आज वेस्ट बंगाल सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलें सार्वजनिक कर दीं और अब राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार पर दवाब बना रही हैं कि वो भी ऐसा ही करें। आखिर क्या‍ चाहती हैं ममता।


कहां है ममता का निशाना


नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े रहस्य की 64 फाइलें बंगाल सरकार ने सार्वजनिक तो कर दी हैं। पर अब सवाल ये है कि ऐसा करके ममता बनर्जी क्या करना चाहती हैं। असल में नेताजी की जिंदगी के रहस्य जितने उलझे हुए हैं उससे भी ज्यादा उलझी हुई है इससे जुड़ी राजनीति। क्या कारण है कि ममता बनर्जी ने ये फाइलें उजागर होने के साथ कहा कि वे सच को क्यों न उजागर करें। सच की जीत होनी चाहिए और सच की जीत होगी। हम सच को नहीं दबा सकते। आज सच उजागर होने की शुरुआत हुई है और अब केंद्र सरकार को भी सच को उजागर करना चाहिए। ये दवाब बनाते हुए ममता केंद्र को एक अलग ही तरह से अपने शिकंजे में कस रही हैं। इससे पहले केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू कह चुके हैं कि लोगों को नेता जी के बारे में सच्चाई जानने का हक है और हम फाइलों को सार्वजनिक करने के पक्ष में हैं। लेकिन कुछ फाइलों का संबंध विदेश मंत्रालय से है और इस बारे में जनहित को ध्यान में रखा जा रहा है और उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

ऐसे में  ममता बनर्जी ने राज्य सरकार के पास मौजूद नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने का फैसला अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया है। अब वो केंद्र सरकार पर इस बात का दबाव बना रही है कि वह भी अपने पास मौजूद दस्तावेज सार्वजनिक करे। जाहिरहै बंगाल में पूजे जाने वाले नेताली के लिए किए गए इस फैसले तृणमूल को फायदा हो सकता है। अनसुलझे सवालों का सिलसिला बनी नेताजी की मौत

आखिर 18 अगस्त,1945 को क्या हुआ था ? क्या नेताजी सुभाषचंद्र बोस का विमान सचमुच फोरमोसा जो अब ताइवान है, में दुर्घटना का शिकार हुआ था। क्याय इस हादसे में वाकई नेताजी मारे गए थे? या फिर ये बात सही है कि वो बच गए थे और सर्बिया चले गए थे? या और कोई राज भी छुपा है सुभाषचद्र की मृत्युा के राज के साथ। बीते 70 सालों से ऐसे जाने कितने अनसुलझे सवाल हैं जो हमारा पीछा कर रहे हैं। आखिर नेताजी की मृत्यु के तथ्य  या उनके जीवित होने का रहस्य छुपाने की जरूरत क्या थी या है। पर हाल ही में कुछ कांफीडेंशियल फाइल्स् के सामने आने के हल्ले के बावजूद अब भी कुछ सामने नहीं आ रहा और ये अनुसुलझे सवाल अब भी वहीं खड़े हैं। इसके साथ एक और सवाल है कि क्या नेताजी की फेमिली और उनसे जुड़े लोगों की जासूसी की जा रही थी।

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Posted By: Molly Seth