मेरठ: देश के दूसरे सबसे बड़े कैंट एरिया की सुरक्षा होनी बेहद जरूरी है. सुरक्षा का जो खांचा आर्मी ऑफिसर्स ने खींचा है क्या वो सही है? क्या खटकाना गेट में पास सिस्टम लागू करने से कैंट सीमाएं सुरक्षित हो जाएंगी? क्या कैंट में चल रहे होटल हॉस्टल और साइबर कैफे सुरक्षित हैं? कैंट एरिया में हर साल 10 फीसदी लोग बदल जाते हैं. क्या आर्मी को उनके बारे में पता है? ऐसे कुछ सवाल हैं जो खटकाना गेट पर पास सिस्टम लागू करने के बाद आर्मी ऑफिसर्स की दोहरी मानसिकता को दर्शा रहीं है...


इनका क्यों नहीं वेरीफिकेशन ये कोई नई बात नहीं है कि कैंट में रजिस्ट्री बंद है। अब लोग 100 रुपए के स्टांप पेपर पर कैंट की प्रॉपर्टी को खरीद व बेच रहे हैं। इस तरह हर साल 10 फीसदी लोग कैंट की जमीं पर कदम रख रहे हैं। जिनके बारे में न तो कैंट बोर्ड को जानकारी है। न ही आर्मी ऑफिसर्स को। अति संवेदनशील कैंट में कदम रखने वाले कहां से आए हैं? कौन हैं? इनकी क्या पहचान हैं? कोई जानता है। आज तक इन लोगों का पुलिस वेरीफिकेशन क्यों नहीं किया गया? होटल में आने वाले लोग


कैंट इलाके में करीब 40 होटल हैं.  एक होटल मे लगभग 15 कमरे हैं। जो रोज फुल रहते हैं। यानि हर रोज इनमें करीब एक हजार लोग रुकते हैं। जिनमें 50 से 60 विदेशी भी होते हैं। आज तक कैंट बोर्ड या फिर आर्मी ऑफिसर्स ने इनके बारे में कोई डिटेलिंग हासिल नहीं की। होटल मालिकों और मैनेजर्स की माने तो बिना आईडी के किसी का भी रूम बुक नहीं होता है, लेकिन आज तक आर्मी और कैंट बोर्ड ने हमसे किसी तरह की कोई डिटेल नहीं ली है। हॉस्टल भी कम नहीं

कैंट इलाके में 25 हॉस्टल हैं। जिनमें हजारों बच्चे रह रहे हैं। लालकुर्ती, सदर, माल रोड, तोपखाना आदि में ये हॉस्टल संचालित हो रहे हैं। जिनका आर्मी ने आज तक कोई वेरीफिकेशन नहीं किया। इन हॉस्टलों में स्टूडेंट्स कहां से आ रहे हैं? इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है ़साइबर कैफे की भी हो जांच कैंट इलाके में लगभग 40 साइबर कैफे हैं। इनमें कैंट ही नहीं सिटी के नजदीकी इलाकों से भी लोग आते हैं। कभी आर्मी ऑफिसर्स ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि ये साइबर कैफे किन लोगों के हैं। इनसे नेट के थ्रू किस तरह की इंफोर्मेशन शेयर की जा रही हैं। इस बारे में जानने के लिए आर्मी की तरफ से किसी नेे कोई जहमत नहीं उठाई।कौन थे वह नकाबपोश?कुछ महीने पहले आर्मी ऑफिशियल ने टू व्हीलर्स पर बैठे नकाबपोशों की चेकिंग करने और उनके बारे पूरी इंफोर्मेशन हासिल करने के ऑर्डर दिए थे। लेकिन न तो उन नकाबपोशों की चेकिंग हुई और न ही उनके बारे में कोई इंफोर्मेशन हासिल की गई। मौजूदा सब सब एरिया कमांडर ने इन  नकाबपोशों को फिदाइन तक कह डाला था। लेकिन आज तक कोई फिदाइन पकड़ा नहीं गया।

'आर्मी में स्लीपर सेल होते हैं, जो पूरे साल सोता है पर आदेशों पर तुरंत उठकर काम करते हंै। वो सेल अपना काम कर रही है। कैंट को सुरक्षित करने के लिए हर इंतजाम किए जाएंगे.'- कर्नल आरके शर्मा, एडम कमाडेंट, वेस्ट यूपी सब एरिया'हम किसी भी आदमी का बिना आईडी के रूम बुक नहीं करते .ताकि हमारे पास इसका रिकॉर्ड रहे कि होटल में कौन आया है। लेकिन आज तक आर्मी ने कोई इंफॉर्मेशन नहीं की.'- केएस राणा, मैनेजर, राजमहल होटलफैक्ट एंड फिगर- 100 रुपए के स्टांप पेपर हर साल दस फीसदी बिक जाती है प्रॉपर्टी।- कैंट इलाके में है 40 होटल, जिनमें रोज एक हजार लोग रुकते हैं। - इन होटल में विदेशी भी रूकते हंै। - कैंट में हॉस्टल की संख्या 25 है। - कैंट इलाके में 25 साइबर कैफे हैं।For Read Part 1

Posted By: Inextlive