जब सचिन क्रिकेट छोड़ रहे हैं तो फिर उन्हें ए या बी ग्रेड में रखने से क्या फ़ायदा. दुनिया में क्रिकेट के कोहिनूर कहे जाने वाले भारत के सचिन रमेश तेंदुलकर की चमक भले ही मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले जा रहे उनके आख़िरी टैस्ट मैच के बाद मैदान में नज़र ना आए लेकिन पूरा क्रिकेट जगत और उनके चाहने वाले उन्हे हमेशा याद रखेंगे.


क्रिकेट के मैदान से उन जैसी विदाई शायद ही किसी खिलाड़ी की हुई हो. अपने 200वें टेस्ट मैच के बाद वो क्रिकेट के हर स्वरूप को छोडने जा रहे हैं. इसके बावजूद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड उन पर मुंबई टेस्ट मैच के बाद भी मेहरबान है.सचिन तेंदुलकर को बीसीसीआई ने एक ऐसा तोहफ़ा दिया है जो इससे पहले किसी को नही मिला. दरअसल गुरुवार को जब बीसीसीआई ने भारतीय खिलाडियों की अनुबंध सूची जारी की तो उसकी ए ग्रेड सूची में सचिन तेंदुलकर का नाम भी था.उनके अलावा ए ग्रेड अनुबंध सूची में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, सुरेश रैना और आर अश्विन शामिल है.


उल्लेखनीय है कि ए ग्रेड सूची में शामिल खिलाडियों को बीसीसीआई सालाना एक करोड़ रूपये की रिटेनर फ़ीस देती है. अब जबकि सचिन तेंदुलकर क्रिकेट से संन्यास लेने जा रहे है तो फिर क्यों बीसीसीआई ने ऐसा तोहफ़ा सचिन को क्यों दिया ?इस सवाल के जवाब में पूर्व क्रिकेटर मनिंदर सिंह कहते हैं कि यह मुझे भी थोड़ा सा अजीब लग रहा है. अगर उन्हें कुछ देना ही है तो उसकी घोषणा इसके बिना भी की जा सकती है.ग्रेड का क्या मतलबवीरेंद्र सहवाग को ए, बी, सी किसी ग्रेड में जगह नहीं मिली

कुछ खिलाडियों को अच्छा खेल दिखाने का इनाम भी मिला है. शिखर धवन, रवींद्र जडेजा और मुरली विजय सी ग्रेड से बी ग्रेड में पहुंचे हैं.मनिंदर सिंह इस बारे में कहते हैं कि आख़िरकार बोर्ड का कुछ पैमाना तो होगा जिसके आधार पर खिलाडियों को ग्रेडेशन के लिए चुना जाता है. इन खिलाड़ियों ने पिछले दिनों शानदार खेल दिखाया है.जो खिलाड़ी सी ग्रेड में आते हैं, वो मेहनत करके बी या ए ग्रेड में जाने की कोशिश करते हैं जो सबसे अच्छी बात है और कुछ खिलाडियों को लेकर शिकायतें तो रहेगी ही.ग्रेड सिस्टम का सबसे बडा फ़ायदा मनिंदर सिंह को ये लगता है कि इसमें आते ही खिलाड़ी को लगता है कि वो हिंदुस्तान की क्रिकेट टीम में आने के बेहद क़रीब है और ये बात उसमें एक जूनून पैदा करती है.वीरेंद्र सहवाग ने अपना आख़िरी टैस्ट मैच इसी साल मार्च में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ हैदराबाद में खेला था जहां वो केवल 6 रन बना सके थे.भारत ने उस मैच को एक पारी और 135 रनों से जीता था. इसके बाद उन्हें आईपीएल और फ़िलहाल भारत का दौरा कर रही वेस्टइंडीज़ की टीम के ख़िलाफ़ दो अभ्यास मैच खेलने का अवसर मिला.

लेकिन इस दौरान उनका बल्ला अधिक नही चला. कुछ ऐसा ही हाल हरभजन सिंह और ज़हीर ख़ान का भी है. ज़हीर ख़ान तो आईपीएल के दौरान अधिकतर घायल ही रहे.अब जबकि भारतीय टीम जीत के रथ पर सवार है तो ऐसा लगता है कि इन्हें क्रिकेट को अलविदा कहने का मौक़ा शायद ही भारतीय टीम के सदस्य के रूप में मिले, अगर बीसीसीआई के ग्रेड सिस्टम के इशारे को समझे तो.

Posted By: Satyendra Kumar Singh