सीएसजेएम कानपुर यूनिवर्सिटी में पिछले पांच सालों से पीएचडी के लिए एक भी इनरोलमेंट नहीं हो सका है. वहीं विभिन्न कारणों से सालों पहले जमा थीसिस अभी भी लटकी हुई हैं. इतने सालों बाद जब ज्वाइंट पीएचडी एंट्रेंस एग्जाम के लिए डेट घोषित करके दोबारा पोस्टपोन कर दी गई तो इसका फार्म भरने वाले हजारों एस्पीरेंट्स को बहुत निराशा हुई. आखिर पहली बार होने जा रहे पीएचडी जेईई के कैंसिल होने के पीछे कारण कया हैं हमने पड़ताल की.

 

Due to AIEEE?

अवध यूनिवर्सिटी की ओर से 29 अप्रैल को पीएचडी जेईई कंडक्ट होना था, लेकिन अब इसे पोस्टपोन कर दिया गया। यूनिवर्सिटी ऑफिशियल्स के अनुसार 29 अप्रैल को ही एआईईईई का एंट्रेंस एग्जाम होना है। एक ही दिन दोनों पेपर्स की डेट क्लैश हो रही थी। इसीलिए यह स्टेप लिया गया। हालांकि, यूनीवर्सिटी का यह तर्क सभी के समझ से परे हैं। क्योंकि एआईईईई का एंट्रेंस इंटरमीडिएट के स्टूडेंट्स के लिए है। जबकि पीएचडी एंट्रेंस पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए  होता है। इसलिए यूनीवर्सिटी का यह दावा किसी के गले नहीं उतर रहा है. 

5 years, 5000 students

यूजीसी के रेगुलेशन के बाद पीएचडी के ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम का खाका तैयार हुआ। एक्ट के तहत सभी यूनिवर्सिटीज को पीएचडी का एंट्रेंस कराने का आदेश मिला। इसलिए सन 2007 से सीएसजेएमयू में पीएचडी पर बैन है। हालांकि, इससे पहले हर साल फरवरी-मार्च और सितम्बर-अक्टूबर में स्टूडेंट्स पीएचडी के लिए एनरोलमेंट कराते थे। सभी विषयों औसतन हर साल एक हजार स्टूडेंट्स पीएचडी के लिए आरडीसी सब्मिट करते थे। पांच सालों में लगभग पांच हजार स्टूडेंट्स सीएसजेएमयू से डॉक्टरेट नहीं कर पाए. 

तो ये है असली वजह 

सोर्सेज की मानें तो पीएचडी जेईई यूूं ही पोस्टपोन नहीं हुआ। इसके पीछे बाकायदा कुछ ठोस कारण हैं। पहली वजह सुपरवाइजर्स की कमी है। यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटीज से अपने-अपने यहां के सुपरवाइजर्स का लेखाजोखा सब्मिट करने को कहा था। आनन-फानन में सभी यूनिवर्सिटीज ने डाटा सब्मिट तो किया, लेकिन आधा-अधूरा. 

कूटा के जिला समन्वयक डॉ। आनंद शुक्ला के मुताबिक यूनिवर्सिटी की ओर से यूजीसी को भेजे गए सुपरवाइजर के आंकड़ों में काफी फर्जीवाड़ा भी है, क्योंकि ये सारी कवायद बेहद जल्दबाजी में की गई है. 

 

ये रही दूसरी वजह 

पीएचडी जेईई पोस्टपोन किए जाने की दूसरी वजह स्टूडेंट्स की संख्या का सटीक आंकलन नहीं हो पाना है। सोर्सेज की मानें तो पांच साल बाद होने वाले पीएचडी जेईई के लिए हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स ने एप्लाई किया है। अवध यूनिवर्सिटी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि पीएचडी एस्पिरेंट्स की संख्या उनकी उम्मीदों से कई गुना ज्यादा होगी। निर्धारित संख्या के हिसाब से अरेंजमेंट नहीं हो पाना भी ज्वाइंट एंट्रेंस पोस्टपोन किए जाने का एक रीजन बना।

 

Why a joint entrance?

पीएचडी जेईई को लागू करने की योजना उच्च शिक्षा विभाग की थी। विभाग ने स्टेट की किसी एक यूनिवर्सिटी को जईई कंडक्ट कराने का जिम्मा दिया था। बाजी मारी डॉ। राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय ने। प्रो। आनंद शुक्ला के अनुसार सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के फॉर्मर वीसी एचके सहगल खुद जेईई कंडक्ट कराना चाहते थे। मगर, उनके कार्यकाल में यह संभव नहीं हो सका। जबकि यूजीसी रेगुलेशन एक्ट के तहत सभी यूनिवर्सिटीज को अलग-अलग पीएचडी जेईई कराने का अधिकार है। फिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि उच्च शिक्षा विभाग ने जेईई की योजना बनाई। वो भी अदूरदर्शिता भरी और आधी-अधूरी।

दो यूनिवर्सिटीज ने करा डाला एंट्रेंस

गोरखपुर, काशी विद्यापीठ जैसी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स खुशनसीब रहे। इन्होंने अपना पीएचडी का एंट्रेंस टेस्ट अलग ही कंडक्ट करवा लिया। सीएसजेएमयू इस मामले में फिसड्डी रही। उसकी तरफ से इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए गए। लिहाजा, पीएचडी जेईई के चक्कर में फंसकर एक बार फिर स्टूडेंट्स बेहाल हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि पीएचडी जेईई आगे कंडक्ट होगी भी या नहीं. 

 

What about supervisers?

पीएचडी जेईई को लेकर मुश्किलें हल होने के बजाय बढ़ती नजर आ रही हैं। दरअसल, इसमें 50 परसेंट कटऑफ को पासिंग माक्र्स (दोनों पेपर्स में 40-40 परसेंट अलग-अलग) बनाया गया है। जाहिर है, बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स पास भी होंगे। चूंकि सुपरवाइजर्स की कमी पहले से ही है। इसलिए पास होने के बाद स्टूडेंट्स को सुपरवाइजर्स ढूंढने के लिए खासी मशक्कत करनी होगी। दूसरा, पीएचडी की रजिस्ट्रेशन फीस भी बढ़ाकर दस हजार रुपए तक कर दी गई है. 

 

 

Reasons why PhD entrance has been postponed:

 

1. एंट्रेंस के लिए एप्लाई करने वाले एस्पीरेंट्स की संख्या अनुमान से कहीं ज्यादा निकल पड़ी। अवध यूनिवर्सिटी के आकलन और इंतजाम फेल हो गए. 

2. पीएचडी करवाने वाले सुपरवाइजर्स और इवेलुएटर्स की भारी कमी। सीएसजेएम कानपुर परिक्षेत्र में क्वालीफाइड सुपरवाइजर्स का भारी अभाव।

3. एंट्रेंस पेपर के फार्मेट में भी समस्याएं आने की बात कही जा रही है।

 

 

 

Posted By: Inextlive