली यूज करेगा उसी का बिल देना होगा। अगर उसे अपने यूज से अतिरिक्त बिजली पैदा कर ग्रिड को दी है तो उसका उसे पैसा वापस मिलेगा या फिर आगे के बिल में समायोजित कर दिया जाएगा।

अब तक नहीं मिला लाभ

यूपीपीसीएल को जो काम साल भर पहले कर लेना चाहिए था वह अब तक शुरू नहीं किया जा सका। योजना को आधी अधूरी तैयारियों के बीच पब्लिक के लिए शुरू कर दिया गया, लेकिन उसके लिए जरूरी तैयारियां नहीं की गई। अब तक रूफ टाप सोलर ग्रिड योजना के लिए सॉफ्टवेयर में जरूरी बदलाव ही नहीं किए गए। ऐसे में उपभोक्ताओं का बिल नहीं बन पा रहा है। अगर बन रहा है तो उन्हें सोलर पैनल से पैदा की गई बिजली का लाभ नहीं मिल रहा।

लाखों खर्च, फिर भी लगा रहे चक्कर

प्रसिद्ध पर्यावरण विद और राजकीय निर्माण निगम के पूर्व एमडी प्रो। भरत राज सिंह ने नवंबर में सोलर पैनल के लिए आवेदन किया था। लगभग साढ़े तीन लाख रुपए खर्च कर दिसंबर में पूरा प्लांट भी लग गया और जनवरी के अंत में इससे बिजली उत्पादन भी शुरू हो गया। लेकिन जब मीटर रीडर रीडिंग लेने आया तो उसे पता ही नहीं था कि इस नई सुविधा के लिए कैसे रीडिंग लेनी है। जो ज्यादा बिजली बची उसे भी बिजली कंजप्शन समझ बिल बनाकर हमसे चार्ज कर लिया गया और छत पर पैदा की गई बिजली का उन्हें कोई लाभ नहीं मिला।

पर्यावरण बचाने को किया इनवेस्ट

प्रो। भरतराज सिंह ने बताया कि मैं ग्रीन एनर्जी यूज करने को लेकर सालों से लोगों को समझा रहा हूं। इसी कारण ही इस योजना के लिए सबसे पहले आवेदन किया था, लेकिन बिल देखकर बड़ी निराशा हुई। जब लेसा के इंजीनियर के पास बिल लेकर गए तो उन्होंने बिल ठीक कर दिया। लेकिन अब तक आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। वर्तमान में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज के निदेशक प्रो। भरतराज सिंह ने बताया कि घर में नेट मीटरिंग के लिए मीटर लगा हुआ है। रोजाना लगभग 35 से 40 यूनिट बिजली ग्रिड को जा रही है। जबकि हमारी खपत 15 से 20 यूनिट की है। शेष बिजली का लाभ मिलना चाहिए। बिजली प्रयोग और उत्सर्जन के बीच गैप की सही जानकारी नेट मीटिरिंग से मिल जाती है।

बड़े फायदे की है स्कीम

इस योजना के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट 15 परसेंट और यूपी गवर्नमेंट 30 परसेंट तक की सब्सिडी दे रही है। हालंाकि पहले उपभोक्ता को ही पूरा पेमेंट करना होगा। बाद में नेडा के द्वारा सब्सिडी एकाउंट में वापस कर दी जाएगी। कुल मिलाकर उपभोक्ता की लागत कुछ ही साल में बिजली बेचकर निकल आएगी और यह सोलर पैनल फायदेमंद साबित होंगे।

राजधानी में अब तक छह लोगों ने इस योजना के तहत सोलर पैनल लगवाए हैं। लेकिन बिलिंग सॉफ्टवेयर में कोई बदलाव न होने के कारण इनका मैनुअली बिल बनाया जा रहा है। सॉफ्टवेयर में बदलाव के बाद ही यह दिक्कत दूर होगी।

- सीपी यादव,

जोनल आफिसर, सोलर सिस्टम

यह उपभोक्ताओं का उत्पीड़न है। आने वाले समय में रूफ टॉप सोलर योजना को बड़ा झटका लगेगा।

- अवधेश कुमार वर्मा,

अध्यक्ष, उ.प्र। विद्युत उपभोक्ता परिषद

Posted By: Inextlive