- आरोप समान होने के बावजूद पुलिस बीएसपी नेताओं पर बरत रही नरमी

- स्वाति सिंह द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में नहीं हुई कोई कार्रवाई

- गिरफ्तारी से बचने के लिये एफआईआर में नहीं लगाई पॉक्सो एक्ट की धारा

LUCKNOW: बीएसपी सुप्रीमो मायावती भले ही सपा व भाजपा के बीच मिलीभगत का आरोप लगा रही हों लेकिन, हकीकत इससे बिलकुल जुदा दिखाई पड़ रही है। दोनों पक्षों की एफआईआर दर्ज करने के बाद राजधानी पुलिस दयाशंकर की जोरशोर से तलाश कर रही है लेकिन, समान आरोप के बावजूद पुलिस ने अब तक बीएसपी नेताओं से पूछताछ तक की जरूरत महसूस नहीं की। इतना ही नहीं स्वाती सिंह की नाबालिग बेटी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में पुलिस ने अब तक बीएसपी नेताओं के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा भी नहीं बढ़ाई है। ऐसे में सवाल उठता है कि बीएसपी नेताओं के प्रति राजधानी पुलिस की इस दरियादिली की वजह क्या है?

एफआईआर दर्ज करने में खेल

बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर बीजेपी के निष्कासित नेता दयाशंकर सिंह द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में पुलिस ने बीएसपी नेता मेवालाल की तहरीर पर दयाशंकर सिंह के खिलाफ धारा 153 ए (भावनाएं भड़काना), 504 (गालीगलौज), 506 (जान से मारने की धमकी) और एससी-एसटी ऐक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस टीमें दयाशंकर सिंह की तलाश में जुट गई। वहीं, अगले दिन बीएसपी के प्रदर्शन के दौरान दयाशंकर की पत्नी, बेटी, मां और बहन के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती, राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी, प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर, जिला अध्यक्ष मेवालाल व सैकड़ों अज्ञात बीएसपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ 120बी (आपराधिक साजिश), 153 ए (भावनाएं भड़काना), 504 (गालीगलौज), 506 (जान से मारने की धमकी) और धारा 509 (सार्वजनिक स्थान पर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। दिलचस्प बात है कि स्वाती की एफआईआर दर्ज करने में पुलिस ने 'खेल' कर दिया। उनकी बेटी नाबालिग होने के बावजूद हजरतगंज पुलिस ने एफआईआर में पॉक्सो एक्ट की धारा नहीं दर्ज की।

तहरीर का बहाना

पॉक्सो एक्ट की धारा में एफआईआर दर्ज न करने पर जब इंस्पेक्टर हजरतगंज विजयमल्ल सिंह यादव से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया कि चूंकि स्वाति सिंह ने तहरीर में बेटी की उम्र का उल्लेख नहीं किया इसलिए पॉक्सो एक्ट की धारा नहीं लगाई गई। उनकी यह दलील इसलिए गले नहीं उतरती क्योंकि एफआईआर की कॉपी मिलने पर स्वाति सिंह ने पॉक्सो एक्ट की धारा न लगने पर आपत्ति जताई थी। हालांकि, पुलिस ने इसे अनसुना कर दिया। उल्लेखनीय है कि नियमत: पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज के बाद आरोपी को 24 घंटे के भीतर अरेस्ट किये जाने का प्रावधान है। स्वाति ने पुलिस पर आरोप लगाया कि दरअसल, पुलिस की मंशा ही आरोपी बीएसपी नेताओं पर कार्रवाई की नहीं थी, इसीलिए उसने एफआईआर में यह धारा नहीं जोड़ी। इस मुकदमे में पुलिस पर सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं कि एफआईआर दर्ज करने के 48 घंटे बीत जाने के बावजूद विवेचक ने अब तक वादिनी स्वाति सिंह का बयान लेने की भी जहमत नहीं उठाई।

गवर्नर ने मांगी सीडी तो हरकत में पुलिस

रविवार दोपहर स्वाति सिंह ने गवर्नर राम नाईक से मिलकर पूरे मामले में इंसाफ की गुहार लगाई। जिसके बाद गवर्नर नाईक ने जिला प्रशासन से बीएसपी के प्रदर्शन की रिकॉर्डिग की सीडी तलब की। गवर्नर के इस कदम पर हजरतगंज पुलिस में हड़कंप मच गया। अब तक इस मामले पर मौन साधे बैठी पुलिस हरकत में आई और मामले की रिकॉर्डिग हासिल करने के लिये विभिन्न चैनल के दफ्तरों के चक्कर लगाना शुरू कर दिया गया। हालांकि, देरशाम तक पुलिस को रिकॉर्डिग की सीडी हासिल नहीं हो सकी थी।

Posted By: Inextlive