हिन्दु परम्परा में मस्तक पर तिलक लगाना शूभ माना जाता है। इसे सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। विजयश्री प्राप्त करने के उद्देश्य रोली हल्दी चन्दन या फिर कुम्कुम का तिलक लगाया जाता है। कार्य की महत्‍व को ध्यान में रखकर इसी प्रकार शुभकामनाओं के रुप में हमारे तीर्थस्थानों पर भी विभिन्न पर्वो-त्यौहारों मे विशेष अतिथि आगमन पर भी तिलक लगाया जाता है।


सात्विकता का प्रतीक माना जाता है तिलकमानव शरीर में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र होते हैं जिन्हें चक्र कहा जाता है। मस्तिष्क के बीच में जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है उसे आज्ञाचक्र कहा जाता है। इसे गुरुचक्र भी कहते है। इसी चक्र के एक ओर दाईं ओर अजिमा नाड़ी होती है तथा दूसरी ओर वर्णा नाड़ी है। ज्योतिष में आज्ञाचक्र बृहस्पति का केन्द्र है। इसे गुरु का प्रतीक-प्रतिनिधि माना गया है। बृहस्पति देवताओं के गुरु है। साधना ग्रन्थों में इसे गुरुचक्र के नाम दिया गया है। मस्तक पर तिलक लगाने को शुभ और सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। सफलता प्राप्ती के लिए रोली, हल्दी, चन्दन या फिर कुमकुम का तिलक लगाने की प्रथा है। किसी भी नए कार्य के लिए जा रहे हों तो काली हल्दी का टीका लगाकर जाएं। यह टीका आपकी सफलता में मददगार साबित होगा। इसलिए किया जाता है तिलक
जो व्यक्ति तिलक के ऊपर चावल लगाता है लक्ष्मी उस जातक के आकर्षण में बंध जाती है सदा उसके अंग-संग रहती हैं। जो जातक प्रतिदिन चंदन का तिलक लगाते हैं उनका घर-आंगन अन्न-धन से भरा रहता है। प्रत्येक उंगली से तिलक लगाने का अपना-अपना महत्व है जैसे मोक्ष की इच्छा रखने वाले को अंगूठे से तिलक लगाना चाहिए। शत्रु नाश करना चाहते हैं तो तर्जनी से तिलक करना चाहिए। धनवान बनने की इच्छा है तो मध्यमा से और सुख-शान्ति चाहते हैं तो अनामिका से तिलक लगाना चाहिए। देवताओं को मध्यमा उंगली से तिलक लगाया जाता है। भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही मस्तक पर तिलक लगाने की परंपरा चली आ रही है।

Posted By: Prabha Punj Mishra