क्‍या आप को पता है कि शुक्र ग्रह को भोर का तारा कहा जाता है। शुक्र ग्रह पर बहुत से बड़े-बड़े गड्ढे हैं। आप को यह जानकर हैरानी होगी कि शुक्र के तीन गड्ढों का नाम महिलाओं के नाम पर रखा गया है। सबसे खास बात यह है कि तीनो महिलाये भारतीय हैं। तीनो ने मेडिकल के क्षेत्र में अपना पूरा जीवन लगा दिया। दूसरों के लिये उन्‍होंने अपनी जिंदगी को छोड़ दिया।


जोशी क्रेटर जोशी क्रेटर का नाम भारतीय मूल की महिला आनंदी गोपाल जोशी के नाम पर रखा गया। वो भारतीय महिला थीं जिन्होंने यूएस में मेडिसिन से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। इस उपलब्धि ने उन्हें दक्षिण एशिया की पहली महिला फिजीशियन बना दिया। 31 मार्च 1865 को जन्मी आनंदी गोपाल जोशी की कहानी जितनी प्रेरक है उतनी ही दर्द भरी भी है। बाल विवाह के कारण वो जल्दी ही परिवार से दूर कर दी गईं। 14 साल की उम्र में उन्होंने बेटे का जन्म दिया। वो मुश्किल से 10 दिनों तक ही जिंदा रह सका। बच्चे को खोने की टीस ने उन्हें मेडिकल की शिक्षा की तरफ मोड़ा। जब वो मुम्बई लौटीं तब टीबी ने उन्हें जकड़ लिया। 26 फरवरी 1887 को उन्होंने दुनिया छोड़ दी। जीराड क्रेटर
वीनस पर बने जीराड क्रेटर का जेरूसा जीराड के नाम पर रखा गया। जेरूसा भी एक फिज़िशियन थीं। वो बेने इजराइल जियूस समुदाय की सदस्य थीं। जेरूसा पहली महिला थीं जिन्हें भारत सरकार ने स्कॉलरशिप देकर यूनाइटेड किंगडम में पढ़ने के लिए भेजा था। वहां लन्दन यूनीवर्सिटी से उन्होंने ऑब्सट्रेट्रिक्स और गाइनिकोलॉजी में एमडी किया। भारत में मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों और महिला डॉक्टर्स के काम को बेहतर बनाने के कारण उन्हें मेंबर ऑफ द ब्रिटशि इंपायर प्रदान किया गया। भारत सरकार ने उन्हें 1966 में पद्मश्री से सम्मानित किया। उनका जन्म मार्च 21, 1891 को हुआ था और मृत्यु जून 2, 1984 को हुई। मेधावी क्रेटर मेधावी क्रेटर का नाम रामाबाई मेधावी के नाम पर रखा गया। वो संस्कृत की विद्वान थीं। महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली फाइटर और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। 23 अप्रैल 1858 को उन्होंने एक संस्कृत विद्वान के घर जन्म लिया था। 20 साल की उम्र में उन्होंने पंडित की उपाधि से नवाजा गया। 22 साल में शादी होने के बाद उन्होंने बाल विवाह के विरोध में और विधवाओं के हालातों पर बोलना शुरू किया। मेडिकल के डिग्री हासिल करने वो ब्रिटेन गईं। यूएस गईं और ग्रेजुएशन की डिग्री ली। पति की मौत के बाद उन्होंने पुणे में आर्य महिला समाज की स्थापना की। एक कवयित्री और लेखिका बनाने के क्रम में उन्होंने जीवन में खूब यात्राएं कीं। सात भाषाओं की महारत रखने वाली रामाबाई मेधावी ने बाइबिल को मराठी में ट्रांसलेट भी किया। 5 अप्रैल 1922 को उनकी मृत्यु हुई।Interesting News inextlive from Interesting News Desk

Posted By: Prabha Punj Mishra