सन 1950 भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाता है। यही वो साल जब भारत गणतंत्र बना था। खेलों की नजर से देखें तो यह साल इसलिए भी महत्‍वूपर्ण है क्‍योंकि भारतीय फुटबॉल टीम ने पहली और आखिरी बार वर्ल्‍डकप के लिए क्‍वालिफाई किया था। आइए पढ़ें इससे जुड़ी रोचक कहानी....


1950 में मिला था सुनहरा अवसरभारतीय फुटबॉल टीम की हालत इस समय कैसी है, यह हम सभी जानते हैं। फीफा रैंकिंग में हमारा 102वां नंबर है। भारत फुटबॉल में हमेशा से इतना पिछड़ा नहीं रहा। 50वें और 60वें दशक की बात करें तो वो भारतीय फुटबॉल का गोल्डन पीरियड कहा जाता है। ऐसा ही एक सुनहरा अवसर आया था साल 1950 में। इसी साल ब्राजील में फीफा वर्ल्ड कप आयोजित किया गया था। दुनियाभर की तमाम टीमों को फुटबॉल के इस महाकुंभ में हिस्सा लेने का न्यौता भेजा गया। जितने के थे पूरे चांस


भारतीय फुटबॉल टीम को ग्रुप 3 में रखा गया जिसमें इटली, पैराग्वे और स्वीडन जैसी टीमें थीं। भारत के लिए ग्रुप मैच जीतना आसान था क्योंकि इटली की टीम इतनी शक्ितशाली नहीं थी। एक साल पहले ही उनके नेशनल फुटबॉल टीम के 8 मुख्य खिलाड़ी एयर क्रैश में मारे गए थे। वहीं टूर्नामेंट से ठीक पहले उनके कोच ने इस्तीफा दे दिया। अब बात पैराग्वे टीम की करें तो उस वक्त उनकी हालात वैसी थी जैसी आज क्रिकेट में जिंबाब्वे की है। तीसरी टीम बची स्वीडन की, जिससे भारत को कड़ी टक्कर मिल सकती थी।

जूते न होने की वजह से नहीं जा पाए ब्राजील
भारत के लिए यह गर्व की बात थी कि उनकी फुटबॉल टीम वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रही। हालांकि यह खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई। टूर्नामेंट शुरु होने के कुछ दिन पहले ही भारत की फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) ने टीम को ब्राजील भेजने से मना कर दिया। बताया जाता है कि उस वक्त टीम के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह ब्राजील जा सकें। हालांकि फीफा भारतीय फुटबॉल टीम को आने-जाने का किराया देने पर राजी हो गई लेकिन आखिर में एक पेंच और फंस गया। दरअसल भारतीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ी नंगे पैर फुटबॉल खेला करते थे जबकि फीफा का नियम था कि उनके सभी टूर्नामेंट में जूते अनिवार्य हैं। बताते हैं कि भारतीय खिलाड़ियों के पास जूते नहीं थे इसलिए उन्होंने वर्ल्डकप से नाम वापस ले लिया। हालांकि कुछ लोग इस बात को महज अफवाह बताते हैं क्योंकि भारतीय खिलाड़ियों ने प्रैक्टिस नहीं की और वे वर्ल्डकप से ज्यादा ओलंपिक को तरजीह देते थे इसलिए उन्होंने फुटबॉल वर्ल्ड कप खेलने से मना कर दिया।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari